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Hathras Ravan Dahan : असत्‍य पर सत्‍य की विजय का पर्व विजयादशमी आज, ये हैं आज के दशानन, इनको भी जलाओगे?

Hathras Vijayadashami 2022 बुराई पर अच्‍छाई की जीत का पर्व विजयादशमी आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन बुराई के प्रतीक रावण का पुतला जलाया जाता है। सही मायने में रावण का अंत तभी माना जाना चाहिए जब बुराइयों का अंत हो ।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 05 Oct 2022 12:02 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 12:26 PM (IST)
Hathras Ravan Dahan : असत्‍य पर सत्‍य की विजय का पर्व विजयादशमी आज, ये हैं आज के दशानन, इनको भी जलाओगे?
विजयादशमी पर्व सत्य और धर्म की स्थापना के लिए मनाया जाता है।

योगेश शर्मा, हाथरस । Hathras Vijayadashami 2022 : विजयादशमी पर्व सत्य और धर्म की स्थापना के लिए मनाया जाता है। इस दिन बुराई के प्रतीक रावण का पुतला जलाया जाता है। हर साल रावण जलता है मगर बुराइयों का प्रतीक रावण अट्टहास करता रहता है। सही मायने में रावण का अंत तभी माना जाना चाहिए जब बुराइयों का अंत हो और आदर्श समाज की व्यवस्था हो। आखिर जनता की समस्याओं रूपी बुराइयों का अंत करने कौन राम आएंगे? बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य आदि से जुड़ी ऐसी समस्याएं हैं, जिनके प्रति अधिकारी व जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं दिखते। इससे विजयादशमी का संदेश निरर्थक साबित हो रहा है। आखिर कब मरेगा नई सूरत में जन्मा रावण? आइए आज से हम इन बुराइयों का भी अंत करने का संकल्प लें। 

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कब मिलेगी नशा से मुक्ति 

नशे के आगोश में बचपन भी आ चुका है। पुरानी कलक्ट्रेट में अक्सर शाम को तमाम लोग नशे का सेवन करते देखे जा सकते हैं। युवा पीढ़ी शाम ढले मदिरालयों पर देखी जा सकती है। कोई सिगरेट के धुएं उड़ाते दिखता है तो कोई भांग का नशा करता है। नशा कोई भी हो खराब ही होता है। हमें नशा से मुक्ति के लिए अभियान चलाने का संकल्प लेना होगा, ताकि आम जन तक ये बात पहुंच सके।

मिट जाएं बच्चा चोर

एक ओर संतानविहीन परिवार गोद भरने के लिए हर तरह के जतन करते हैं, वहीं बच्चा चोर गैंग से गली-मोहल्ले और कालोनियों में आने वाले अनजान लोगों से डर लगने लगा है। बच्चा चोरी जैसा पाप करने में अगर धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर भी शामिल हो जाएं तो भगवान ही मालिक हैं। हाथरस के एक डाक्टर दंपती ने बच्चा चोरी गिरोह संचालित कर इस पेशे को कलंकित कर दिया।

अब न हो जलभराव

हाथरस में वैसे तो जलभराव की शिकायत कम ही रहती है, मगर जिन इलाकों में पानी भरता है, वह नगर पालिका की व्यवस्था पर जरूर सवाल खड़े करता है। हद तब हो गई जब नगर पालिका प्रशासन ने नाले-नालियों की साफ-सफाई के नाम पर धन ठिकाने लगा दिया, मगर जलभराव की समस्या फिर भी दूर न हुई। हम सभी को नगर पालिका के अफसरों की बुद्धि शुद्धि का संकल्प लेना चाहिए।

जर्जर सड़क

एक कहावत है कि माली जब बाग उजारे तो उसे कौन बचाए? ये पंक्तियां लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर फिट बैठती हैं। इन पर टूटी-फूटी सड़कों पर मरहम पट्टी लगाने की जिम्मेदारी है, मगर मरहम के लिए मिलने वाले बजट का बंदरबांट कर लेंगे तब भला जर्जर सड़कों के गड्ढे कैसे भर पाएंगे? जनपद की 35 खराब सड़कों के ठीक न होने की वजह बजट न होना बताया जा रहा है।

हर सड़क पर जाम

जाम की समस्या के समाधान की जिम्मेदारी नगर पालिका, पुलिस व प्रशासन की है, मगर हाथरस में जाम की समस्या को लेकर इन तीनों विभागों में से कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा है। नतीजतन, दुकानदार से लेकर ढकेलवाले तक नाली से लेकर फुटपाथ तक पर कब्जा जमाए दिख जाएंगे। नगर निगम का चुनाव सिर पर है, तब जनप्रतिनिधि व्यापारियों से पंगा क्यों लेना चाहेंगे। जनता जूझे, इनकी बला से।

इस बीमारी का इलाज हो

आम जन की सेहत की फिक्र करने का दायित्व सरकारी अस्पताल के डाक्टरों का है। शहर से लेकर देहात तक में सरकारी हास्पिटल हैं। डाक्टर से लेकर फार्मासिस्ट भी हैं। खूब पगार पा रहे हैं मगर इनका ध्यान सरकार से पगार पाने के बाद भी निजी अस्पतालों को सेवा देने पर ज्यादा होता है। सरकारी अस्पतालों से मायूस मरीज जीवन बचाने के लिए निजी अस्पताल न जाएं तो क्या करें। इसका भी इलाज हो।

स्वच्छता पर आधा ध्यान

साफ-सफाई को लेकर भले ही केंद्र से लेकर राज्य सरकारें गंभीर हों, मगर नगर निकायों की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। अगर स्वच्छता बेहतर होती तो इसकी रैंक में हाथरस में टाप टेन में होता। स्वच्छता को लेकर निकायों के साथ नागरिकों को भी जागना होगा। घर का कूड़ा सड़कों पर नहीं, कूडे़दान तक पहुंचाना होगा। जब सफाईकर्मी अफसरों की सेवादारी में लगे हैं तो शहर की सफाई कैसे दुरुस्त होगी।

भीख मांगना छोड़ बच्चे जाएं स्कूल

समाज में कुछ वर्ग ऐसे हैं जो अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने की बजाय दुकानों पर बाल मजदूरी को भेज देते हैं। तमाम बच्चों को भीख मांगने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भिखारियों के भेष में चोरी-चकारी भी कराई जाती है। ऐसे बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पाती। बिना काम किए भीख से पेट भरने की लत पड़ जाती है। कृपया बच्चों से भीख न मंगवाएं, उन्हें स्कूल भेजें, ताकि बेहतर नागरिक बन सकें।

कन्या भ्रूण हत्या कब तक

कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया, जबकि सरकारी पहल ने बेटियों को बड़ा संबल दिया है। बेटियां भी धरती से आसमान तक परचम फहरा रही हैं। बार-बार कहा जाता है कि भ्रूण हत्या बड़ा अपराध है, मगर इसकी बड़ी कड़ी अल्ट्रासाउंड केंद्रों को चिकित्सा विभाग के अफसरों का संरक्षण क्यों मिल रहा है। समाज को भी सोचना होगा। बेटी को बराबरी का हक देना होगा।

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