अलीगढ़ में एक मच्छर से क्यों भयभीत हैं पुलिस वाले?, नोटिस लेने से भी डर गए
चार माह में अलीगढ़ की पुलिस अनेक मुठभेड़ की घटनाओं को अंजाम देकर करीब दो दर्जनाओं को अंजाम देकर बदमशों को जिले से बाहर कर दिया है, लेकिन एक मच्छर से डर रही है।
अलीगढ़(जेएनएन)।: चार माह में अलीगढ़ की पुलिस अनेक मुठभेड़ की घटनाओं को अंजाम देकर करीब दो दर्जन से अधिक बदमाशों को गोली मारकर घायल कर चुकी है। पुलिस के भय से जिले से बदमाश दूसरे शहरो को पलायन कर रहे हैं, लेकिन बहादुर पुलिस की एक मच्छर ने नींद हराम कर दी है।
नष्ट कराया डेंगू का लार्वा
थाना देहली गेट की पुलिस चौकी घुड़ियाबाग में भारी मात्रा में डेंगू का लार्वा मिलने से पुलिस के जवान भयभीत हैं। इसके अलावा शहर में कई जगहों पर डेंगू का लार्वा मिला है। इन स्थानों पर जिला मलेरिया विभाग की टीम पहुंची और लार्वा नष्ट कराया। पुलिस चौकी को नोटिस भी दिया गया, जिसे पहले तो लेने से इनकार कर दिया गया। लेकिन बाद में जब मलेरिया अधिकारी स्वयं पहुंचे तो थाने से नोटिस लेने के लिए आग गए ।
कंडम कार की बॉडी में भरे थे डेंगू मच्छर
लार्वा की तलाश में जब जिला मलेरिया विभाग की टीम घुड़िया बाग पहुंची तो पुलिस चौकी घुड़ियाबाग में भारी मात्रा में डेंगू का लार्वा था। यहा पर कंडम कार की बॉडी में भरे पानी में, ड्रम में, कबाड़ में भरे पानी में लार्वा पाया गया। इस पर जब मलेरिया विभाग की टीम ने चौकी पर नोटिस थमाने की बात कही तो चौकी वालों ने लेने से मना कर दिया। नोटिस लेने से किया मना तो पहुंचे मलेरिया अधिकारी मलेरिया विभाग की टीम ने जिला मलेरिया अधिकारी को पूरी जानकारी दी और बताया कि नोटिस को पुलिस के सिपाही नहीं ले रहे हैं। इसके बाद मलेरिया अधिकारी स्वयं मौके पर पहुंचे। थाने को भी सूचित किया गया। इसे प्रक्रिया का हिस्सा बताया तो नोटिस लिया गया। इसके अलावा शहर में एडीएम कंपाउंड, बारहद्वारी, जमालपुर, हमदर्द नगर आदि में डेंगू का लार्वा पाया गया। जिसे मलेरिया विभाग की टीम ने नष्ट कराया।
युवक की स्वाइन फ्लू से मौत की चर्चा
सराय हकीम निवासी एक युवक की दिल्ली में स्वाइन फ्लू से मौत होने की चर्चा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इस बात से इनकार किया है। सराय हकीम के एक युवक को पिछले कुछ दिनों से बुखार था। तबियत ज्यादा खराब होने पर परिजन उसे दिल्ली के फोर्टिस हास्पिटल ले कर गए। वहा पर उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक वहा पर जो मौत के कारण बताए गए हैं उसमें स्वाइन फ्लू बताया गया है। जबकि जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. राहुल कुलश्रेष्ठ का कहना है कि विभाग के पास इस प्रकार की कोई सूचना नहीं है। यह स्वाइन फ्लू का सीजन भी नहीं है।
मच्छर का काटना घातक
एक मच्छर का छोटा सा डंक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। मच्छर का काटना घातक हो सकता है। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जीका वायरस और पीत ज्वर जैसी बीमारियों के कारण जीवन को गंभीर खतरा भी पैदा कर रहा है। अलीगढ़ में मच्छर का डंक से कई जिदंगी दम तोड़ चुकी हैं, लेकिन व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। बच्चे ही नहीं बड़े भी हलकान बरसात से मच्छरों की नई फौज पैदा हो गई है। उसके डंक से बच्चे ही नहीं, बड़े भी हलकान हैं। मच्छरों का छोटा डंक, बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। वजह, सरकारी तंत्र की विफलता और लचर व्यवस्था ही है।
