Move to Jagran APP

सड़कों पर सरपट दौड़ते अनफिट वाहन, खतरे में जान Aligarh news

सफर करने वाले वाहन की फिटनेस सही न हो तो हादसे का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे वाहनों में चालक ही नहीं बल्कि उसमें सवार लोगों की जान भी जोखिम में पड़ जाती है। देश में अधिकांश दुर्घटनाएं वाहनों की जर्जर हालात के चलते होती हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 06:14 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 06:14 AM (IST)
सड़कों पर सरपट दौड़ते अनफिट वाहन, खतरे में जान Aligarh news
कंडम हो चुके ऐसे तमाम वाहन सड़क पर दौड़ते देखे जा सकते हैैं।

अलीगढ़,जेएनएन : सफर करने वाले वाहन की फिटनेस सही न हो तो हादसे का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे वाहनों में चालक ही नहीं, बल्कि उसमें सवार लोगों की जान भी जोखिम में पड़ जाती है। देश में अधिकांश दुर्घटनाएं वाहनों की जर्जर हालात के चलते होती हैं। आंकड़ों की बात करें तो कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 2.4 फीसद वाहनों की जर्जर हालत के चलते होती हैं। इससे हर साल हादसों में होने वाली मौतों का ग्राफ बढ़ रहा है। जिले में वाहनों की फिटनेस को परखने का इंतजाम नहीं है। आधुनिक मशीनों की जगह अफसरों की आंखें ही वाहन के फिट या अनफिट होने का प्रमाण पत्र दे रही हैं। वाहन में बिना हेड लाइट, बैक लाइट, इंडीकेटर, फॉग लाइट, रिफलेक्टर को जांचें परखे ही फिटनेस दी जा रही है। ऐसे में जर्जर व अनफिट वाहन बिना किसी रोक-टोक के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। जिले में इस साल 400 से अधिक सड़क हादसे हो चुके हैं। इनमें 339 लोगों की मौत व 492 घायल हो चुके हैं। खास बात ये है कि वाहनों की फिटनेस जांच ही नहीं कराई जाती है। कंडम हो चुके ऐसे तमाम वाहन सड़क पर दौड़ते देखे जा सकते हैैं। यातायात नियमों की अनदेखी, जर्जर सड़कें व ओवरलोड वाहन भी हादसों के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। 

loksabha election banner

नहीं होती धरपकड़ 

जिले में कंडम वाहनों के सड़क पर दौडऩे व धुआं उगलने के बाद भी उनके जब्तीकरण की कार्रवाई नहीं होती है। प्रदूषण जांच के नाम पर भी खानापूर्ति हो रही है। सिर्फ वाहन का नंबर बता देने भर से ही शुल्क लेकर प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र हाथोंहाथ जारी किया जा रहा है। आरटीओ विभाग व ट्रैफिक पुलिस अभियान व चेङ्क्षकग के नाम पर खानापूर्ति करते हैं। जर्जर वाहनों पर कार्रवाई नहीं होती है। जिले भर में फिटनेस न कराने वाले करीब 20 हजार वाहनों को कंडम घोषित किया गया था, जिनमें से करीब दस हजार ऑटो शहर में बिना किसी भय के सवारियों को इधर से उधर ले जाने में जुटे हैं। सबकुछ जानते हुए संबंधित अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। 

हर साल होनी चाहिए फिटनेस 

नियम है कि नए व्यावसायिक वाहन की फिटनेस दो साल में व उसके बाद हर साल फिटनेस की जांच कर प्रमाण पत्र जारी होना चाहिए। आरटीओ में दलालों के जरिये जुगाड़ कर बिना वाहनों की पड़ताल किए ही प्रमाणपत्र जारी कर दिए जाते हैं।  

फिटनेस के ये हैं नियम

वाहन की फिटनेस में हेड लाइट, बैक लाइट, फॉग लाइट, साइड लाइट, पार्किंग लाइट के अलावा रिफ्लेक्टर पट्टी लगी होनी चाहिए। स्कूलों के अलावा निजी व सरकारी वाहनों में इस तरह की कमियों को आसानी से देखा जा सकता है। रोडवेज की बसों की जर्जर हालत व भी बदतर हैं। बसों में खिड़कियों के शीशे, फॉग व बैक लाइट दुरुस्त नहीं होती है। फिर भी इन बसों को सड़क पर फर्राटा भरने की अनुमति मिल जाती है। 

ट्रैक्टर-ट्रॉली भी बन रहे मुसीबत 

ट्रैक्टर-ट्रॉली का प्रयोग कृषि कार्य में ही किया जा सकता है, लेकिन ये सड़क पर व्यावसायिक कामों में फर्राटे भरते नजर आते हैैं। इन वाहनों को नियंत्रित करना मुश्किल काम है। यही कारण है कि कई बार ट्रैक्टर-ट्रॉली चालक के नियंत्रण खो देने से बड़े हादसे हो जाते हैं। रात में बिना किसी इंडीकेटर व सुरक्षा इंतजाम के जीटी रोड व हाईवे पर इनको फर्राटे भरता देखा जा सकता है। अधिकांश चालकों के पास ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस भी नहीं होता है।

इनका कहना है

अनफिट व कंडम वाहनों के जब्तीकरण के साथ ही चालान की कार्रवाई भी की जाती है। समय-समय पर चालकों को यातायात नियमों के पालन के लिए जागरूक किया जाता है। यातायात माह में अभियान जारी है। पूरे साल में 500 से अधिक वाहनों पर कार्रवाई की गई है। 

केडी ङ्क्षसह गौर, आरटीओ प्रशासन 

वाहनों की फिटनेस, टैक्स आदि जमा कराने के लिए आरटीओ दफ्तर के कई दिन तक चक्कर काटने पड़ते हैं। मजबूरी में बिचौलिये व दलालों से काम कराना पड़ता है। बेहतर होगा कि आरटीओ में पारदर्शिता कायम हो और बिना किसी सिफारिश के आसानी से काम हो। 

अजय पाल ङ्क्षसह, अध्यक्ष, जिला ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन 

जो लौट के घर न आए 

31 अक्टूबर की रात को कभी नहीं भूल सकती। इस दिन टिर्री चलाने वाले मेरे पति राजेश को सड़क हादसे ने छीन लिया था। अब पहाड़ जैसी ङ्क्षजदगी किसके भरोसे कटेगी। 

आशा देवी 

यातायात नियमों को तोडऩे व तेज रफ्तार पर अंकुश न होने से हादसों का ग्राफ बढ़ रहा है। हमेशा धीमी गति से वाहन चलाना चाहिए।

डॉ. राजवीर सिंह चौहान   

सड़क हादसों का कारण वाहनों का फिट न होना व नशे में चलाना भी है। वाहन संचालन से पहले उसकी जांच बेहद जरूरी है।

कुलदीप सिंह आर्य


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.