अलीगढ़, जागरण संवाददाता। कृषि कानून बिल वापस लिए जाने के बाद भी किसान नेताओं के आंदोलन जारी रखने के एलान पर अब सियासत गरमाने लगी है। जाट महासभा, अलीगढ़ के पदाधिकारी आंदोलन के विरोध में हैं। उनका कहना है कि अब यदि आंदाेलन की रणनीति बनाई जाती है। आगे कोई कदम उठाया जाता है तो वह बिल्कुल गलत है। किसान नेताओं को अपने घरों को लौट जाना चाहिए। सरकार ने उनकी बात मान ली है, देश में एकजुटता बनाए रखने की जरूरत है। तभी देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।
लोकतंत्र का पक्षधर है जाट महासभा
समाजसेवी और जाट महासभा के अध्यक्ष चौधरी बिजेंद्र सिंह ने कहा कि उनका संगठन आंदोलन में कभी नहीं शामिल हुआ। क्योंकि वह लोकतंत्र के पक्षधर हैं। कोई भी काम लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अंतर्गत होनी चाहिए। किसान आंदोलन के चलते तमाम किसान मारे गए। लखीमपुर खीरी में माहौल खराब हुआ। यह सब आंदोलन के चलते हुआ। यदि आंदोलन नहीं होता तो यह स्थिति नहीं होती। बिजेंद्र सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में अपने अधिकार मांगने का सभी को हक है, मगर धरना-प्रदर्शन करना, सड़क और रेलवे ट्रैक जाम करना, पब्लिक को परेशान करना यह सब गलत है। यह अपनी मांग मंगवाने का गलत तरीका है। इससे पूरे देश का माहौल खराब होता है। चौधरी बिजेंद्र सिंह ने कहा कि यही कारण था कि एक साल के करीब चले आंदोलन में करीब 700 किसान मारे गए। इसका जिम्मेदार कौन है? सरकार ने तो किसानों को बैठने के लिए नहीं कहा था, जिन किसान संगठनों ने किसानों को बिठाया था, उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन किसान परिवारों को उन्हें मदद करनी चाहिए। हम किसानों के कभी विरोधी नहीं रहे हैं, क्योंकि किसान परिवार से ही हैं, मगर किसानों के कंधों पर रखकर बंदूक चलाना गलत है। आंदोलन समाप्त होने के बाद इन किसानों के परिवारों को कोई नहीं पूछेगा। शायद किसान नेता भी न जाएं। इसलिए ठीक रहेगा कि किसान अपने घरों को लौट जाएं।
देश है सबसे बड़ा
जाट महासभा के जिला महामंत्री चौधरी दिगंबर सिंह ने कहा कि हम सभी के लिए देश बड़ा होना चाहिए। देश से बड़ा और कुछ नहीं हो सकता है। इसलिए कोई भी आंदोलन यदि करते हैं, देश के किसी व्यक्ति को कष्ट होता है तो उसमें हम भी दोषी माने जाएंगे। ऐसा नहीं कि मनमाने तरीके से कहीं भी धरना-प्रदर्शन पर बैठ जाओ और जनता परेशान होती रहे। दिगंबर सिंह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहृदयता से आंदोलन को वापस ले लिया। उन्होंने अपना दिल बड़ा किया और किसानों का सम्मान, इसके बाद भी यदि आंदोलन कि चेतावनी दी जा रही है तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि अब किसान आंदोलन के आड़ में कुछ किया जाता है तो किसानों के संगठनकर्ता इसके लिए जिम्मेदार होंगे। हम सभी का दायित्व बनता है कि देश के साथ रहे और देेश को मजबूत करें।
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