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ये गूंज बड़ी प्यारी, सूनी गोद में किलकारी Aligarh News

खुर्जा की शाबिस्ता ने कुछ ऐसा सुना कि अकेले में सुबक-सुबक कर रोईं। बात कोई और नहीं सूनी गोद की थी। अब सब बदला हुआ है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 09:30 AM (IST)
ये गूंज बड़ी प्यारी, सूनी गोद में किलकारी Aligarh News
ये गूंज बड़ी प्यारी, सूनी गोद में किलकारी Aligarh News

संतोष शर्मा, अलीगढ़ : खुर्जा की शाबिस्ता ने कुछ ऐसा सुना कि अकेले में सुबक-सुबक कर रोईं। बात कोई और नहीं सूनी गोद की थी। अब सब बदला हुआ है। आंगन में किलकारी से पहले ही घर में तराने गूंज रहे हैैं। सबको बेसब्री से इंतजार है एक छोटे मेहमान का, जो जल्द आने वाला है।

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दो लाख का बताया खर्च

शाबिस्ता की शादी के 18 माह बाद तक गोद सूनी थी। ऐसे में डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंंने कहा कि वह इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) तकनीक अपनाएं। निजी अस्पताल में लगभग पौने दो लाख रुपये का खर्च बताया। इतना खर्च कर पाना परिजनों के लिए संभव नहीं था। इस बीच एक रिश्तेदार ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जेेएन मेडिकल कॉलेज की असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्निक (एआरटी) यूनिट में आइवीएफ सुविधा होने की जानकारी दी। बताया कि वहां 80 हजार रुपये में इलाज हो जाएगा। परिजन इसके लिए तैयार हो गए। अब अगले माह उनके आंगन में किलकारी गूंजने का इंतजार किया जा रहा है। वैसे शाहिस्ता ही नहीं वर्ष 2017 में यहां आइवीएफ सुविधा शुरू होने के बाद 60 से अधिक घरों के आंगन में खुशियां आ गईं। मेडिकल कॉलेज में सोमवार को ऐसे केस पर परामर्श दिया जाता है।

क्या है आइवीएफ तकनीक

एक आइवीएफ प्रक्रिया से कई भ्रूण प्राप्त किए जा सकते हैं, जिन्हें कई बार गर्भाशय में स्थानांतरित किया जा सकता है।

कई जिलों के आते हैैं मरीज 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आइवीएफ सुविधा वाला मेडिकल कॉलेज में पहला अस्पताल है। ऐसे में हाथरस, मथुरा, एटा, बरेली, बदायूं, खुर्जा, बुलंदशहर, मुरादाबाद, रामपुर के दंपती यहां ज्यादा आते हैं। अब दूसरे प्रदेशों से भी इन्क्वायरी आनी शुरू हो गई हैैं।

मंत्रालय सेे भवन बनाने की अनुमति

यूनिट की सफलता को देखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यूनिट के लिए अलग से भवन बनाने के लिए बजट जारी कर दिया है, अभी यह ट्रोमा सेंटर की बिल्डिंग में चल रहा है।

14 साल बाद गूंजी किलकारी

एएमयू में कार्यरत एक कर्मचारी की पत्नी ने जून में बेटे को जन्म दिया था। जच्चा-बच्चा दोनों ठीक हैं। शादी के 14 साल बाद उन्हें खुशी नसीब हुई। महिला ने बताया कि आइवीएफ तकनीक से उनकी जिंदगी में खुशियां भर दीं। यहां इलाज तो सस्ता मिल ही रहा है, स्टाफ का व्यवहार भी अच्छा है।

एआरटी यूनिट में सस्ता इलाज

स्त्री प्रसूति रोग विभाग में प्रो.शाहीन अंजुम का कहना है कि संतान सुख से वंचित दंपतियों के लिए आइवीएफ वरदान है। एआरटी यूनिट में इलाज सस्ता है। टेस्ट ट्यूब में भ्रूण तैयार करने में तीन से पांच दिन लगते हैं, जिन्हें बाद में गर्भाशय में रखा जाता है।  

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