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अलीगढ़ में लोक अदालत ने ऐसे पोंछे पीड़ितों के आंसू , जानिए तरीका

स्थाई लोक अदालतें पीडि़तों के आंसू पोंछने का काम कर रही हैं। एक साल में 402 मामलों में 265 का निस्तारण करके पीडि़तों को 3.71 करोड़ रुपये की राहत राशि दिलाई है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 04:13 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 04:13 PM (IST)
अलीगढ़ में लोक अदालत ने ऐसे पोंछे पीड़ितों के आंसू , जानिए तरीका
अलीगढ़ में लोक अदालत ने ऐसे पोंछे पीड़ितों के आंसू , जानिए तरीका

अलीगढ़ (जेएनएन) । स्थाई लोक अदालतें पीडि़तों के आंसू पोंछने का काम कर रही हैं। एक साल में 402 मामलों में 265 का निस्तारण करके पीडि़तों को 3.71 करोड़ रुपये की राहत राशि दिलाई है। स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष रियासत हुसैन, सदस्य शाजिया सिद्दीकी, मीना बंसल ने याची व बचाव पक्षों की सुनवाई करते हुए पीडि़तों के हक में अपना फैसला सुनाया है।

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वर्ष 2018

माह, कुल, मामले, निस्‍तारण, सेटलमेंट धनराशि

जनवरी,  29, 10, 11,42131

फरवरी, 26, 23, 35,84,624

मार्च, 35, 17, 17,26,936

अप्रैल, 32, 22, 21,92,083

मई, 32 27, 37,21,285

जून, 29, 17, 38,35,353

जुलाई, 50, 26, 21,11,272

अगस्त, 28, 25, 23,28,147

सितंबर, 54, 18, 53,23,641

अक्टूबर, 27, 21, 31,40,077

नवंबर, 21, 20, 57,03,577

दिसंबर, 39, 18, 23,42,670

.........................................

कुल = 402, 265,  3,71,51,796 रुपये

ऐसे काम करती है अदालत

मामलों की शिकायत या प्रार्थना पत्र देने पर लोक अदालत दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करती है। दूसरे पक्ष को अपना पक्ष रखना होता है और मध्यस्थता कर मामले को जल्द निस्तारित कराया जाता है। स्थायी लोक अदालत के मामलों में निस्तारण होने के बाद निर्णय के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है।

इन मामलों में मिलेगा लाभ

स्थायी लोक अदालत जन उपयोग से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई कर सकती हैं। इसमें वायु, सड़क, रेल या जलमार्ग से यात्रा और माल वाहन सेवा, डाक, तार या टेलीफोन सेवा, विद्युत, जल प्रदान करने वाले स्थापन, लोक सफाई, स्वच्छता प्रणाली, अस्पताल, औषधालय में सेवा, बीमा सेवा, शैक्षिक, शैक्षणिक संस्थानों, आवास एवं भू-संपदा सेवा के मामले शामिल हैं।

इस तरह के मामले होंगे शामिल

स्थायी लोक अदालत में वही मामले आ सकते हैं, जिनका मूल्यांकन एक करोड़ रुपये से कम हो। साथ ही मामला किसी भी न्यायालय में दायर नहीं होना चाहिए। आपराधिक मामलों को भी लोक अदालतों के दायरे से बाहर रखा गया है। इन अदालतों में कोई न्याय शुल्क नहीं लगता। साथ ही वकील की जरूरत भी नहीं होती है।


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