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बंजर भूमि की कोख खुली...लहराई हरियाली Aligarh News

जिस भूमि को किसानों ने बीहड़ बंजर समझ कर यूं ही छोड़ दिया था वहां अब फसलें लहलहा रही हैं। किसानों ने सोचा भी नहीं था कि ये भूमि भी उन्हें समृद्धि की राह दिखा सकती है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 06:49 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 01:30 PM (IST)
बंजर भूमि की कोख खुली...लहराई हरियाली Aligarh News
बंजर भूमि की कोख खुली...लहराई हरियाली Aligarh News

अलीगढ़ लोकेश शर्मा,[ जेएनएन ] : जिस भूमि को किसानों ने बीहड़, बंजर समझ कर यूं ही छोड़ दिया था, वहां अब फसलें लहलहा रही हैं। किसानों ने सोचा भी नहीं था कि ये भूमि भी उन्हें समृद्धि की राह दिखा सकती है। जनपद में ऐसी 815 हेक्टेयर भूमि को सुधार कर उपजाऊ बनाया गया है। 350 हेक्टेयर अभी शेष है, जिसे सुधारने की कवायद चल रही है। 

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किसानों को मानो संजीवनी मिल गई

जनपद के इगलास, गंगीरी, लोधा, बिजौली आदि क्षेत्रों में कई हेक्टेयर ऐसी भूमि है, जो उपजाऊ तो है मगर ऊंची-नीची और जल जमाव के चलते खेती नहीं हो सकती। किसानों ने इसे ऐसे ही छोड़ दिया था। 2017 में जब पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना आई तो किसानों को मानो संजीवनी मिल गई। बेकार समझ कर छोड़ी गई भूमि को संवारने की उम्मीद जागी। किसानों ने इस योजना को हाथों हाथ लिया। भूमि संरक्षण विभाग ने योजना के तहत सर्वे कराया और ऐसी 1165 हेक्टेयर भूमि चिह्नित कर ली। 

अब तक 815 हेक्टेयर भूमि को उपजाऊ बनाया जा चुका

शुरुआती वर्ष में ढाई सौ हेक्टेयर भूमि समतल कर उपजाऊ बनाई गई। किसानों का उत्साह देख सरकार ने भी बजट बढ़ा दिया। पहले साल 56 लाख, दूसरे साल 32 लाख और अब 1.56 करोड़ रुपये भूमि सुधार को दिए हैं। नवा नगर, मानपुर, भौरा गौरवा, शहरी मदनगढ़ी, कलंजरी, गढ़ी धनु, मोहकमपुर, हरौथा, अमरपुर नेहरा, गंगीरी, बिजौली आदि गांव में अब तक 815 हेक्टेयर भूमि को उपजाऊ बनाया जा चुका है।  

उपजाऊ भूमि का सिकुड़ रहा दायरा

उप कृषि निदेशक (शोध) वीके सचान बताते हैं कि उपजाऊ भूमि का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है। आबादी के अनुपात में अनाज उत्पादन नहीं हो रहा, जबकि इसमें वृद्धि होना आवश्यक है। यही वजह है कि कम उपजाऊ व बंजर भूमि को सुधार कर अधिक उपजाऊ बनाना जरूरी हो गया है।

भूमि समतल कर मेड़बंदी

भूमि को पहले समतल किया जाता है, इसके बाद मेड़बंदी होती है। इसमें पानी भरकर कुछ दिनों के लिए यूं ही छोड़ दिया जाता है। शुरुआत में किसान इस खेत में जैविक विधि से गेहूं का उत्पादन करते हैं। भूमि सुधार का सारा खर्चा सरकार करती है। बिजौली के रामकिशन बताते हैं कि उनकी 22 बीघा भूमि बेकार पड़ी थी, जिस पर अब खेती हो रही है। भूमि संरक्षण अधिकारी पंडित निधि राठौर, दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत भूमि सुधार की कार्ययोजना तैयार की है, जिस पर काम चल रहा है। सफलता भी मिली है।


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