आज विक्टोरिया गेट के सामनेे कैप्सूल में सहेजा जाएगा सौ साल का इतिहास, जानिए क्या है मामला Aligarh news
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर इंतजामिया यूनिवर्सिटी के सौ साल के इतिहास को कैप्सूल में सहेजेगी। इसके लिए आन लाइन कार्यक्रम का आयोजन होगा। जिसे कुलपति प्रो. तारिक मंसूर संबोधित करेंगे।
अलीगढ़, जेएनएन : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर इंतजामिया यूनिवर्सिटी के सौ साल के इतिहास को कैप्सूल में सहेजेगी। इसके लिए आनलाइन कार्यक्रम का आयोजन होगा। जिसे कुलपति प्रो. तारिक मंसूर संबोधित करेंगे। कैप्सूल रखने की तैयारी पूरी कर ली है। कैप्सूल के अलावा इतिहास को क्लाउड स्टोरेज भी किया जाएगा।
डेढ़ टन से अधिक वजन का स्टील का कैप्सूल तैयार
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ऐतिहासिक विक्टोरिया गेट के सामने पार्क में कैप्सूल रखने के लिए 30 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया है। डेढ़ टन से अधिक वजन का स्टील का कैप्सूल तैयार किया गया है। इसमें यूनिवर्सिटी के सौ साल के सफर के हर गतिविधि को प्रिंट फारमेट में रखा गया है। सर सैयद ने मदरसा खोलने से लेकर एमएओ कालेज की स्थापना तक किस तरह संघर्ष किया। किस से क्या मदद ली? अंग्रेजों से कालेज स्थापना के लिए 74 एकड फौजी छावनी की जमीन कैसे मिली सभी को शामिल किया गया है। कालेज स्थापना सौ साल बाद 1920 में यूनिवर्सिटी कैसे बनी? तब से अब तक कितने कुलपति, कुलाधिपति रहे। दीक्षा समारोह व सर सैयद डे में कौन-कौन अधिकारी शामिल हुए उन्होंने क्या बाेला ये सारा इतिहास कैप्सूल में रखा गया है। एएमयू जनसंपर्क कार्यलय के अनुसार कैप्सूल में डिजिटल फार्म में कुछ नहीं रखा गया। क्योंकि तकनीक बदलती रहती है। अगले दस साल बाद कौनसी तकनीक विकसित हो ये किसी को नहीं पता। अगर डाटा को हम पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क आदि के रूप में रखें तो उसका इस्तेमाल कभी भविष्य में हो पाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस लिए पूरा इतिहास का डाटा क्लाउड स्टारेज भी कर रहे हैं। इसके लिए कई कंपनियों से बात चल रही है।
74 एकड़ फौजी छावनी में रखी गई थी नींव
सर सैयद अहमद खां ने 24 मई 1875 में सात छात्रों से मदरसा तुल उलूम के रूप में यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी। 8 जनवरी 1877 को 74 एकड़ फौजी छावनी में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज स्थापित किया। एमएओ कॉलेज को एएमयू में अपग्रेड करने के लिए तब के शिक्षा सदस्य सर मोहम्मद शफी ने 27 अगस्त 1920 को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में बिल पेश किया। काउंसिल ने इसे 9 सितंबर को दोपहर 12:03 बजे पारित किया। गवर्नर जनरल की सहमति भी मिली। एक दिसंबर को अधिसूचना जारी की गई और विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया। उसी दिन राजा महमूदाबाद पहले कुलपति नियुक्त किए गए। उद्घाटन 17 दिसंबर 1920 को स्ट्रेची हाल में हुआ। यूनिवर्सिटी के सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 22 दिसंबर को शताब्दी समारोह भी आयोजित किया। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल संबोधित किया था।
ये होता है टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल कंटेनर की तरह होता है, जिसे विशेष प्रकार के तांबे से बनाया जाता है। इसकी विशेषता ये है कि सालों तक खराब नहीं होता। उसे जमीन के अंदर गहराई में रखा जाता है। लंबाई करीब तीन फुट होती है। कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने बताया कि दिसंबर में यूनिवर्सिटी के सौ साल पूरे होने पर टाइम कैप्सूल जमीन में रखा जाएगा। इसमें यूनिवर्सिटी से जुड़ी हर जानकारी होगी। कमेटी का गठन कर दिया है, जो यह तय करेगी कि कैप्सूल को कहां और कितनी गहराई में रखा जाना है। दिल्ली के दो एक्सपर्ट की भी राय ली जा रही है।
ऐसे करते हैं क्लाउड सेवा का इस्तेमाल
एएमयू के कंप्यूटर सेंटर के सुधीर बंसल के अनुसार लोकल ड्राइव में उपलब्ध डाटा को एक्सेस करने के लिए किसी खास एप्लिकेशन की जरूरत नहीं होती। परंतु क्लाउड में उपलब्ध डाटा को किसी खास एप्लिकेशन के माध्यम से ही एक्सेस किया जा सकता है। क्लाउड स्टोरेज का उपयोग मोबाइल और कंप्यूटर दोनों जगह से कर सकते हैं। जिस तरह से ईमेल के लिए आईडी और पासवर्ड की जरूरत होती है उसी तरह क्लाउड सेवा के उपयोग के लिए आवश्यकता होती है। क्लाउड स्टोरेज सर्विस का उपयोग करने के लिए जरूरी है कि फोन, लैपटॉप, टैबलेट या अन्य डिवाइस में इंटरनेट सेवा एक्टिव हो। गूगल ड्राइव, आईक्लाउड, वनड्राइव, ड्राप बाक्स व अमेजन क्लाउड ड्राइव इत्यादि क्लाउड स्टोरेज सेवा हैं।