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Hathras Case: कब, कहां, कैसे- का जवाब तलाशने में जुटी सीबीआइ

कब कहां कैसे क्या-क्या हुआ? कुछ इस तरह से सवालों का सामना मंगलवार को दिनभर पीडि़ता के भाई और मां के साथ अन्य परिजनों को करना पड़ा। पीडि़ता के भाई को साथ ले जाकर भी सीबीआइ ने करीब साढ़े तीन घंटे पूछताछ की।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 11:03 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 11:03 PM (IST)
Hathras Case: कब, कहां, कैसे- का जवाब  तलाशने में जुटी सीबीआइ
पीडि़ता के भाई को साथ ले जाकर भी सीबीआइ ने करीब साढ़े तीन घंटे पूछताछ की।

हाथरस जेएनएन : कब, कहां, कैसे, क्या-क्या हुआ? कुछ इस तरह से सवालों का सामना मंगलवार को दिनभर पीडि़ता के भाई और मां के साथ अन्य परिजनों को करना पड़ा। पीडि़ता के भाई को साथ ले जाकर भी सीबीआइ ने करीब साढ़े तीन घंटे पूछताछ की। सीबीआइ टीम दो दिन पहले ही हाथरस आ चुकी थी। यहां आकर सबसे पहले पुलिस और प्रशासनिक अफसरों से पूरे घटनाक्रम के बारे में जाना था। 

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सीबीआइ ने कुछ पुलिस वालों से पूछताछ की 

मंगलवार को सुबह ठीक 10 बजे सीबीआइ की एक गाड़ी चंदपा थाने पर खड़ी नजर आई तो मीडिया का जमावड़ा शुरू हो गया। आखिर कुछ ही देर में यह साफ हो गया कि सीबीआइ की टीम साढ़े दस बजे बूलगढ़ी आने वाली है। इसे लेकर पुलिस प्रशासन अलर्ट हो गया। जानकारी मिली कि सीबीआइ ने कुछ पुलिस वालों से पूछताछ की है। सीबीआइ के आने की सूचना पर बैरियर पर भी पूरी तरह से चौकसी थी। ठीक साढ़े ग्यारह बजे सीबीआइ आई तो कुछ देर बाद ही पीडि़ता के भाई को बुला लिया गया। करीब 40 मिनट तक उससे पहले घटनाक्रम जाना और फिर कब, क्या और कैसे जैसे सवालों में उलझ गया। सीबीआइ के सवालों की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि श्मशान स्थल पर पीडि़ता की मां को कई और सवालों का जवाब भी देना पड़ा। घटना के समय कौन कहां था, आरोपित कहां से आया, किधर भागा, मां कहां पर थी, पीडि़ता कहां पड़ी थी, कहां पर गला घोंटा गया? आसपास के खेतों में कोई था या नहीं? ऐसे कई सवालों के जवाब जानने की कोशिश सीबीआइ ने की। इसके बाद टीम पीडि़ता के भाई को अपने साथ ले गई थी। उससे भी अकेले में पूछताछ की। सीबीआइ अभी और भी सवाल पीडि़ता के स्वजन से कर सकती है। बताते हैं कि सीबीआइ के अफसरों ने पीडि़ता के भाई, भाभी और मां के अलावा पिता से अलग अलग बात की।

ढाई घंटे तक रस्सा बांधकर रोके रखा बूलगढ़ी का रास्ता

मंगलवार का दिन सीबीआइ के नाम रहा। दिनभर सीबीआइ को लेकर चर्चा होती रही। सीबीआइ के अफसर आठ गाडिय़ों में सवार होकर घटनास्थल पर आए तो करीब ढाई घंटे तक बूलगढ़ी के रास्ते पर आवाजाही थम गई। इस कारण गांव के लोगों को दूसरे रास्तों से होकर गांव आना पड़ा था। यूं तो कई दिनों से बूलगढ़ी के रास्ते को गांव के लोगों की आवाजाही के लिए पूरी तरह से खोल दिया गया था, मगर मंगलवार को अचानक बूलगढ़ी जाने के रास्ते पर लगे बैरियर पर फोर्स की मुस्तैदी बढ़ चुकी थी। इसके अलावा सुबह नौ बजे से ही पुलिसवालों की बड़ी संख्या में घटनास्थल के पास तैनाती इस बात का संकेत दे रही थी कि शायद कुछ देर बाद कोई टीम फिर जांच-पड़ताल करने आ रही है। कुछ ही देर में गाडिय़ों का काफिला आ गया। काफिला आते ही रास्ते पर रस्सा लगाकर रास्ते ो दोनों तरफ से रोक दिया गया था। 


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