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जटिलता के साथ गुजरे जीएसटी के दो सालः सरकार की झोली भरी, व्यापारियों की खाली aligarh news

नई कर व्यवस्था लागू करने के दौरान टैक्स चोरी रोकने के लिए एक अप्रैल 2018 से नेशनल ई-वेबिल लागू किया गया।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 01:00 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 06:27 PM (IST)
जटिलता के साथ गुजरे जीएसटी के दो सालः  सरकार की झोली भरी, व्यापारियों की खाली aligarh news
जटिलता के साथ गुजरे जीएसटी के दो सालः सरकार की झोली भरी, व्यापारियों की खाली aligarh news

मनोज जादौन, अलीगढ़ ।  देश में जीएसटी (वस्तु व सेवा कर) को लागू हुए सोमवार को दो साल पूरे हो जाएंगे। केंद्र सरकार ने सबसे बड़ी कर व्यवस्था में बदला किया था। यह व्यवस्था कारोबारियों के लिए जटिल ही साबित हुई। दो साल में कारोबारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालात ये हैं कि थ्री बी के मुकाबले जीएसटी आर वन आधे भी नहीं भरे गए। जीएसटी में महीने में तीन रिटर्न भरने का प्रावधान है। अव्यवस्थाओं का आलम ये है कि जीएसटी आर वन व आर टू तो लागू कर दिया गया है, मगर टू ए लागू नहीं किया गया है। इसी तरह थ्री बी लागू हो गया है, मगर थ्री लागू नहीं हो सका है। इन औपचारिकताओं के चलते जीएसटी आर नाइन (वार्षिक रिटर्न) की तिथि बार-बार बढ़ानी पड़ रही है।

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व्यवस्थाओं मे सेंध

प्रतिष्ठान या फर्म के पंजीकरण की व्यवस्थाओं में भी सेंध लगा दी गई है। अलीगढ़ में ही रामघाट रोड स्थित तालानगरी में उस भूखंड का पता दर्शाकर शातिर ने पंजीकरण ले लिया, जिसके नाम से सेक्टर व भूखंड संख्या ही नहीं है। सौरभ नाम का शातिर फर्जी फर्म व बिलिंग को लेकर जेल जा चुका है।

आरएफआइडी व्यवस्था नहीं हो सकी लागू

नई कर व्यवस्था लागू करने के दौरान टैक्स चोरी रोकने के लिए एक अप्रैल 2018 से नेशनल ई-वेबिल लागू किया गया। 50 हजार रुपये से अधिक के माल के आवागमन पर इसकी अनिवार्यता है। इसका सख्ती से लागू करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन (आरएफआइडी) चौकी स्थापित करने फैसला लिया था। इसका ट्रायल भी पूरा नहीं हुआ है।

अफसरों का नहीं बदला कैडर

कर व्यवस्था को लागू करने में जुटे अफसर भी सरकारों की लापरवाही के शिकार हैं। तमाम चुनौतियों व झंझावतों से जूझ रहे अफसर वैट के दौरान जिस कैडर से काम कर रहे थे, उसी में आज भी कर रहे हैं। इसमें बदलाव नहीं किया गया।

पंजीकरण की छूट 40 लाख हुई

वैट के दौरान पांच लाख सालाना टर्न ओवर वाले व्यापारियों को कर में छूट थी। जीएसटी में इसे बढ़ाकर पहले 20 लाख फिर 40 लाख रुपया कर दी। इससे व्यापारियों को राहत मिली है। 


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