शिक्षक दिवस आजः राही था अकेला, नौकरियों का लगाया मेला aligarh news
अभी भी 175 विद्यार्थी इनकी कोचिंग में हैं जिनमें से 12 को जल्द सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद है। इस बढ़ते कारवां के चलते अब वे सुपर अतुलÓ के नाम से अपनी पहचान बना चुके हैं।
राजनारायण सिंह, अलीगढ़। एक राही अकेला चला था। एक विचार जन्मा। संसाधन कम थे लेकिन दृढ़़ निश्चय की पूंजी थी। जिससे इरादों को अंजाम तक पहुंचा दिया। गरीब बच्चों की मदद का संकल्प लेकर एक बैंक प्रबंधक ने ऐसी कोचिंग स्थापित की कि पांच साल में 108 विद्यार्थियों की किस्मत ही बदल गई। वह अब बैंक, एलआइसी, पुलिस जैसे सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे हैं। इनमें से 80 से अधिक तो बैंकों में हैं। यह सरकारी नौकरी करने वालों के लिए एक मिसाल भी है। अभी भी 175 विद्यार्थी इनकी कोचिंग में हैं, जिनमें से 12 को जल्द सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद है। इस बढ़ते कारवां के चलते अब वे 'सुपर अतुलÓ के नाम से अपनी पहचान बना चुके हैं।
शुरू से अलग थी सोच
शहर के सुरेंद्र नगर निवासी अतुल सिंह की शुरू से ही सोच कुछ अलग ही हैं। मूलरूप से वे जिला मुख्यालय से करीब 30 किलो मीटर दूर स्थित अकराबाद ब्लॉक के गांव बमनोई के हैं। डेढ़ साल से नानऊ गांव स्थित केनरा बैंक की शाखा में प्रबंधक हैं। बचपन से यहां तक के संघर्ष ने उन्हें गरीबों की मदद की राह दिखाई।
मुठभेड़ में शहीद हो गए थे पिता
पिता राकेश पाल सिंह पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे। 29 वर्ष की आयु में में ही 28 सितंबर 1990 को बदमाशों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। उस वक्त अतुल सिंह पांच साल के थे। बड़े भाई कपिल सिंह और बहन छाया सिंह की जिम्मेदारी मां भूरी देवी पर आ गई। तब की बातें याद कर अतुल की आंखें भर आईं। बोले, मां पैसे बचाने के लिए रिक्शा नहीं करती थी। पैदल ही बाजार आया-जाया करती थीं। वह कहती थी कि तुम लोग पढ़ लिख लो, मेरा सपना पूरा हो जाएगा। तभी से कुछ बनकर दिखाने की ठान ली।
कई बैंकों में की नौकरी
2010 में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा एंड बिजनेस मैनेजमेंट किया और बैंक की तैयारी करते हुए लखनऊ में गोमती ग्रामीण बैंक में पहली नौकरी लगी। इसके बाद कई बैंकों में नौकरी की। फिर, 2013 में अलीगढ़ स्थित केनरा बैंक में सहायक प्रबंधक और वर्तमान में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं।
यूं बना कारवां
वह बताते हैं कि बचपन में मुश्किलें और तंगहाली देखी थी। इसलिए 2011 में गरीब बच्चों को बेगमबाग में मुफ्त बैंक की तैयारी कराने लगे। पहले छह विद्यार्थियों के साथ कोचिंग शुरू की। एक साल बाद ही इनमें से पांच विद्यार्थियों की विभिन्न बैंकों में नौकरी लग गई। तब खुशी का ठिकाना नहीं रहा और चर्चाएं तेज हुई तो बच्चों का आना शुरू हो गया। प्रत्येक वर्ष पांच से दस विद्यार्थियों का सलेक्शन बैंकों में होने लगा। इसके बाद बैंक, एलआइसी, पुलिस, शिक्षक आदि सरकारी विभागों की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बच्चों को तैयारी कराने लगे। इसके लिए घर से कुछ दूरी पर एक भवन ले रखा है, जिसका किराया अपने वेतन से देते हैं। यहां खुले आसमान के नीचे बच्चे सर्दी, गर्मी और बारिश में नौकरी की तैयारी करते हैं। गरीब बच्चों की मदद के लिए ही 2014 में अविरल धारा संस्था की स्थापना की। 2016 में सिंडिकेंड बैंक में सहायक प्रबंधक श्रुति शर्मा के साथ परिणय सूत्र में बंध गए।