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Coronavirus Alert In Aligarh : संदिग्ध मरीजों को कोरोना संक्रमितों से ज्यादा खतरा, जानिए कैसे ?

कोरोना की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में संक्रमित मरीजों के साथ संदिग्ध मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। खांसी गले में खरास सांस लेने में तकलीफ समेत व अन्य समस्या होने पर संक्रमित मरीजों को कोविड अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 01:07 PM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 01:07 PM (IST)
Coronavirus Alert In Aligarh : संदिग्ध मरीजों को कोरोना संक्रमितों से ज्यादा खतरा, जानिए कैसे ?
संक्रमित मरीजों के साथ संदिग्ध मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में संक्रमित मरीजों के साथ संदिग्ध मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। खांसी, गले में खरास, सांस लेने में तकलीफ समेत व अन्य समस्या होने पर संक्रमित मरीजों को कोविड अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता है, लेकिन ऐसे मरीज जिनकी जांच नहीं हो पाई है। उन्हें कोविड अस्पतालों से लौटाया जा रहा है। पहले जांच और उसके बाद इलाज की सलाह दी जा रही है। ऐसे तमाम मरीजों की जान निकल चुकी है। संदिग्ध मरीजों के लिए इंतजाम अभी नाकाफी ही हैं।

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ये है सूरतेहाल

संक्रमित मरीजों के लिए सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड केयर सेंटर का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान 1597 मरीज सक्रिय हैं। इससे कई गुना मरीज संदिग्ध हैं। संक्रमण बढ़ने की अहम वजह यही मरीज हैं। दरअसल, ऐसे तमाम मरीजों को न तो सरकारी कोविड केयर सेंटर में बेड मिल रहा है और न निजी अस्पतालों में। निजी कोविड केयर सेंटर में भर्ती होना, हर मरीज के बूते से बाहर है। दीनदयाल अस्पताल की बात करें तो यहां सुबह से लेकर शाम तक संदिग्ध मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से काफी मरीज गंभीर भी होते हैं, जिन्हें तुरंत आक्सीजन की जरूरत होती है। अस्पताल में पहुंच वाले कुछ मरीज तो भर्ती कर लिए जाते हैं, बाकी लोग इधर-उधर भटकते रहते हैं। डाक्टर व स्टाफ उन्हें गुमराह करते हैं कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बिना यहां भर्ती नहीं किए जा सकते। जिला अस्पताल व अन्य कोविड केयर सेंटरों में भी यही स्थिति है। 

जिंदगी के लिए संघर्ष 

वापस लौटाए गए काफी संदिग्ध मरीजों की घर पर उचित इलाज के अभाव में तबीयत बिगड़ती रहती है। ऐसे एक दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। जबतक रिपोर्ट आई, तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। ऐसे कुछ मरीज 24 घंटे में चल बसे तो कुछ इससे चंद घंटे ज्यादा की जिंदगी। सवाल ये है कि ऐसे मरीजों की मौत के िलिए सिस्टम में कोई मातम क्यों नहीं हो रहा? क्या नियम-कानून किसी की जिंदगी से ज्यादा बढ़े हो गए। चिंता की बात ये है कि सरकारी सिस्टम में आम जनता को गुमराह करने की


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