Lockdown में धारावाहिक चाणक्य के इस गीत से युवाओं में बढ़ा देशभक्ति का जुनून Aligarh News
राष्ट्र भक्ति गीत हम करें राष्ट्र आराधन तन से मन से धन से तन-मन-धन जीवन से फिलवक्त टीवी के जरिये घर-घर में गूंज रहा है। इसके रचयिता अलीगढ़ के मूर्धन्य विद्वान रहे डॉ. विश्वन
अलीगढ़ [ प्रदीप व्यास ] : राष्ट्र भक्ति गीत 'हम करें राष्ट्र आराधन, तन से, मन से, धन से, तन-मन-धन जीवन से' फिलवक्त टीवी के जरिये घर-घर में गूंज रहा है। इसके रचयिता अलीगढ़ के मूर्धन्य विद्वान रहे डॉ. विश्वनाथ शुक्ल हैं। लॉकडाउन के बीच दूरदर्शन पर लोकप्रिय धारावाहिक चाणक्य की भी शुरुआत की गई है। ये आधे घंटे का सीरियल रामायण के बाद रात 10 बजे शुरू होता है। इसमें ये अमर गीत समय-समय पर सुनाई देता है।
आरएसएस की शाखाओं में गाया जाता था ये गीत
अलीगढ़ के भारती नगर में रहने वाले एएमयू के हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. विश्वनाथ शुक्ल ने यह गीत आजादी से पहले 1945 में रचा था। तब गोरों के खिलाफ आक्रोश था, पर लिखने की आजादी नहीं थी। देश की आजादी के बाद यह गीत आरएसएस की शाखाओं में गाया जाने लगा। डॉ. शुक्ल ने हिंदी ब्रजभाषा, गुजराती व संस्कृत में तमाम गीत व कविताएं लिखीं। यह गीत 1977 में प्रकाशित डॉ. शुक्ल के कविता संग्रह 'मैं मेरा देश परिवेश में' प्रकाशित किया गया। 1991 में डॉ. चंद्रशेखर द्विवेदी ने अपने चाणक्य सीरियल की शुरुआत ही इस गीत से की। सीरियल में कई बार बीच-बीच में ये गीत गूंजा और समापन भी इसी गीत से हुआ। इसके लिए डॉ. शुक्ल को देश भर में सराहना मिली और सम्मान भी। महाकवि गोपालदास नीरज ने भी कहा था कि राष्ट्रीय चेतना से संपन्न शुक्लजी की कविताएं देशभक्तों का कंठाहार बन चुकी हैं।
गीतकार रवींद्र जैन ने भी की थी प्रशंसा
महान गीतकार रवींद्र जैन ने भी इस गीत की मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी। लॉकडाउन के बीच फिर से ये धारावाहिक चाणक्य लोकप्रिय बना हुआ है। लॉकडाउन के दौरान गीत 'हम करें राष्ट्र आराधन, तन से, मन से, धन से, तन-मन-धन जीवन से...' युवाओं में देशभक्ति का जुनून भर रहा है। साथ ही युवा पीढ़ी एक बार फिर धारावाहिक चाणक्य को देख रहे हैं।
गीतकार रवींद्र जैन ने ऐसे की थी प्रो विश्वनाथ शुक्ल के गीत की सराहना