गुरुजी चले गए तो शिष्य रोए, कोई बाेला साथी का छूटा साथ Aligarh news
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पार्थिव देह जब अपनी माटी में आई तो आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कहीं शिष्य अपने गुरुजी को याद करके रो रहे थे तो कोई कह रहा था कि साथी साथ छोड़कर चला गया। चंद लोग ऐसे मिले जिन्होंने बचपन की यादों को सांझा किया।
अलीगढ़, जेएनएन। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पार्थिव देह जब अपनी माटी में आई तो आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कहीं शिष्य अपने गुरुजी को याद करके रो रहे थे तो कोई कह रहा था कि साथी साथ छोड़कर चला गया। चंद लोग ऐसे मिले जिन्होंने बचपन की यादों को सांझा किया। तमाम लोगों की जुबान पर सिर्फ एक ही बात थी कि लखनऊ गए या फिर राजस्थान बाबूजी तुरंत अपने पास बुला लिया करते थे। एक-एक नाम से लोगों को वह पहचानते थे। इसलिए बरेली, कासगंज, एटा, कन्नौज, फर्रुखाबाद आदि क्षेत्रों से लोग अंतिम दर्शन को आए थे। 20-20 किमी दूरी से लोग महिलाएं, बुजुर्ग दौड़े चले आ रहे थे। सब धर्म-जाति के बंधन से मुक्त थे, बस अंतिम दर्शन के अभिलाषी थे।
इनका कहना है
मुझे बाबूजी ने आठवीं और नौवीं में पढ़ाया है। उनके पढ़ाने का अंदाज काफी अलग था। क्लास के सभी साथी उनसे काफी डरते थे। बाहर से तो वह बहुत कड़क थे, मगर अंदर से काफी नरम थे। 1980 के बाद उन्होंने मेरे खेत के बराबर ही अपना कार्यालय झोपड़ी में बनाया था। यहीं पर लोगों की समस्याएं सुनते थे।
सोनपाल, जनकपुर
बाबूजी जब भी अलीगढ़ आते थे मैं उनसे मिलने राज पैलेस जाता था, लखनऊ भी मैं गया हूं, बहुत अच्छे से मिलते थे आैर हालचाल लेते थे। मेरा तो पूरा परिवार बाबूजी के लिए समर्पित था। कोई भी समस्या होती थी तो दौड़े उनके पास पहुंच जाते थे। पूरी अतरौली सूनी करके चले गए।
नसीम शेरवानी, परौरा
मेरी 75 साल की उम्र हो गई है। बच्चे मना कर रहे थे कि भीड़ बहुत होगी मत जाओ, पर मेरा मन नहीं माना और अंतिम दर्शन करने के लिए आ गया। मुझसे जब भी मिलते थे खूब हंसी-मजाक करते थे। पुरानी बातें शुरू हो जाती थीं, इतना दिल लगता था कि बता नहीं सकता हूं। आज रुलाकर चले गए।
परशुराम, गयासपुर
ट्राई साइकिल से ही मैं बाबूजी के अंतिम दर्शन को चल दिया। तमाम जगह मुझे रोका गया पर बुश्किलों को झेलते हुए मैं आगे बढ़ता चला गया। एनेक्सी में एक झलक देखकर आंखे भर आईं। बाबूजी अलीगढ़ की शान थे, पूरी दुनिया में उनका नाम था। श्रीराम मंदिर निर्माण प्रेणता थे।
सुरेंद्र कुमार, अतरौली