APJ Kalam Birthday: पुस्तक ‘तुझको चलना ही होगा’ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम को समर्पित, जानें पुस्तक में क्या है खास Aligarh News
APJ Kalam Birthday विज्ञान रत्न लक्ष्मण प्रसाद ने 22 वें नवाचार दिवस के अवसर पर तुझकाे चलना होगा पुस्तक प्रकाशित की है। जिसे पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को उनके 91वें जन्म दिवस पर समर्पित किया है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। APJ Kalam Birthday:विज्ञान रत्न लक्ष्मण प्रसाद ने 22 वें नवाचार दिवस के अवसर पर तुझकाे चलना होगा पुस्तक प्रकाशित की है। जिसे पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को उनके 91वें जन्म दिवस पर समर्पित किया है। पूर्व राष्ट्रपति जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। लक्ष्मण प्रसाद की पूर्व राष्ट्रपति से गहरी मित्रता थी। 18 जून 2008 में जब वह एएमयू में आयोजित दीक्षा समारोह में शामिल होने आए तो मैरिस रोड स्थित लक्ष्मण प्रसाद के आवास पर भी गए थे। लक्ष्मण प्रसाद इसे पूर्व राष्ट्रपति की महानता ही मानते हैं।
पुस्तक में ये है खास
विज्ञान रत्न लक्ष्मण प्रसाद ने इस पुस्तक में विद्यालयों में नवाचारी पद्धति द्वारा शिक्षण को रेखांकित किया है। बताया है किस तरह एक शिक्षक इस पद्धति से छात्रों को शिक्षा देकर ज्ञान की नई रोशनी कैसे दे सकता है? उन्होंने लिखा है कि शिक्षण एक लगातार चलती रहने वाली प्रक्रिया है। जिसका प्रभाव सागर की तरंगों के समान आगे बढ़ता है। विद्यार्थी अनेक प्रकार से सीखना चाहते हैं। बच्चे अनुभव, वस्तुओं को बनाने व कार्य करने, प्रयोग, स्वाध्याय, सामूहिक चर्चा, प्रश्नोत्तर करना, सुनना, विचार करना आदि विधियों से सीखता है। सीखने व सिखाने की प्रक्रिया को कई प्रकार की शिक्षण विधियों व प्रयोगों के द्वारा सुधारा जा सकता है। उन्होंने पुस्तक में चार तरीकों से छात्रों को पढ़ाने के तरीकों पर बल दिया है। इनमें उन्होंने सहभागिता शिक्षण प्रणाली, महत्वपूर्ण सम-सामयिक विषयों को शिक्षण से जोड़ना, तालियां बजाकर स्वीकृति व हर्ष व्यक्त करना, प्रस्तुतीकरण विधि और सृजनात्मक विचारों को एकत्रित करना शामिल हैं।
विश्व छात्र दिवस को मनाई जाती है मिसाइल मैन डा. अब्दुल कलाम की जयंती
अलीगढ़ के डा. मोहम्मद वसी बेग के अनुसार, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि डा. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति (2002-2007) थे। वे एक वैज्ञानिक और शिक्षक थे। उन्होंने 1998 में पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसलिए उन्हें 'भारत का मिसाइल मैन' कहा जाता है। 27 जुलाई 2015 को आइआइएम शिलांग के छात्रों को व्याख्यान देते समय उन्हें कार्डियक अटैक का सामना करना पड़ा। जिसके चलते उनका निधन हो गया। डा. एपीजे अब्दुल कलाम की अध्यापन में भूमिका और उनके समर्पण को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने हमेशा खुद को एक शिक्षक के रूप में पहचाना। केवल शिलांग आइआइएम कालेज में पढ़ाने के दौरान उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ था। इससे उनके अध्यापन के प्रति समर्पण का पता चलता है। 2006 में, शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार की प्रस्तुति में राष्ट्रपति के अभिभाषण में, उन्होंने कहा कि "शिक्षकों को यह महसूस करना होगा कि वे समाज के निर्माता हैं। एक अच्छे समाज का निर्माण तब किया जा सकता है जब छात्रों के पास ज्ञान हो और वे अपने काम में कुशल हों। डा. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु भारत में हुआ था। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम था। 2002 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। राष्ट्रपति बनने से पहले वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के साथ एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। एक वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में अपना करियर शुरू किया। इसके अलावा उन्होंने इसरो में भारत के पहले सैटेलाइट लांच व्हीकल के परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया था।
विज्ञान दिवस की घोषणा
डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने 2005 में स्विट्जरलैंड का दौरा किया था। जिसके बाद देश ने उनकी यात्रा को सम्मान देने के लिए 26 मई को 'विज्ञान दिवस' के रूप में घोषित किया। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, वीर सावरकर पुरस्कार, रामानुजन पुरस्कार आदि सहित कई पुरस्कार मिले थे।