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वे नाराज हैं क्योंकि यूनिवर्सिटी में कभी -कभी ऐसे सुर सुनाई देते हैं जो उचित नहीं होते Aligarh news

भाजपा के नाम पर छात्र विरोध में खड़े हो जाते हैं। इस तकरार की वजह से इंतजामिया भी चाहकर भाजपा के किसी नेता को कैंपस में बुलाने में सफल नहीं रहा।

By Parul RawatEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 09:06 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 01:00 PM (IST)
वे नाराज हैं क्योंकि यूनिवर्सिटी में कभी -कभी ऐसे सुर सुनाई देते हैं जो उचित नहीं होते Aligarh news
वे नाराज हैं क्योंकि यूनिवर्सिटी में कभी -कभी ऐसे सुर सुनाई देते हैं जो उचित नहीं होते Aligarh news

अलीगढ़, जेएनएन। एएमयू व भाजपा के संबंध सकारात्मक नहीं रहे हैं। भाजपा के नाम पर छात्र विरोध में  खड़े  हो जाते हैं। इस तकरार की वजह से इंतजामिया भी चाहकर भाजपा के किसी नेता को कैंपस में बुलाने में सफल नहीं रहा। गुरुवार को इंतजामिया ने जेएन मेडिकल कॉलेज के परीक्षा केंद्र का केंद्रीय शिक्षा मंत्री से उद्घाटन कराकर नई इबारत लिखने का काम किया। मंत्री ने देशभक्ति पर जिस तरह एएमयू की तारीफ की, उससे भी साफ हो गया कि सरकार क्या  सोचती  है? मंत्री के बयान पर कुछ लोग  भड़के  हुए हैं। उनकी नाराजगी जायज भी हो सकती है, क्योंकि यूनिवर्सिटी में कभी-कभी ऐसे सुर सुनाई देते हैं जो उचित नहीं होते। इन्हीं बातों को लेकर स्थानीय भाजपाई भी मुखर रहते हैं। मंत्री के बयान के बाद अब इंतजामिया और छात्रों की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है? कि वे सरकार से संबंधों को गहराई तक ले जाने का प्रयास करें।

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एएमयू में ये दुस्साहस

एएमयू में कट्टा कल्चर से हर कोई वाकिफ है। छात्रसंघ चुनाव के समय इसकी गूंज सुनाई दे ही जाती है। पिछले दिनों  सूने  कैंपस में हुई फायरिंग ने सबको हिलाकर रख दिया। जिसने भी आरएम हॉल के पास  ताबड़तोड़  फायरिंग के बारे में सुना, हैरान रह गया। सभी का एक ही सवाल था कि छात्र तो हैं नहीं, फायरिंग कौन कर गया? बाद में पता चला कि ठेकेदार ही आपस में  भिड़  गए। इस पर इंतजामिया को मंथन करना होगा। कैंपस के अंदर अगर ठेकेदार  फायरिंग  करेंगे तो छात्रों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक भी चिंतित होंगे। ऐसे लोगों को कैंपस से बाहर करना होगा, जो माहौल को खराब कर रहे हैं। कैंपस में शांति से बढ़कर कोई चीज नहीं हो सकती। कैंपस खुलने से पहले सुरक्षा की सुरक्षा व्यवस्था को और चाक-चौबंद करने की जरूरत है। गेट पर उन्हीं लोगों को प्रवेश मिलना चाहिए, जो कैंपस से  जुड़े  हों।

ऐसे में जनता की कौन सुनेगा

महापौर कह रहे हैं कि नगर निगम में जनता की कोई सुनने वाला नहीं है तो ङ्क्षकतु-परंतु की गुंजाइश नहीं बचती। ये पहली बार नहीं हुआ, जब महापौर नगर निगम के खिलाफ खुलकर बोले हों। जब भी उन्हें मौका मिला, चुप नहीं बैठे। इससे ये भी पता चलता है कि महापौर और नगर निगम अफसरों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। या तो महापौर की बात निगम के अफसर सुनते नहीं हैं या वो कुछ ऐसा कराना चाहते हैं जो अफसरों के बूते की बात नहीं है। कारण जो भी हों, लेकिन दोनों के बीच शुरू हुए इस द्वंद्व का परिणाम जनता को ही भुगतना  पड़  रहा है। जरा सी बारिश होने पर शहर पानी-पानी हो जाता है। सर सैयद,  धौर्रामाफी  जैसे पॉश इलाके में सफाई व्यवस्था बेपटरी है। ऐसे में नगर निगम व महापौर को जरूरत है कि वे आपस में न उलझें। जनता की समस्याओं पर ध्यान दें।

पुलिस मास्क भी  लगवाएगी

जिले में कोरोना के मरीजों की संख्या हर रोज सौ को पार कर रही है। इससे जिला प्रशासन की चिंता बढ़ रही है कि यही हालात रहे तो अस्पतालों में बेड की संख्या में भी इजाफा करना पड़ेगा। इसके बाद भी लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे। उन्हें न मास्क लगाने की  चिंता  है, न शारीरिक दूरी का पालन करने की। शुक्रवार को  बारहद्वारी  चौराहे पर पुलिस को मास्क न लगाने वाले दोपहिया वाहन चालकों का चालान काटते देखकर हैरानी हुई। क्या मास्क तभी लगाएंगे जब पुलिस टोकेगी? हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। अपने परिवार की सेहत की भी हमें  फिक्र  नहीं हैं। यातायात नियमों का हमने पालन नहीं किया तो सरकार को कई गुना जुर्माना राशि बढ़ानी पड़ी। कोरोना के प्रति भी ऐसी लापरवाही कर रहे हैं। कोरोना के बढ़ते केसों के लिए हम ही जिम्मेदार हैं। अभी न जागे तो हालात और भी खराब हो सकते हैं।


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