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एएमयू बवाल में मजिस्ट्रेट ने पुलिस को क्यों माना जिम्मेदार?, जानिए सच

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनियन हॉल में लगी पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर दो मई को हुए बवाल की मजिस्ट्रियल जांच पूरी हो गई है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 10:23 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 10:23 AM (IST)
एएमयू बवाल में मजिस्ट्रेट ने पुलिस को क्यों माना जिम्मेदार?, जानिए सच
एएमयू बवाल में मजिस्ट्रेट ने पुलिस को क्यों माना जिम्मेदार?, जानिए सच

अलीगढ़ (जेएनएन)। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनियन हॉल में लगी पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर दो मई को हुए बवाल की मजिस्ट्रियल जांच पूरी हो गई है। एक-दो दिन में रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी है। सूत्रों की मानें तो जांच में करीब 40 लोगों के बयान लिए गए हैं और बवाल के लिए पुलिस की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया है।

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यह था मामला

दो मई को एएमयू में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसी दिन दोपहर के समय बाबे सैयद पर जिन्ना का पुतला फूंकने पहुंचे ङ्क्षहदू जागरण मंच व एएमयू छात्रों के बीच टकराव हो गया। पुलिस ने हिंदूवादी कार्यकर्ताओं को हटा दिया, मगर एएमयू छात्र उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए। फिर बेकाबू हुए छात्र पुलिस प्रशासनिक अफसरों को धकियाते हुए सिविल लाइंस थाने की ओर चल दिए। छात्रों को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। पथराव भी हुआ। पथराव व लाठीचार्ज में एसपी, एसडीएम, 13 पुलिसकर्मी व एएमयू छात्रसंघ अध्यक्ष समेत 15 छात्र घायल हो गए थे।

एडीएम को दी जांच

मामला शासन तक पहुंचा तो सीएम योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता दिखाते हुए डीएम चंद्रभूषण सिंह को जांच कराने के निर्देश दिए। डीएम ने तत्काल तत्कालीन एडीएम वित्त बच्चू सिंह को जांच की जिम्मेदारी दी। वे जांच शुरू कर पाते, उससे पहले उनका शाहजहांपुर तबादला हो गया। उनके स्थान पर आए एडीएम वित्त उदय सिंह को जांच की जिम्मेदारी दी गई।

राहगीरों से लेकर प्रोफेसरों तक के बयान

एडीएम वित्त उदय सिंह ने जांच शुरू की। राहगीरों से लेकर प्रोफेसरों तक के बयान लिए। कई लोगों ने लिखित में भी बयान दिए। बवाल की सीडी देखी। अखबारों में छपी खबरों को भी देखा।

साढ़े छह माह मेें जांच

साढ़े छह माह जांच पूरी हो गई है। सूत्रों की मानें तो जांच में पुलिस की दोषी माना गया है। पुलिस की लापरवाही से छात्र सिविल लाइंस थाने तक पहुंचे। ङ्क्षहदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को भी नहीं रोका गया था। उन्हें रोक दिया जाता तो शायद बवाल नहीं होता। एडीएम वित्त उदय सिंह का कहना है कि जांच लगभग पूरी हो गई है। एक-दो दिन में अंतिम मुहर लग जाएगी। इसके बाद इसे शासन को भेजा जाएगा।


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