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Aligarh news मानी परिक्रमा 84 कोस कदमों ने दिखाया जोश

हम परिंदे हैैं शाम को घोंसलों को देख लेंगे। दाना ना सही और पानी ना मिला कोई शिकवा नहीं सूरज को देखा था एक दिन ये रात भी देख लेंगे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 10:00 AM (IST)
Aligarh news मानी परिक्रमा 84 कोस कदमों ने दिखाया जोश
Aligarh news मानी परिक्रमा 84 कोस कदमों ने दिखाया जोश

संतोष शर्मा, अलीगढ़ : हम परिंदे हैैं शाम को घोंसलों को देख लेंगे। दाना ना सही और पानी ना मिला, कोई शिकवा नहीं सूरज को देखा था, एक दिन ये रात भी देख लेंगे। ऐ वक्त तू सुन हम भी फौलादी हैैं, ये जंग जीत लेंगे। हम तो राही हैैं। कभी किसी राह पर मुश्किल आती हैैं, अब यहां आ गईं। हम निपट लेंगे। हमारी यात्रा बहुत लंबी हो गई है। परंतु इरादों में थकान नहीं है। हमने मान लिया है कि ब्रज 84 कोस की परिक्रमा कर रहे हैैं, बस इसके बाद कदम खुद-ब-खुद जोश में आगे बढ़ रहे हैैं।  

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दिल्‍ली से पहुंचे अलीगढ़

एटा के कमलेश शनिवार रात दिल्ली से पैदल यात्रा कर अलीगढ़ पहुंचे। खेरेश्वर धाम के पास उनसे मुलाकात हुई। उनके साथ पत्नी और दो बच्चे भी थे। बताने लगे कि 18 मार्च को वैष्णो देवी दर्शन को पहुंचे थे। दर्शन ठीक से नहीं कर पाए थे कि जल्दी निकलने को कह दिया गया। जनता कफ्र्यू में 22 मार्च को दिल्ली में फंस गए। अगले दिन निकले तो हरियाणा पुलिस ने दिल्ली लौटा दिया। दो दिन वाहन नहीं मिल सके। इस बीच देश में लॉकडाउन हो गया तो आखिर 24 मार्च को पैदल निकल पड़े। तब से रुक-रुककर चल रहे हैैं। बच्चोंं के साथ इतना लंबा सफर मुश्किल हो जाता। ऐसे में उन्हें समझाया कि समझ लो, ब्रज में 84 कोस की परिक्रमा लगा रहे हैैं। उन्हें भी संतोष है। रास्ते में जहां कुछ मिल गया खा लिया।

हजारों की आ रही भीड़ 

अलीगढ़-कानपुर हाईवे पर जा रही हजारों लोगों की भीड़ में ऐसे भी बहुत से लोग हैैं, जो जोश से चल रहे हैैं। यात्रा को वो परिक्रमा मान खुद को ढाढ़स दे रहे हैैं। रेवाड़ी से छह साथियों के साथ लखमीपुर के लिए निकले पप्पू कहते हैैं कि अलीगढ़ से अभी करीब 600 किमी का सफर तय करना है। उनके साथ बरेली जा रहे विक्की की टोली का मानना था कि यह पदयात्रा भारत मां के लिए है।

84 की परिक्रमा

गाजियाबाद से अपने घर ताजपुर रठौरा (कन्नौज) पैदल ही जा रहे सर्वेश बताते हैं कि दादरी से बस में अलीगढ़ तक पहुंचे। यहां से वाहन नहीं मिला। अब पैदल यात्रा जा रहे हैैं। वह कहते हैैं कि नवदुर्गा में करौली धाम की यात्रा की तरह इसे स्वीकार कर लिया है। परिवार के 10 सदस्यों के साथ फरीदाबाद से पैदल कानपुर जाते रंजीत कुमार भी कहते हैैं कि मान लिया कि 84 कोस की परिक्रमा चल रही है। 

ये है गोवर्धन परिक्रमा

मथुरा, गोवर्धन व उसके आसपास के क्षेत्र को ब्रजभूमि कहा जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली है। ब्रज की 84 कोस की परिक्रमा लगती है। 


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