सात समंदर पार फैलेगी अलीगढ़ की बासमती की खुशबू
निर्यात के लिए दिल्ली और हरियाणा की मंडियाें पर निर्भर रहा बासमती अलीगढ़ से सीधे विदेशों में धाक जमाएगा। कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) कोमोलिका फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को इसके लिए लाइसेंस मिल चुका है। जनपद में किसी एफपीओ को यह पहला लाइसेंस है।
लोकेश शर्मा, अलीगढ़ । निर्यात के लिए दिल्ली और हरियाणा की मंडियाें पर निर्भर रहा बासमती अलीगढ़ से सीधे विदेशों में धाक जमाएगा। कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) कोमोलिका फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को इसके लिए लाइसेंस मिल चुका है। जनपद में किसी एफपीओ को यह पहला लाइसेंस है। राइस प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होते ही निर्यात शुरू हो जाएगा। बासमती के साथ आलू के निर्यात का भी रास्ता साफ हो चुका है।
खाड़ी देशों में बढी मांग
जनपद में धान और आलू मुख्य फसलें हैं। धान में बासमती की मांग खाड़ी देशों में बहुत है। अलीगढ़ में धान का रकबा 85 हजार हेक्टेयर है। दिल्ली और हरियाणा की कंपनियां यहां से धान खरीद कर प्रोसेसिंग के बाद विदेशों में निर्यात करती हैं। यहां प्रोसेसिंग प्लांट न होने से किसान बाहर की कंपनियों के रेट पर धान बेच देते हैं। किसानों को उम्मीद के मुताबिक लाभ नहीं मिल पाता। एफपीओ के चेयरमैन आरपी पचौरी बताते हैं कि अलीगढ़ में प्रोसेसिंग के बाद बासमती का विदेशों में सीधे निर्यात होने से किसानों का कई गुना लाभ होगा। एफपीओ को डायरेक्टर जनरल आफ फारेन ट्रेड (डीजीएफटी) व एग्रीकल्चर एंड प्रोसीड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथारिटी (एपीडा) से लाइसेंस मिल चुका है। डीजीएफटी के लाइसेंस पर बासमती कहीं भी निर्यात किया जा सकता है। जबकि, एपीडा सोर्स बताती है। किस देश में बासमती की डिमांड है, एपीडा से ही जानकारी मिलती है। बाहर की कंपनियां यहां से कम कीमत पर धान खरीद कर प्रोसेसिंग के बाद बासमती निर्यात करती हैं। अलीगढ़ में राइस प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने से किसानों काे धान की उचित कीमत मिलेगी। एफपीओ से 1500 किसान जुड़े हुए हैं। 2300 हेक्टेयर में एफपीओ द्वारा बासमती की खेती की जाती है।
आलू भी होगा निर्यात
एफपीओ से जुड़े किसान आलू की खेती भी कर रहे हैं। एफपीओ के चेयरमैन के मुताबिक किसानों ने इस बार 16 प्रजातियों के आलू खेतों में उगाए हैं। इनमें चिपसोना वन, चिपसोना थ्री, चिपसोना फोर, एलआर, फ्राइसोना भी हैं, जो चिप्स आदि उत्पाद बनाने के काम में आते हैं। भोजन में प्रयोग होने वाले कुफरी बहार, कुफरी मोहन, ख्याति आदि प्रजातियों के आलू की फसल भी की हैं। इन प्रजातियों का पिछले साल ट्रायल किया गया था। उत्पादन ठीक होने पर बोआई की गई। उन्होंने बताया कि यूरोपियन कंट्री के पैरामीटर अलग होने से वहां आलू का निर्यात नहीं किया जाएगा। बाकी देशों में निर्यात हो सकेगा।