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कुपोषण की गोद में ऐसे चट कर रहे सुपोषण, जानिए सच Aligarh News

सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट पोषण अभियान में सुपोषण को सिस्टम चट कर रहा है। जिले में 19 हजार अति कुपोषित बच्चे हैं लेकिन पोषण का चेहरा नहीं देख पा रहे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 10:01 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 11:29 AM (IST)
कुपोषण की गोद में ऐसे चट कर रहे सुपोषण, जानिए सच Aligarh News
कुपोषण की गोद में ऐसे चट कर रहे सुपोषण, जानिए सच Aligarh News

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । नौनिहालों को हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट 'पोषण' अभियान में सुपोषण को सिस्टम चट कर रहा है। जिले में 19 हजार अति कुपोषित बच्चे हैं लेकिन पोषण का चेहरा नहीं देख पा रहे। आंगनबाड़ी केंद्रोंं के लिए तय पोषण माह कार्यक्रमों के लिए आधे से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन इसकी जानकारी तक केंद्रों पर नहीं है। कुछ केंद्रों पर तो स्थाई ताला लगा रहता है। गुरुवार को केंद्रों पर स्वयं सहायता जागरूकता समूह की महिलाओं के साथ ऊपरी आहार व भोजन पर चर्चा होनी थी, लेकिन दैनिक जागरण की पड़ताल में एक भी केंद्र पर यह कार्यक्रम नहीं मिले।

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2.32 लाख नौनिहाल पंजीकृत

जिले में 3039 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन पर छह माह से छह साल तक के करीब 2.32 लाख नौनिहाल पंजीकृत हैं। गुरुवार को जागरण ने शहर के कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों की हालात देखी। रावणटीला की गली नंबर एक के आंगनबाड़ी केंद्र पर सुबह 10:38 ताला लटका था।

ये हैं हालात

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रचना ने बताया कि केंद्र पर 40 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन उपस्थिति 10-12 की ही रहती है। अब पोलियो अभियान के चलते केंद्र बंद करना पड़ा है। पोषण माह की ऊपर से कोई जानकारी नहीं मिली। पास में ही दूसरा केंद्र है। इस पर तैनात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शमीलता ने बताया कि पोषण माह के बारे में कोई जानकारी नहीं है। न बजट मिला। टीम यहां से 10:53 बजे नगला तिकोना के आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंची। यहां भी ताला लगा था। आसपास के लोगों को भी पोषण माह से जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी। यहां से टीम 11:10 बजे किशनपुर के आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंची। दोनों केंद्रों पर ताला लटका था। स्थानीय निवासी हरेंद्र ने बताया कि कभी-कभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आती हैं, लेकिन हाल-फिलहाल कोई कार्यक्रम नहीं हुआ।

इस तरह थे कार्यक्रम

पोषण माह में हर दिन कार्यक्रम तय हैं। सबसे पहले वजन, फिर प्रधानों की अगुवाई में बैठक, सुपोषण स्वास्थ्य मेला, बाल सुपोषण उत्सव, सुपोषण गूंज, किशोरी दिवस, पोषण रैली, गृह भ्रमण, बाल सुपोषण उत्सव,लाडली दिवस, प्रभात फेरी, गोद भराई।

यह सेवाएं हैं केंद्रों पर

सरकार बच्चों के लिए अनुपूरक पुष्टाहार, शालापूर्व शिक्षा, पोषण स्वास्थ्य शिक्षा, संदर्भन सेवाएं, टीकाकरण की सेवाएं दे रही है। हर साल करोड़ों रुपये इन पर पानी की तरह बहते हैं, फिर भी अफसरों के गोद लिए गांव में भी नौनिहाल कुपोषण की जद में हैं।

19 हजार अतिकुपोषित

जिले में 19353 नौनिहाल अतिकुपोषित (लाल श्रेणी में)हैं, जबकि 40 हजार से अधिक कुपोषित (पीली श्रेणी) में हैं।

शासन से इस तरह आता है पोषाहार

छह माह से तीन साल तक के 1.24 लाख बच्चों के लिए 140 मीट्रिक टन वीनिंग फूड, 119 टन मीठा दलिया व 119 टन नमकीन दलिया।  तीन साल से छह साल तक के 1.05 लाख नौनिहालों के लिए 42 टन मीठा दलिया, 42 टन नमकीन दलिया व 47 टन लड्डू प्रीमिक्स मिलता है। 68 हजार गर्भवती महिलाओं के लिए 81 टन मीठा दलिया, 74 टन नमकीन दलिया व 91 टन लड्डू प्रीमिक्स मिलता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रेयस कुमार का कहना है कि अगर कहीं पोषण माह नहीं मनाया जा रहा है, तो उसकी जांच कराई जाएगी। सभी को बजट भेज दिया है।


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