अलीगढ़ में कंपनी को भुगतान न करने से बंद है तीस फीसद स्ट्रीट लाइट
रोशनी के पर्व दीपावली पर इस बार भी शहर की सड़कें झालरों व पटाखों की रोशनी के भरोसे ही जगमगाएंगी। जिम्मेदार महकमों ने सड़कों को रोशन करने के खास इंतजाम नहीं किए हैं। एलईडी की व्यवस्था 8.50 करोड़ के भुगतान की रार में बेपटरी हो चुकी है।
अलीगढ़, लोकेश शर्मा। रोशनी के पर्व दीपावली पर इस बार भी शहर की सड़कें झालरों व पटाखों की रोशनी के भरोसे ही जगमगाएंगी। जिम्मेदार महकमों ने इस त्योहार पर भी सड़कों को रोशन करने के खास इंतजाम नहीं किए हैं। एलईडी (स्ट्रीट लाइट) की व्यवस्था 8.50 करोड़ के भुगतान की रार में बेपटरी हो चुकी है। इसमें 2.40 करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम को करना है। 6.10 करोड़ रुपये शासन स्तर से कंपनी को दिए जाने है, जो नगर निगम की संस्तुति के बिना मुमकिन नहीं और संस्तुति मिल नहीं रही है। निगम ने जियो टैगिंग की शर्त रख दी है, जिससे पता चल सके कि कंपनी जितनी लाइट लगाने का दावा कर रही है, वो सही भी हैं कि नहीं। कंपनी का कहना है कि लाइट लगाने के बाद सत्यापन करा चुके हैं। नगर निगम व कंपनी के आपसी द्वंद्व में सड़कों पर आम लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ रही हैं। 30 फीसद लाइट खराब पड़ी हैं।
कंपनी से ये था करार
नगर निगम ने बिजली का खर्च बचाने के लिए सोडियम व हाईमास्ट लाइट के स्थान पर एलईडी लाइट लगवाई थीं। इन्हें लगाने से लेकर रखरखाव का ठेका सरकार ने ईईएसएल कंपनी को दिया था। ईईएसएल ने इयोन कंपनी को शामिल कर काम बांट लिया।
हरिद्वार से एलईडी की आपूर्ति
इयोन कंपनी अपनी लाइट बनाती है। हरिद्वार में कंपनी की फैक्ट्री है। यहीं से शहर में एलईडी की आपूर्ति होती है। भुगतान न होने से आपूर्ति रोक दी गई। लॉकडाउन के बाद कम वाट की एलईडी की आपूर्ति हुई थी, लेकिन सड़कों पर लगाई जाने वाली 120 वाट की एलईडी नहीं भेजी गईं। शहर के विभिन्न इलाकों से एलईडी खराब होने की शिकायतें आने लगीं। जो सही हो सकती हैं, उन्हें तो कंपनी के कर्मचारी ठीक कर रहे हैं। बाकी को यह आश्वासन देकर छोड़ आते हैं कि आपूर्ति होने पर एलईडी बदल दी जाएंगी।
निगम से करार
2015 में 24 फरवरी को ईईएसएल का नगर निगम से पहला अनुबंध।
14197 एलईडी शुरुआती दौर में कंपनी ने लगाईं।
2018 में 27 दिसंबर को निगम से हुआ दूसरा अनुबंध।
19705 एलईडी शहर के बाकी हिस्सों में लगीं।
33902 एलईडी लगाने का कंपनी कर रही दावा।
22000 एलइडी शहर में लगने की बात कर रहा निगम
भुगतान पर रार
8.50 करोड़ रुपये का भुगतान न होने से बिगड़ी व्यवस्था।
6.10 करोड़ रुपये निगम की संस्तुति पर कंपनी को मिलेंगे शासन से।
2.40 करोड़ रुपये का भुगतान निगम को करना है कंपनी को।
यह है व्यवस्था
30 फीसद बिजली बचत का भुगतान कंपनी को करता है निगम।
70 फीसद बिजली बचत का हिस्सा शासन से कंपनी को मिलता है।
50 लाख रुपये करार से पूर्व विद्युत बिल के देता रहा है निगम।
6.25 करोड़ का पुराना भुगतान 2019 में कर चुका है निगम।
शिकायतें भी खूब
35-40 शिकायत प्रतिदिन स्ट्रीट लाइट की निगम के कंट्रोल रूम पर आती हैैं।
15 शिकायतों का भी नहीं हो पा रहा निस्तारण।
30 फीसद एलईडी खराब हैं सड़कों पर।
दिए हैं निर्देश
नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल का कहना है कि स्ट्रीट लाइट खराब होने की शिकायतों पर तत्काल एक्शन लिया जा रहा है। जियो टैगिंग कराने के साथ खराब लाइट ठीक कराने व नई लाइट लगाने के निर्देश हैं। ईईएसएल के प्रोजेक्ट इंजीनियर मृगेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि शिकायतों का निस्तारण हो रहा है। इसके लिए टोल फ्री नंबर (18001803580) दिया हुआ है। कंपनी अब तक 33902 एलईडी लगा चुकी हैं। भुगतान न होने से कई काम रुके हुए हैं।