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बात-बात में रिश्‍तों में आ रही दरार, एकल परिवार की ओर भाग रही पीढ़ी Aligarh news

आजकल रिश्तों की डोर कमजोर होती जा रही है। बात-बात में रिश्तों में दरार आ जाती है। एकल परिवार की ओर युवा पीढ़ी भाग रही है। ऐसे में परिवार को एकसूत्र में पिरोने के लिए कुटुंब प्रबोधन परिवार काम कर रहा है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 03:54 PM (IST)
बात-बात में रिश्‍तों में आ रही दरार, एकल परिवार की ओर भाग रही पीढ़ी Aligarh news
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की ओर से मंगल संवाद कार्यक्रम नंदकिशोर के आवास पर संपन्न हुई।

अलीगढ़, जेएनएन। आजकल रिश्तों की डोर कमजोर होती जा रही है। बात-बात में रिश्तों में दरार आ जाती है। एकल परिवार की ओर युवा पीढ़ी भाग रही है। ऐसे में परिवार को एकसूत्र में पिरोने के लिए कुटुंब प्रबोधन परिवार काम कर रहा है। वह संयुक्त परिवार के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है। साथ में भजन-कीर्तन, भोजन आदि के लिए कुटुंब प्रबोधन प्रोत्साहित करता है, इससे लोगों के अंदर भारतीय संस्कार जुड़ी रहे।

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संवाद कार्यक्रम में जुटे राष्‍ट्रीय सेवक संघ के सदस्‍य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की ओर से मंगल संवाद कार्यक्रम नंदकिशोर के आवास पर संपन्न हुई। कुटुंब प्रबोधन संयोजक महानगर डा. दिनेश शर्मा ने श्रीराम चरितमानस के प्रसंग का वर्णन किया। श्री रामचंद्रजी रावण का वध करके अयोध्या लौटे तो उनके साथ पूरी सेना थी। राज्याभिषेक के बाद प्रभु श्रीराम ने सभी को अपने अपने गंतव्य पर जाने के लिए आग्रह किया। सभी प्रभु के आग्रह को पाकर चले गए। शेष युवराज अंगद और हनुमानजी ही बचे थे, जब अंगद जी को जाने का आग्रह प्रभु श्रीराम ने किया तो उन्होंने हाथ जोड़कर अश्रुपूर्ण भाव से प्रार्थना की...

सो तुम जानौ अंतर्यामी, प्रभुहि मोरि मनोरथ स्वामी, मोरे तुम प्रभु गुरु पितु माता, जाऊं कहां तजि पर जल जाता, बालक ज्ञान बुद्धि बल हीना, राखउ नाथ शरण जन हीना, मोरि सुधारहि सो सब भांती, जासु कृपा नहिं कृपा अघाति इसपर प्रभु श्रीराम भावुक हो गए। दया के सागर प्रभु ने अपनी अद्भुत मणि माला पहनाकर भाव से अंगद को विदा किया। डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि जो अंगद प्रभु श्रीराम की आज्ञा पाकर रावण के दरबार में पहुंचते हैं और महाबलशाली रावण को चुनौती दे देते हैं, वही अंगद प्रभु श्रीराम के सामने कहते हैं कि मोरे तुम प्रभु गुरु पितु माता, जाऊं कहां तजि पर जल जाता कह कर सहज और सरल बन जाते हैं। विनती और निवेदन करने लगते हैं, ऐसे में वह अपने बल को स्थिर कर लेते हैं और रावण के सामने विशाल आकार दे देते हैं। एक सच्चे भक्त की यही परिकल्पना होती है। वह भगवान के सामने में सूक्ष्म बन जाता है और असुरों के सामने विशाल बन जाता है। कुटुंब प्रबोधन मंगल संवाद कार्यक्रम में मातृशक्ति दुर्गेश बहन, अधिवक्ता सुधा बहन, मनीष वार्ष्णेय, नरेंद्र कुमार जी सह संयोजक महानगर ,सुशील कुमार जी सह संयोजक, मुकेश अग्रवाल जी, बी के गोस्वामी मनोज कुमार शर्मा, राकेश कुमार जी, जितेंद्र गुप्ता एवं दीपेश कुमार आदि थे।


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