Aligarh News: आरटीई कोटे में गरीबों का हक छीन रहे रईसजादे, बैंक स्टेटमेंट देखकर चौंके स्कूल के प्रिंसिपल
Aligarh News गरीबों के लिए आरक्षित कोटे में धनी परिवारों के बच्चों का प्रवेश चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। विभागीय और स्कूलों की जांच में 30 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं जहां फर्जी आय और जन्म प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल कर गरीबों का हक मारा जा रहा था। इन बच्चों के प्रवेशों को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जानिए पूरी खबर।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई)-2009 में भले ही सभी पात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाया हो, मगर गरीब कोटे की सीटों पर ‘रईसजादे’ भी कब्जा कर रहे हैं। फर्जी आय व जन्म प्रमाण पत्र लगाकर गरीबों का हक मारा जा रहा है। विभागीय एवं स्कूलों की जांच में ऐसे 30 से अधिक मामले पकड़े गए हैं, जिनमें परिवारों ने वास्तविक आर्थिक स्थिति व अन्य तथ्यों को छिपाते हुए अपने बच्चों को कोटे की निश्शुल्क सीटों पर प्रवेश दिला दिया। ऐसे बच्चों के प्रवेशों को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जनपद में शैक्षिक सत्र 2024-25 के अंतर्गत लगभग सात हजार से अधिक आवेदन निजी स्कूलों में गरीब कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए आए। इनमें से 3073 आवेदन तो प्रारंभिक जांच में निरस्त कर दिए गए। इनमें से ज्यादातर बच्चे दूसरे निजी स्कूलों में अध्ययनरत पाए गए। चार बार की लाटरी के बाद लगभग 4200 बच्चों को पसंद के स्कूलों में सीटें आवंटित कर दी गईं।
बैंक स्टेटमेंट और रिर्टन भी
स्कूल संचालकों ने शासन से मिलने वाली अन्य सुविधाओं के लिए अभिभावकों से उनका बैंक खाता संख्या जमा कराया तो कलई खुल गई। 10 अभिभावकों के आय प्रमाण पत्र व बैंक स्टेटमेंट में अंतर सामने आया। 12 बच्चों के अभिभावक तो नियमित रूप से इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) तक भरने वाले पाए गए। विभाग ने यू डायस पोर्टल से विवरण का मिलान किया तो कई बच्चे कक्षा एक व दो में प्रवेशित पाए गए। इन बच्चों की जन्मतिथि में अंतर पाया गया। कई न तो दूसरे वार्ड के स्कूल में प्रवेश कराया, ताकि तथ्य छिपे रह सकें।
ऐसे मारा गरीबों का हक
कुलदीप विहार निवासी ने 80 हजार रुपये वार्षिक की आय का प्रमाण पत्र बनवाकर बेटे का एटा-क्वार्सी बाइपास स्थित स्कूल में प्रवेश करा दिया। जबकि, वर्ष 2023-24 व 2024-25 में चार लाख पचपन हजार रुपये की वार्षिक आय दर्शाते हुए आइटीआर भरा है। रामबाग कालोनी, गली नंबर पांच निवासी के बेटे को रामघाट रोड स्थित स्कूल में सीट आवंटित हुई। 96 हजार रुपये वार्षिक आय का प्रमाण पत्र जमा किया गया। प्रधानाचार्य ने प्रमाण पत्रों के साथ बैंक खाता संख्या की जानकारी भी ली। पिछले दो साल का बैंक स्टेटमेंट देखा तो चौंक गए। हर माह 40-50 हजार का लेन-देन पाया गया।
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर गरीब कोटे में प्रवेश लिया
सारसौल के रामनगर निवासी ने अपनी बेटी की आयु छह वर्ष दर्शाते हुए आवेदन किया। जीटी रोड स्थित स्कूल में सीट आवंटित हो गई। यू डायस पर छात्रा का डेटा चेक किया गया तो वह पिछले वर्ष एक अन्य स्कूल में प्रवेशित पाई गई। आयु आठ वर्ष थी। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर गरीब कोटे में प्रवेश लिया। बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसे सभी मामलों की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
ये है योजना
गरीब बच्चों को शिक्षा का समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजी स्कूलों में निश्शुल्क शिक्षा व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। प्रत्येक स्कूल में 25 प्रतिशत तक सीटें आवंटित की जा सकती हैं। बच्चों की पढ़ाई का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाता है, जो शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में संचालकों को सरकार देती है। निशुल्क शिक्षा के लालच में ऐसे अभिभावक भी अपने बच्चों को नामचीन स्कूलों में निश्शुल्क प्रवेश दिलाने के लिए प्रयायरत रहते हैं, जो दुर्बल आय वर्ग की श्रेणी में नहीं आते।
आरटीई में दुर्बल आय वर्ग को ही प्रवेश लेने का हक है। कई मामलों में आय व जन्मतिथि के प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए हैं। ऐसे काफी बच्चों के प्रवेश अस्थाई रूप से रोक दिए गए हैं। जांच की जा रही है, रिपोर्ट मिलने पर शासन को भेजी जाएगी, ताकि प्रवेश निरस्त किए जा सकें। - डा. राकेश कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी