सत्याग्रह पर भारी पड़ रही कांग्रेसियों की गुटबाजी Aligarh news
फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति का मामला चर्चा में है। पूर्व में फिजियोथेरेपिस्ट को हटा चुके थे मगर नए साहब लोगों को इस नियुक्ति में न जाने क्यों दिलचस्पी हुई।
अलीगढ़, [विनोद भारती]। महात्मा गांधी ने शोषण, अन्याय व रंगभेद के खिलाफ सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्र्रह आंदोलन किया। चंपारन (बिहार) में नील की खेती पर मनमाने टैक्स के खिलाफ सत्याग्र्रह के जरिये गोरे शासकों को झुकाया। दोनों ही बार महात्मा गांधी को लोगों का भरपूर समर्थन मिला। एक सत्याग्र्रह प्रदेश में भी चल रहा है, पंजे वाली पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष को जेल भेजे जाने के खिलाफ। अफसोस खुद को महात्मा गांधी का अनुयायी बताने वाले नेता सत्याग्र्रह में भी साथ नहीं आए। नेताओं की आपसी फूट इस सत्याग्र्रह पर भी भारी पड़ गई। हां, जिला व महानगर के मुखिया तो साथ आ गए, मगर अन्य कद्दावर उनके सत्याग्र्रह में शामिल नहीं हुए। कुछ शामिल भी हुए तो केवल चेहरा दिखाने भर के लिए ही। पूर्व माननीय ने भी सत्याग्र्रह के नाम पर कुछ खास नहीं किया। सत्याग्र्रह के नाम पर पूड़ी-सब्जी बांटते देख सत्ताधारी पार्टी के नेता बस मुस्करा रहे हैं।
बाबू ने साहब को दिखाया आइना
सेहत महकमे में बिना पद के ही फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति का मामला फिर चर्चा में है। पूर्व में अधिकारी अपनी गलती को सुधारते हुए फिजियोथेरेपिस्ट को हटा चुके थे, मगर नए साहब लोगों को इस नियुक्ति में न जाने क्यों इतनी दिलचस्पी हुई कि कायदे-कानून ताक पर कर उसे पुन: नियुक्त कर दिया। मीडिया के सवालों पर दोनों ही अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। नोडल अधिकारियों ने भी वरिष्ठों को नहीं टोका। छोटे साहब को तो चार दिन में ही फिजियोथेरेपिस्ट के वेतन की चिंता होनी लगी, मगर विभाग के एक बाबू ने साहब को आइना दिखा दिया। पता चला है कि बाबू ने साहब को दो टूक जवाब दिया कि यह नियुक्ति गलत है। यदि नियम विरुद्ध रखी गई फिजियोथेरेपिस्ट का वेतन निकलवाना है तो मुझे लिखित में निर्देश जारी करें। साहब ने तुरंत ही अपने सलाहकारों को तलब कर लिया। क्या निर्णय हुआ? अभी किसी को पता नहीं।
साहब, योद्धाओं को संभालो
कोविड अस्पतालों में ड्यूटी के दौरान खुद को आइसोलेट रखने के निर्देश दिए गए। इस दौरान गैर कोविड ड्यूटी कर रहे अन्य डॉक्टरों व स्टाफ के साथ घरवालों से भी नहीं मिल सकते। यही नहीं, 14 दिन कीड्यूटी के बाद पुन: 14 दिन घर से अलग क्वारंटाइन रहना अनिवार्य है। चिंता की बात ये है कि एक कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर व स्टाफ बाहर घूमते देखा जा रहा है। कई कर्मचारियों को अस्पताल परिसर में बिना मास्क व ग्लव्स के घूमते देखा जा सकता है। कोविड वार्ड से लौटकर अस्पताल की इमरजेंसी तक में घुस जाते हैं। इससे इमरजेंसी में भर्ती मरीज ही नहीं, अन्य तीमारदारों भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। कुछ कर्मचारियों के तो गुपचुप अपने घर तक जाने की शिकायतें आ रही हैं। ऐसा नहीं कि साहब इससे अनभिज्ञ हैं, दरअसल वे सबकुछ जानकर भी अनजान बने हैं। इस मामले की जांच होनी चाहिए।
प्रधान और सेनापति की लड़ाई
स्वास्थ्य महकमे में कर्मचारी संघ के प्रधान व सेनापति के बीच रार से पूरा विभाग वाकिफ है। सालभर में यह रार इतनी बढ़ गई है कि अब आरोप-प्रत्यारोप चरम पर पहुंच गए हैं। सेनापति विभाग में अपनी उपेक्षा से नाराज रहते हैं। जबकि, प्रधान को हर किसी से तवज्जो मिलती है। हालांकि, 12 से 14 घंटे काम करने वाले प्रधान को तवज्जो मिलने से किसी को परेशानी नहीं है, मगर अपना वजूद तलाशते रहे सेनापति इससे खुश नहीं। पिछले दिनों कुछ समर्थकों के साथ प्रांतीय प्रधान से शिकायत की। प्रधान द्वारा कर्मचारियों के हित में मुखर न रहने की बात भी कही। प्रांतीय प्रधान ने प्रधान से पूछताछ की। प्रधान ने कहा कि इन दिनों काफी व्यस्तता है। प्रांतीय प्रधान ने सेनापति व उनके समर्थकों द्वारा सुझाए गए कर्मचारी नेता को नई जिम्मेदारी मिल गई। अब देखना ये है कि नई टीम कर्मचारियों के हित में क्या-क्या कार्य करती है।