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Aligarh Poisonous Liquor Case: हैदराबाद से मिथाइल अल्कोहल मंगाता था विजेंद्र कपूर

राब प्रकरण में पुलिस की गिरफ्त में आए माफिया में से हरदुआगंज फैक्ट्री का संचालक विजेंद्र कपूर सभी का केंद्र बिंदु है। पुलिस की जांच में एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि विजेंद्र को मिथाइल अल्कोहल की सप्लाई हैदराबाद से हुई थी।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 06:35 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 06:35 AM (IST)
Aligarh Poisonous Liquor Case: हैदराबाद से मिथाइल अल्कोहल मंगाता था विजेंद्र कपूर
हरदुआगंज फैक्ट्री का संचालक विजेंद्र कपूर सभी का केंद्र बिंदु है।

अलीगढ़, जेएनएन। शराब प्रकरण में पुलिस की गिरफ्त में आए माफिया में से हरदुआगंज फैक्ट्री का संचालक विजेंद्र कपूर सभी का केंद्र बिंदु है। पुलिस की जांच में एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि विजेंद्र को मिथाइल अल्कोहल की सप्लाई हैदराबाद से हुई थी। हालांकि विजेंद्र इसे सीधे तौर न कबूलकर पुलिस को घुमा रहा है। पुलिस ने हैदराबाद की कंपनी से संपर्क किया है। वहां के बिल आदि मंगाए हैं। जल्द ही एक टीम हैदराबाद भी जा सकती है।

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यह है मामला

जहरीली शराब पीने से 109 लोगों की मौत हो गई। जांच में शराब में मिथाइल अल्कोहल की पुष्टि हुई। यहां तक कि हरदुआगंज में पकड़ी गई अवैध केमिकल की फैक्ट्री में भी मिथाइल होने की बात पता चली, जिसका मालिक विजेंद्र कपूर है। गिरफ्तारी के बाद से ही विजेंद्र जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। यहां तक कि उसके लिए कई सिफारिशें भी आईं। लेकिन, जैसे-जैसे तथ्य सामने आए, पुलिस ने विजेंद्र पर शिकंजा कड़ा कर दिया। यह बात स्पष्ट है कि विजेंद्र के पास साल्वेंट मंगाने का लाइसेंस है और वह बरेली और हैदराबाद दोनों जगहों से केमिकल के ड्रम मंगाता है। जब पुलिस ने उससे मिथाइल के बारे में पूछा तो उसने गलत आर्डर आने की बात कही। विजेंद्र यह जानकारी देने में पुलिस को घुमा रहा है कि उसने सप्लाई कहां से ली थी। लेकिन, गौतम और विजेंद्र से क्रास पूछताछ में ये पता चला है कि मिथाइल हैदराबाद से मंगाई गई थी। एसपी देहात शुभम पटेल ने बताया कि हैदराबाद की कंपनी से संपर्क किया जा रहा है। कंपनी से स्टाक बुक, बिल आदि मंगाए गए हैं। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। हालांकि सभी माफिया से अब तक की पूछताछ में काफी कुछ स्पष्ट हो गया है। अब सुबूत एकत्रित किए जा रहे हैं।

सस्ता पड़ता है मिथाइल का ड्रम

इथाइल के मुकाबले मिथाइल का ड्रम सस्ता पड़ता है। इसकी कीमत आधी ही पड़ता है। ऐसे में मुनाफे की नीयत से विजेंद्र मिथाइल मंगाता था। लेकिन, इसका इस्तेमाल इंक और साल्वेंट बनाने में न करके माफिया को बेच देता था।


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