मच्छरों का आतक
वर्ष 2018 में अब तक करीब 150 मलेरिया के मरीज सामने आ चुके हैं। 2017 में 1200, 2016 में 1100, 2015 में 1298, 2014 में 1400 व 2013 में 1800 सौ मरीजों की पुष्टि हुई। निजी अस्पतालों में पहुंचे मरीजों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा रही। डेंगू के मरीज भी सामने आए। मलेरिया व डेंगू से दर्जनों मौतें भी बीते वर्षो में हुईं।
दो प्रकार का मलेरिया
वैष्णवी क्लीनिक के संचालक डॉ. नितिन वाष्र्णेय ने बताते हैं कि मलेरिया दो प्रकार का होता है-वाइवेक्स व फैल्सीपेरम। यह रोग मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। जाड़े व बुखार से शुरुआत होती है। मरीजों को कमजोरी महसूस होती है। ये मच्छर सुबह व शाम के समय काटते हैं। उचित व समय पर इलाज न हो तो मरीज की मौत भी हो जाती है। मलेरिया को मौसमी रोग माना जाता है, मगर अब इसके मरीज सालभर आते हैं।
लाखों का बजट, फिर भी शहर में मच्छर
जिला मलेरिया विभाग को एंटी लार्वा स्प्रे व डीपीटी का छिड़काव और प्रचार-प्रसार के लिए पाच लाख से अधिक बजट मिल रहा है मगर, कर्मचारियों के तमाम पद रिक्त हैं। डोर-टू-डोर अभियान के लिए बेसिक हेल्थ वर्कर के 136 पदों के सापेक्ष मात्र 18 ही नियुक्त हैं। इसके अलावा दो सहायक मलेरिया अधिकारी व तीन मलेरिया निरीक्षक हैं। अर्बन मलेरिया यूनिट में 30 फील्ड वर्कर व मलेरिया अधिकारी की नियुक्ति की। नियमानुसार, 15 दिनों के भीतर एंटी लार्वा का छिड़काव होना चाहिए, मगर हर साल हवाई दावे होते हैं। यहा पैदा होते हैं मच्छर - बंद पड़े नाले-नालिया। घरों में स्टोर करके रखा पानी। कूलर में रुका हुआ पानी। खुले हुए वाटर टैंक। निर्माणाधीन मकानों की खुली हौद। जगह-जगह गढ्डों में रुका पानी। कूड़ा-करकट, टायर आदि।
अनेक तरह के मच्छर
विश्व भर में मच्छरों की हजारों प्रजातियों हैं, जिनमें से कुछ बहुत ज्यादा हानिकारक होती हैं। नर मच्छर पराग (पेड़-पौधों) का रस चूसते हैं, जबकि मादा मच्छर अपने पोषण के लिए मनुष्य का खून चूसती हैं। जब मादा मच्छर मनुष्य का खून चूस लेती हैं, तब यह मनुष्य में प्राण घातक संक्रमण को संचारित करने वाले घटक के तौर पर कार्य करती हैं, जिसके कारण मानव जीवन हेतु उत्तरदायी खतरनाक बीमारिया पैदा हो सकती हैं।
बच्चों को ज्यादा चपेट में लेते हैं मच्छर
डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि अलीगढ़ में डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या मच्छर की वजह से ही बढ़ती हैं। ऐसे में मरीजों को बचाव के लिए विभिन्न एहतियात बरतना जरूरी हैं। यह मच्छर बच्चों को ज्यादा अपनी चपेट में लेते हैं। हर सीएचसी पर बनाई दो टीम डीएमओ डॉ. राहुल कुलश्रेष्ठ का कहना है कि स्टाफ के अभाव में स्प्रे व दवा छिड़काव का कार्य प्रभावित होता है। फिर भी हर सीएचसी पर दो टीम, 18 टीम नगर व तीन जिला स्तर पर बनाई गई हैं। सभी जगह डीडीटी, एंटी लार्वल, पायरेथ्रम दवा पहुंचा दी गई है। फोगिंग भी कराई जा रही है। हर रविवार-मच्छरों पर वार अभियान चलाकर लोगों को जागरुक भी कर रहे हैं।