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कल संवारने को जल बचाने की अलखः जल संचय की खातिर तालाबों का अस्तित्व बचा रहे ऋषिपाल aligarh news

तालाबों की खोदाई के अलावा इन पर हुए अवैध कब्जों को हटाने के लिए टीम भू-माफिया से जूझ रही है। इसके सुखद परिणाम भी सामने आए हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 12:39 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 12:39 AM (IST)
कल संवारने को जल बचाने की अलखः जल संचय की खातिर तालाबों का अस्तित्व बचा रहे ऋषिपाल aligarh news
कल संवारने को जल बचाने की अलखः जल संचय की खातिर तालाबों का अस्तित्व बचा रहे ऋषिपाल aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)।  जल संचय की खातिर सपेरा भानपुर के ऋषिपाल ने तीन साल पहले जो मुहिम छेड़ी थी, वह आज भी बरकरार है। तालाबों को संवारने और उन्हें कब्जामुक्त कराने के लिए युवाओं की एक टीम तैयार की है, जो अभियान का हिस्सा बन चुकी है। तालाबों की खोदाई के अलावा इन पर हुए अवैध कब्जों को हटाने के लिए टीम भू-माफिया से जूझ रही है। इसके सुखद परिणाम भी सामने आए हैं।

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बना रखी है टीम

वर्ष 2016 में दैनिक जागरण द्वारा चलाए गए अभियान 'तलाश तालाबों की ने गांव-गांव तालाबों को मूल स्वरूप तो दिया ही साथ ही जल संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। जवां ब्लॉक के सपेरा भानपुर में 'राजा के ताल की दिलचस्प कहानी इसी अभियान से जुड़ी है। जिसने गांव के युवाओं को जल संरक्षण की सीख दी। इस अभियान से प्रेरित होकर ऋषिपाल ने पानी बचाने का जो सफर शुरू किया वह आज भी अविरल जारी है। उन्होंने गांव के 40 युवा इस मुहिम से जोड़े, जो गांव के विकास व जल संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। 

भरतपुर के राजा ने बनवाया था तालाब

गांव में भरतपुर के राजा रामसिंह द्वारा बनवाए गए प्राचीन तालाब की जानकारी उन्हें हुई तो गांव के युवाओं को लेकर तालाब को संवारने की ठान ली। कई दिनों तक फावड़ा लेकर जुटे युवाओं ने प्राचीन तालाब को मूल स्वरूप दिया। यहां जल संरक्षण को लेकर आयोजित भव्य कार्यक्रम में तत्कालीन सीडीओ धीरेंद्र सिंह सचान ने गांव पहुंचकर युवाओं को सम्मानित किया। बकौल ऋषिपाल, उस समय उन्हें जल का महत्व समझ आया तो गांव में मंदिर के निकट व अन्य तालाबों को संवारने में जुट गए। तभी से गांव-गांव घूमकर पानी का महत्व बताते हैं। सबमर्सिबल का कम इस्तेमाल करने को जागरुक करते हैं।

पानी के लिए लड़ाई जारी है

उन्होंने पास ही के गांव हेतमपुर में बसपा शासनकाल में 40 लाख में तैयार किए तालाब को गहरा और पानी भरने लायक बनाने के लिए प्रशासनिक अफसरों से लेकर शासन तक अर्जियां दीं। इसके लिए लड़ाई अभी भी जारी है। आश्वासन भी मिला है, जल्द ही काम शुरू होगा। तालाबों को कब्जामुक्त कराने के लिए भी प्रयास जारी हैं। कुछ पर सफलता मिल चुकी है। उनका कहना है कि लोगों को पानी का महत्व जितनी जल्दी समझ आ जाए उतना ठीक है, वरना भविष्य में हालात भयावह होंगे। उनकी टीम 'जल है तो कल है नारे के साथ काम कर रही है।

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