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फिर शुरू हुई ठेका प्रथा, निजी हाथों में भर्तियों की बागडोर सौंप रहा निगम

नगर निगम में ठेका प्रथा फिर से शुरू हो रही है। सरकारी संस्था शहरी आजीविका केंद्र से कर्मचारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी छीन कर निजी कंपनियों को देने की तैयारी है। जेम पोर्टल के जरिए निजी कंपनियां ठेका लेकर कर्मचारी उपलब्ध कराएंगी।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 01:35 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 01:44 PM (IST)
फिर शुरू हुई ठेका प्रथा, निजी हाथों में भर्तियों की बागडोर सौंप रहा निगम
नगर निगम में ठेका प्रथा फिर से शुरू हो रही है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। नगर निगम में ठेका प्रथा फिर से शुरू हो रही है। सरकारी संस्था शहरी आजीविका केंद्र से कर्मचारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी छीन कर निजी कंपनियों को देने की तैयारी है। जेम पोर्टल के जरिए निजी कंपनियां ठेका लेकर कर्मचारी उपलब्ध कराएंगी। फिलहाल निगम में सफाई कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर भर्ती हो रही है। निगम अफसरों ने जेम पोर्टल के जरिए भर्ती करने का निर्णय लिया है।

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खाली पदों पर होने लगीं नियुक्‍तियां

सरकारी महकमों में ठेका प्रथा पर अंकुश लगने के बाद आउटसोर्सिंग (कार्यदायी संस्था) के जरिए खाली पदों पर कर्मचारियों की नियुक्तियां होने लगीं। अलीगढ़ में शहरी आजीविका केंद्र (सीएलएसी) को ये जिम्मेदारी दी गई। एक जुलाई, 2018 को तत्कालीन नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल ने सीएलसी की मदद से सफाई कर्मचारी, सामान्य कर्मचारी व निगम के अन्य विभागों को कर्मचारी उपलब्ध कराए। स्मार्ट सिटी को भी इसी संस्था के जरिए कर्मचारी दिए गए। कृषि विभाग, उद्यान विभाग में भी सीएलसी से उपलब्ध कर्मचारी लगे हुए हैं। कर्मचारियों को पीएफ का लाभ भी मिल रहा है। अब नगर निगम ने भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया है। कर्मचारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सीएलसी से हटाकर निजी कंपनियों को देने की तैयारी है। वर्तमान में एक हजार आठ अाउटसोर्सिंग सफाई कर्मी नगर निगम में नियुक्त हैं। 489 सफाई कर्मियों की भर्ती और होनी है। इसके लिए जेम पोर्टल पर टेंडर डाला जाएगा। सीएलसी भी जेम पोर्टल पर टेंडर डाल सकेगा। नगर आयुक्त गौरांग राठी का कहना है कि जेम पोर्टल के माध्यम से सफाई कर्मचारियों की भर्ती पारदर्शी व निष्पक्ष रूप से की जाएगी। इसके लिए वित्त विभाग से परामर्श लिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि सफाई कर्मचारियों की सीधी भर्ती की बात गलत है। इस तरह की भ्रामक अफवाह के संबंध में कोई भी व्यक्ति हेल्पलाइन नंबर (9105053401) पर शिकायत कर सकता है।

नहीं बने ईएसआइ कार्ड

स्वच्छता निरीक्षकों की लापरवाही से कई आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के ईएसआइ कार्ड नहीं बन सके हैं। इसके चलते वह निश्शुल्क उपचार नहीं करा पा रहे। कर्मचारियों के मानदेय से प्रतिमाह पीएफ के अलावा ईएसआइ के मद में पैसा कटता है, लेकिन ईएसआइ का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा। कोरोना काल में भी वे निश्शुल्क उपचार नहीं करा सके थे। अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार गुप्त ने कार्यवाहक नगर स्वास्थ्य अधिकारी मनोज प्रभात को कर्मचारियों का कार्ड बनवाने के कड़े निर्देश दिए हैं।


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