अलीगढ़ में महीनों से अटके पड़े हैं हजारों मृत्यु व जन्म प्रमाण पत्र, पब्लिक हो रही परेशान
केंद्र व प्रदेश सरकार एक ओर डिजिटल इंडिया का नारा बुलंद कर रही है वहीं दूसरी ओर सरकारी मशीनरी इस व्यवस्था को पलीता लगा रही है। अब ऑनलाइन जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र समय से जारी करने की व्यवस्था बेदम हो गई है।
अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। केंद्र व प्रदेश सरकार एक ओर डिजिटल इंडिया का नारा बुलंद कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी मशीनरी इस व्यवस्था को पलीता लगा रही है। अब ऑनलाइन जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र समय से जारी करने की व्यवस्था बेदम हो गई है। जिले में हजारों प्रमाण पत्र अटके पड़े हैं। सौ से ज्यादा ग्राम पंचायतों को अब तक आइडी-पासवर्ड तक नहीं मिले हैं। लोग प्रमाण पत्र न मिलने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहा हैं।
पहले थे ई-गवर्नेंस में
प्रदेश सरकार पिछले कई सालों से ई-गवर्नेंस के माध्यम से मृत्यु व जन्म प्रमाण पत्र जारी करा रही थी। इसमें जन सेवा केंद्र के माध्यम से आवेदन करना होता था। इसके बाद यह आवेदन ई-गवर्नेंस में पहुंचता था। वहां से इसे संबंधित ब्लॉक के एडीओ पंचायत को भेजा जाता था। एडीओ पंचायत संबंधित सचिव से रिपोर्ट मांगते हैं,रिपोर्ट लगते ही आवेदक संबंधित जन सेवा केंद्र से अपना प्रमाण पत्र निकाल लेते थे।
अब नई व्यवस्था
इस साल की शुरुआत में ही जनवरी से सरकार ने इसके लिए नई व्यवस्था शुरू कर दी है। ई-गवर्नेंस को खत्म कर सीधे सचिवों को प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दे दिया है। इसमें आवेदक को सीधे तौर पर कागजात देने होते हैं। इसके बाद संबंधित सचिव संबंधित ग्राम पंचायत से ही ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनाकर आवेदक को दे देता है। सभी सचिवों को सीएमओ कार्यालय से आइडी पासवर्ड दे दिए जाते हैं।
शुरू नहीं हुआ काम
जिले में 878 ग्राम पंचायतें हैं, इनमें से अब तक सौ से अधिक पंचायतों को प्रमाण पत्र बनाने के लिए आइडी पासवर्ड ही नहीं मिले हैं। ऐसे में इन पंचायतों के सचिव प्रमाण पत्र भी नहीं बना रहे हैं। हर पंचायत में दर्जनों आवेदन लंबित पड़े हैं। वहीं, सरकारी योजनाओं के लाभ में मृत्यु व जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य हैं।
वसूली का खेल : जिन पंचायतों में आइडी पासवर्ड मिल चुके हैं, इनमें कुछ में वसूली का खेल चल रहा है। पांच-दस रुपये की फीस की जगह 300 से 400 रुपये तक लिए जा रहे हैं। इससे भी जनता परेशान हैं।
प्रमाण पत्र नहीं मिला
जवां ब्लॉक के छेरत निवासी देवेश गौड़ ने जुलाई में अपनी मौसी शंकलपुरी की मौत के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन इतना समय गुजरने के बाद भी अब तक इन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिला है। यह कई बार सचिव से लेकर पंचायत राज विभाग तक के चक्कर लगा चुके हैं।
अफसरों के चक्कर लगा-लगा के परेशान
धनीपुर ब्लॉक की प्रेमलता ने पांच महीने पहले मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब तक यह प्रमाण पत्र नहीं मिला है। इसके चलते इन्हें पारिवारिक लाभ योजना व सड़क दुर्घटना बीमा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह अफसरों के चक्कर लगा-लगा के परेशान हैं।
जिले में कुछ पंचायतों को अभी आइडी पासवर्ड नहीं मिले हैं, इसके चलते लोगों को दिक्कतें आ रही हैं। सीएमओ कार्यालय से यह जारी किए जाते हैं।
पारुल सिसौदिया, डीपीआरओ