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मजदूरों व मिल प्रबंधन में खटास से मिट्टी में मिल रही 'मिठास'

अलीगढ़ स्‍थित साथा चीनी मिल दिन पर दिन दुर्दशा का शिकार होता जा रहा है। मिल प्रबंधन लाख कोशिशाें के बाद भी उसे सुचारु रूप से नहीं चला पा रहा है तो वहीं दूसरी ओर मजदूरी न मिलने से मजदूरों ने भी हाथ खींच लिया है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 27 Feb 2022 08:03 AM (IST)Updated: Sun, 27 Feb 2022 08:43 AM (IST)
मजदूरों व मिल प्रबंधन में खटास से मिट्टी में मिल रही 'मिठास'
साथा चीनी मिल का आस्तित्व बचाने के दावे तो खूब हुए, मगर धरातल पर कोई काम न हो सका।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। गन्ने का रस, नाम सुनते ही मुंह में मिठास घुल जाती है। दुर्भाग्य देखिए, गन्ने की ये मिठास मिट्टी में मिल रही है। कसूर गन्ना पैदा करने वाले किसानों का नहीं है, उस प्रबंधन का है जो साथा चीनी मिल में इस रस से चीनी नहीं बनवा पा रहा। रस को चीनी के सांचे में ढालने वाले मजदूरों की अपनी मजबूरी है। वेतन न मिला तो उन्होंने काम बंद कर दिया। मिल प्रबंधन न वेतन दिला पा रहा, न ही उन्हें समझा पा रहा। उधर, कंपाटों में भरा गन्ने का रस धीरे-धीरे रिसकर बर्बाद हो रहा है।

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धरातल पर नहीं हो सका कोई काम

साथा चीनी मिल का आस्तित्व बचाने के दावे तो खूब हुए, मगर धरातल पर कोई काम न हो सका। प्रदेश सरकार ने नई मिल लगाने का भरोसा दिलाया तो गन्ना किसानों में फिर से उम्मीद जाग गई। पर इसमें अभी समय लगेगा। तब तक किसानों के सामने समस्या बनी रहेगी। मिल कुछ दिन चलने के बाद बंद हो रही है। पिछले दिनों चली थी तो गन्ने की पेराई हो गई। रस चार कंपाटों में भर दिया गया। रस की मात्रा पांच हजार हेक्टो लीटर बताई जा रही है। इसकी ब्राउन चीनी बननी है। चीनी बनाने के लिए मिल को 48 घंटे चलाना पड़ेगा। बिना मजदूरों की मदद से ये संभव नहीं है। मजदूर वेतन न मिलने से मिल प्रबंधन और कार्यदायी कंपनी बालाजी सोल्युशन के अफसरों से नाराज हैं। पिछले दिनों एसडीएम कोल ने जल्द भुगतान कराने का आश्वासन दिया था, मगर कुछ हुआ नहीं। मजदूरों ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक भुगतान नहीं हो जाता, मिल नहीं चलाएंगे। ऐसी स्थिति में मिल के अंदर रखे रस के खराब होने की संभावना बनी हुई है। कंपाटों से रस रिस रिसकर बह रहा है।

सामंजस्य का अभाव

कार्यदायी कंपनी और मिल प्रबंधन के बीच सामंजस्य का अभाव भी दिक्कतें खड़ी कर रहा है। मिल न चलने और मजदूरों की जुड़ी समस्याओं को लेकर कोई गंभीर नजर नहीं आ रहा। समस्याओं को एक-दूसरे पर टाला जा रहा है। कंपनी के एमडी दीपक यादव का कहना है कि गन्ने के रस का क्या करना है इसका निर्णय मिल के महाप्रबंधक लेंगे।

इनका कहना है

गन्ने की पेराई के बाद निकला रस मिल में संरक्षित है। इसकी चीनी बननी है। जल्द ही इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। किसी तरह का काेई विवाद नहीं है।

राम शंकर महाप्रबंधक, साथा चीनी मिल


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