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जिसने क्रांतिकारी ने देश के लिए जान गवांई उसे नसीब नहीं हुई देश की माटी, जानिए कौन है वह Aligarh news

जतन चौधरी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में ऐसे भी कई सिपाही थे जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए पर वह आजाद भारत में वह स्थान प्राप्त नहीं कर पाए जो बाकी क्रांतिकारियों को हासिल हुआ।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 05:19 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 07:29 PM (IST)
जिसने क्रांतिकारी ने देश के लिए जान गवांई उसे नसीब नहीं हुई देश की माटी, जानिए कौन है वह Aligarh news
परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में महान क्रांतिकारी शहीद मदनलाल ढींगरा की 138 वीं जयंती मनाई गई।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में महान क्रांतिकारी शहीद मदनलाल ढींगरा की 138 वीं जयंती मनाई गई। सभी ग्रामीण युवाओं ने मदनलाल ढींगरा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी।

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मदन लाल ढींगरा को नहीं मिला वास्‍तविक सम्‍मान

संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में ऐसे भी कई सिपाही थे, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए पर वह आजाद भारत में वह स्थान प्राप्त नहीं कर पाए जो बाकी क्रांतिकारियों को हासिल हुआ। इनमें से ही एक हैं पराधीन भारत के ज्वलंत क्रांतिकारी एक मदन लाल ढींगरा। उन्हें अंग्रेज अफसर कर्ज़न वाईली की हत्या के आरोप में फांसी पर लटका दिया गया था। इस देशभक्त को दफन होने के लिए देश की धरती भी नसीब नहीं हुई थी पर देश आज भी इस युवा क्रांतिकारी को याद करता है।

18 सितंबर 1883 में जन्‍मे थे मदन लाल ढींगरा

उनका जन्म 18 सितंबर 1883 को हुआ था। उनके पिता दित्तामल एक मशहूर और धनी सिविल सर्जन थे। मदनलाल को भारतीय स्वतंत्रता संबंधी क्रांति के आरोप में लाहौर के कालेज से निकाल दिया गया तो परिवार ने उनसे नाता तोड़ लिया। अपना खर्चा चलाने के लिए क्लर्क, तांगा-चालक और एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पड़ा। बड़े भाई की सलाह पर वे सन 1906 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए जहां यूनिवर्सिटी कालेज लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया। वीर सावरकर के साथ मिलकर काम करने लगे, एक जुलाई 1909 की शाम को इंडियन नेशनल एसोसिएशन के वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिए भारी संख्या में भारतीय और अंग्रेज इकट्ठे हुए इसमें सर कर्जन वायली भी शामिल थे। इसी दौरान मदनलाल कर्ज़न वाईली से कुछ खास बात करने के बहाने उनके समीप पहुंचे और उन्हें गोली मार दी। मदन लाल के हाथों सर कर्जन वायली के साथ उनको बचाने आए पारसी डॉक्टर कावसजी लालकाका की भी मौत हो गई। गिरफ्तारी के बाद अंत में 17 अगस्त, 1909 को पेंटोविले की जेल लंदन में फ़ांसी पर चढाया गया। यह वही जेल थी जहां शहीद उधमसिंह को भी फांसी दी गई थी।

1976 में मिला मदन लाल ढींगरा का शव

13 दिसंबर, 1976 को शहीद उधम सिंह की शव को तलाशने आई टीम को मदनलाल ढींगरा का भी शव मिला जिसे बाद में आजाद भारत में विधिवत तरीके से दफना दिया गया। एक महान क्रांतिकारी को पराधीन भारत में मरने का तो मौका नहीं मिला पर उनकी अस्थियों को आजाद भारत की मिट्टी नसीब हुई। देश अपने शूरवीर क्रांतिकारियों पर हमेशा से गर्वित रहा है और आगे भी रहेगा। देश में आज लोग उधमसिंह और मदनलाल ढींगरा जैसे वीरों को भूल जरूर गए हैं लेकिन उनकी उपलब्धियों और देशभक्ति की भावना को चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता। वहीं पवन चौधरी व प्रवीन वार्ष्णेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर गौरव चौधरी, चित्तर सिंह, पवित्र कुमार शर्मा, सूरज सिंह, विवेक कुमार, भोला पहलवान प्रशांत, लाला पहलवान, आकाश शर्मा, प्रदीप, सलमान खान, रमेश ठैनुआं, लोकेंद्रसिंह, अमन आदि मौजूद रहे।


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