तीन तलाक बिल : एएमयू बिरादरी चाहती हटे सजा का प्रावधान Aligarh News
तीन तलाक बिल पास होने पर भले ही देशभर में जश्न मनाया जा रहा हो मगर यह एएमयू बिरादरी को रास नहीं आया है। शिक्षक व छात्रों का मनाना है कि बिल में सजा का प्रावधान गलत है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। तीन तलाक बिल पास होने पर भले ही देशभर में जश्न मनाया जा रहा हो, मगर यह एएमयू बिरादरी को रास नहीं आया है। शिक्षक व छात्रों का मनाना है कि बिल में सजा का प्रावधान गलत है। इसे हटाया जाना चाहिए।
महिलाओं का शोषण
एएमयू के लॉ डिपार्टमेंट के पूर्व चेयरमैन प्रो. शब्बीर ने तीन तलाक विधेयक के कुछ प्रावधानों से महिलाओं का शोषण बढऩे की बात कही है। कहा, टेलीफोन, टेलीग्र्राम अथवा फोन पर तत्काल तलाक महिलाओं के साथ ज्यादती है। मुस्लिम समाज ने हमेशा इसका विरोध किया है, पर महिला सशक्तीकरण के नाम पर विधेयक का दुरुपयोग होने का भी खतरा है। तलाक सिविल (नागरिक) श्रेणी में आता है, जिसमें फौजदारी का कानून लागू नहीं होना चाहिए। अगर कोई तलाक देता है कि तो उसे या तो माना जाए अथवा नहीं।
महिला को सामाजिक यातनाएं झेली पड़ेंगी
पति पर जुर्माना व सजा जैसे प्रावधानों से दुरुपयोग का खतरा है। पति के जेल जाने के बाद तीन बरस तक महिला व उसके बच्चों का पालन-पोषण कैसे होगा? महिला को सामाजिक यातनाएं झेली पड़ेंगी। इन्हीं तर्कों के आधार पर बुद्धिजीवी विरोध कर रहे हैं, पर बहुमत पर सरकार ने विधेयक को पास करा लिया है। संभव है कि मुस्लिम समाज इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे। प्रो. ने बताया कि इरान, इराक, टर्की, यमन, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे 54 देशों में तीन तलाक पर कानून बन चुका है, लेकिन वहां शरीयत कोर्ट में ही सुलह-समझौते पर जोर होता है। जेल, सजा, बेल जैसे प्रावधान नहीं हैं। प्रो शब्बीर ने कहा कि बिल के लाभ की बात करें तो जो सिरफिरे पुरुष गैरजरूरी तरीकों से तीन तलाक का प्रयोग कर रहे थे, उनके अंदर जरूर डर पैदा होगा।
बिल पास होना दुर्भाग्य
एएमयू विधि विभाग के ही प्रो. शकील समदानी का मानना है कि बिल का पास होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस कानून से परिवारों में बिखराव बढ़ेगा।तीन तलाक कानून से परिवार जोडऩे की जगह टूटेंगे।
तीन साल की सजा सही नहीं
एएमयू सुन्नी थियोलॉजी के पूर्व चेयरमैन डॉ. मुफ्ती जाहिद ए खान का कहना है कि बिल में तीन साल की सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए। महिलाओं को सच्ची आजादी तो तब मिलती, जब सरकार जेल जाने वाले व्यक्ति की पत्नी व बच्चों का ख्याल रखती। सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।
तीन तलाक इतना बड़ा मसला नहीं
एएमयू सुन्नी थियोलोजी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नदीम अशरफ ने कहा कि सरकार मुस्लिम महिलाओं के प्रति इतनी ही गंभीर है तो उनकी शिक्षा पर भी ध्यान दे। महिलाएं कैसे आगे बढ़ें, इस पर भी बात होनी चाहिए। तीन तलाक इतना बड़ा मसला नहीं हैं।
अपराध की श्रेणी में लाना गलत
एएमयू के छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष हम्जा सूफियान ने कहा कि यह धार्मिक मसला है। इसे अपराध की श्रेणी में नहीं ला सकते। है। तमाम लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी बीवियों को छोड़ रखा है। मेरे विचार से ऐसा बिल लेकर आएं, जिसमें सभी एक प्लेटफार्म पर खड़े हों अब तो मर्द डर के चलते बिना तलाक के भी बीवी को छोड़ देगा।
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