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अलीगढ़ शहरनामा : बुराइयों को त्यागने का लें प्रण

संस्कृत में एक श्लोक है यत्र पूज्यते नार्यस्तु रमंते तत्र देवता। जिसका अर्थ है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। आज हम देखते हैं कि नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। छेड़छाड़ और दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 10:03 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 10:03 AM (IST)
अलीगढ़ शहरनामा : बुराइयों को त्यागने का लें प्रण
संस्कृत में एक श्लोक है, 'यत्र पूज्यते नार्यस्तु, रमंते तत्र देवता।

अलीगढ़, संतोष शर्मा। संस्कृत में एक श्लोक है, 'यत्र पूज्यते नार्यस्तु, रमंते तत्र देवता। जिसका अर्थ है कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। आज हम देखते हैं कि नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। छेड़छाड़ और दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हर साल दशहरा पर हम बुराइयों को त्यागने का दम भरते हैं, परंतु कुछ देर बाद ही उस प्रण को भूल जाते हैं, जिसका नतीजा महिलाओं के प्रति ङ्क्षहसा और उनके प्रति हेय दृष्टि के रूप में सामने आता है। समाज में ये बुराइयां ऐसा रावण हैं, जिनका अंत खोजना ही होगा। बच्‍चों को संस्कारी बनाना होगा। उन्हें बताना होगा कि अपनी बहनों की तरह दूसरोंं की बेटियों को भी सम्मान दो। ये अलख घर से ही जगानी होगी। अन्यथा हम हर साल दशहरा पर्व मनाएंगे और भूलते जाएंगे। आज हमें इस बुराई को त्यागने का प्रण लेना ही होगा।

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यूंं ही थी कार्रवाई

जेएन मेडिकल कॉलेज में लीव वेकेंसी पर कार्यरत दो डॉक्टरों को पिछले दिनों हटाने से रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) आग बबूला हो गई। ये तब है, जब ये डॉक्टर आरडीए का हिस्सा नहीं हैं। इंतजामिया भी आरडीए के धमकी के आगे टिक नहीं सका। कुछ घंटे बाद ही डॉक्टरों को फिर से काम पर रख लिया गया। वैसे इन डॉक्टरों को हटाने के पीछे न तो हाथरस प्रकरण में दिया गया बयान था, न सीबीआइ जांच वजह थी। इसके पीछे असल कारण तो कुछ और ही था। इंतजामिया ने खुद को बचाने के लिए ऐसा किया था। दरअसल, हटाए गए डॉक्टरों ने कार्यकाल खत्म होने के बाद भी कैजुअलिटी मेडिकल ऑफीसर के रूप में मेडिको लीगल पर साइन किए थे, जिसके लिए वो अधिकृत नहीं थे। इंतजामिया ने अब उन्हें उसी डेट से तैनाती दी है। इससे दोनों का काम चल गया और आरडीए का गुस्सा भी शांत हो गया।

कूड़ेदान भी पैसे से आते हैं

जब से स्मार्ट सिटी का काम शुरू हुआ है, नगर निगम भी स्मार्ट होता जा रहा है। तरह-तरह के वाहनों की खरीदारी हो रही है। भले ही वे सड़क पर चल नहीं पा रहे हों। कूड़ेदान तो पहले भी लगाए गए थे। अब फिर से 54 लाख के नए कूड़ेदान लगाए जा रहे हैं। इनमें भी सूखे और गीले कूड़े को डालने की अलग-अलग व्यवस्था होगी। पहले रखे गए कूड़ेदान भी ऐसे ही थे। इनमें कुछ स्टील के थे तो कुछ लोहे के। कुछ दिन बाद ही गायब हो गए। ये कहां गए, किसी के पास जवाब नहीं है। इनके गुम होने की न तो रिपोर्ट दर्ज हुई और न खोजने के लिए डुगडुगी पिटी। ये डस्टबिन भी लाखों में खरीदे गए थे। इनका भी हिसाब रखा जाना चाहिए। नया सामान खरीदने से ही शहर को स्मार्ट नहीं बनाया जा सकता। कम खर्च करके भी तो स्मार्ट बन सकते हैं।

कोरोना को लेकर और सचेत रहें

कोरोना वायरस का असर भले ही कम हो गया हो, लेकिन अभी संकट टला नहीं हैं। ऐसे में हमें और सचेत रहने की जरूरत है। त्योहारों पर तो और भी सावधान रहना होगा। इसके अलावा अनिवार्य रूप से मास्क पहनना होगा। शारीरिक दूरी के पालन की आदत डालनी होगी, तभी कोरोना को जल्द से जल्दी मात दे सकते हैं। इस वायरस के खात्मे के लिए सरकार भी ताकत झोंके हैं। जल्द से जल्द वैक्सीन भी लाने की तैयारी हो रही है। इसके लिए कोरोना के इलाज में लगे हुए प्रथम श्रेणी के स्टाफ की सूची भी तैयार कराई जा रही है। माना जा रहा है कि सबसे पहले इन्हीं को वैक्सीन दी जाएगी। इन दिनों मौसम भी तेजी से रंग बदल रहा है। सुबह-शाम की सर्दी अभी शरीर के अनुकूल नहीं है। ब'चों के लिए ये मौसम ज्यादा नुकसानदायक है। कोरोना काल में इस मौसम से भी बचकर रहना होगा।


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