गोशालाओं के लिए नहीं जगी अलख, इन चीजों का सही नहीं हो पा रहा सदुपयोग Aligarh news
अलीगढ़ जेएनएन। प्रदेश सरकार ने गोशालाओं को समृद्ध करने को गोबर और गोमूत्र आदि का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया था। गोबर से गोकाष्ठ और गोमूत्र से दवाएं बनाने की बात थी। मगर यह दोनों योजना परवान नहीं चढ़ सकी।
अलीगढ़, जेएनएन। प्रदेश सरकार ने गोशालाओं को समृद्ध करने को गोबर और गोमूत्र आदि का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया था। गोबर से गोकाष्ठ और गोमूत्र से दवाएं बनाने की बात थी। मगर यह दोनों योजना परवान नहीं चढ़ सकी। इसके चलते गोशालाओंबा की बहुत अच्छी तरह से समृद्ध नहीं किया जा सका है।सीएम योगी ने उठाया था महत्वपूर्ण कदम
प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने महत्वपूर्ण कदम उठाया था। उन्होंने छुट्टा घूम रहे गोवंश के लिए गोशाला बनवाने का निर्णय लिया था। यह ऐतिहासिक कदम था। क्योंकि अब तक किसी भी सरकार ने गौशालाओं को समृद्ध नहीं किया। छुट्टा गोवंश के लिए कुछ नहीं किया और वह इधर उधर घूमा करते थे। मगर प्रदेश सरकार ने गोशालाएं बनवा कर गाय और बछड़ों को चारे पानी की व्यवस्था की। उन्हें रहने की ठीक व्यवस्था की। सलाह दी कुछ गोशालाओं में अवस्थाएं अभी भी हैं। इसी के साथ सरकार ने गौशालाओं को समृद्ध करने के लिए गोबर से गोकाष्ठ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कराई थी। सरकारी गोशालाओं में तो यह नहीं हो सका। समाजसेवियों ने इस ओर कदम जरूर बढ़ाया। अकराबाद में रामतीर्थ गोशाला में गाय के गोबर से गोकाष्ठ का निर्माण कार्य शुरू हुआ। मगर उसकी डिमांड ना होने के कारण बिक्री नहीं हो पाई। लोगों को प्रोत्साहित करने का भी काम नहीं किया गया, जिससे गोकाष्ठ गौशालाओं में ही कैद होकर रह गए, जबकि प्रदेश सरकार के पास योजनाएं थीं। होलिका दहन के समय लकड़ी पर रोक लगानी चाहिए थी और गोकाष्ठ का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए था। सभी को निर्देश देना चाहिए कि होलिका दहन में गोकाष्ठ का ही प्रयोग किया जाएगा। यह एक क्रांति के रूप में होती और बहुत बड़ा बदलाव होता होलिका दहन में पेड़ पौधे भी कटने से बच जाते।
प्राइवेट गोशालाओं ने भी नहीं बढ़ाया कदम
एक दो गोशालाओं में गोकाष्ठ का प्रयोग तो हुआ लेकिन जब इसका लाभ नहीं मिला तो प्राइवेट गोशाला में भी इस ओर कदम नहीं बढ़ाया गया। इसमें सबसे बड़ा सहयोग प्रदेश सरकार को ही करना चाहिए था, जिससे लोगों का उत्साह बढ़ता और अधिक से अधिक लोग गोकाष्ठ का प्रयोग करते। उधर गोमूत्र से दवाएं बनवाने का भी काम नहीं हो सका। यह योजना भी परवान नहीं चढ़ पाई। तमाम गौशालाओं में आज भी गोमूत्र का प्रयोग नहीं हो रहा है। वह गौशालाओं में बर्बाद हो रहा है, उसे एकत्र करने का कोई रास्ता ही नहीं मालूम है। जबकि योग गुरु बाबा रामदेव गोमूत्र से तमाम दवाएं बनवा रहे हैं, प्रदेश सरकार को ठोस कदम उठाना पड़ेगा और सामाजिक चेतना की भी जरूरत है।