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दीपावली पर बंदियों की बनाई झालरों से रोशन होंगी गलियां, जानिए विस्‍तार सेAligarh News

चेहरे पर मास्क और हाथ में लगी बिजली की तारें...। एक के बाद एक कतार में बैठे बंदी...। उत्साह ऐसा कि सुबह से जुट जाएं तो उठने की भी फुरसत नहीं। कुछ ऐसी ही तस्वीर इन दिनों जिला कारागार के कौशल विकास केंद्र की है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 11:58 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 11:58 AM (IST)
दीपावली पर बंदियों की बनाई झालरों से रोशन होंगी गलियां, जानिए विस्‍तार सेAligarh News
अलीगढ़ जेल में वर्तमान में करीब 3600 कैदी-बंदी हैं।

 अलीगढ़, सुमित शर्मा। चेहरे पर मास्क और हाथ में लगी बिजली की तारें...। एक के बाद एक कतार में बैठे बंदी...। उत्साह ऐसा कि सुबह से जुट जाएं तो उठने की भी फुरसत नहीं। कुछ ऐसी ही तस्वीर इन दिनों जिला कारागार के कौशल विकास केंद्र की है, जहां बंदी दीपावली के लिए खास किस्म की रंग-बिरंगी झालर बना रहे हैं। ये झालर पानी में भी जल सकती है और करंट लगने की संभावना भी बेहद कम है। एक संस्था के आर्डर पर बंदी करीब ढाई हजार झालरें बना चुके हैं।

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कोरोनाकाल में बंदियों ने मास्‍क बनाए

अलीगढ़ जेल में वर्तमान में करीब 3600 कैदी-बंदी हैं। यहां के बंदियों ने पेंटिंग, रंगोली मेकिंग, सेहत बनाने जैसे रचनात्मक कार्यों में प्रदेश में नाम चमकाया है। कोरोना काल में बंदियों ने मास्क बनाए थे, जो शहर के थानों, कोर्ट व अन्य सामाजिक संस्थाओं में बांटे गए थे। वहीं अब कोरोना काल से उबरने के बाद बंदी फिर से नया कीर्तिमान गढ़ने में जुट गए हैं। जेल के विकास कौशल केंद्र में बंदियों की ओर से सजावटी झालर, एलईडी बल्ब, नाइट लैंप आदि बनाए जा रहे हैं। यह कवायद नोएडा की वीएस एनर्जी कंपनी की पहल पर हुई है। संस्था ने ही बंदियों को झालर व उपकरण बनाने का प्रशिक्षण दिलाया। हालांकि शहर से अभी बंदियों को कोई आर्डर नहीं मिला है। लेकिन, संस्था की ओर से ही पांच हजार झालरें बनाने का लक्ष्य दिया गया था। वहीं एक माह के अंदर बंदियों ने ढाई हजार झालर बना दी हैं।

सांसद ने की थी प्रशंसा

जिला कारागार में बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से सांसद सतीश गौतम ने 16 सितंबर को कौशल विकास केंद्र का उद्घाटन किया था। बंदियों की बनाई झालर को देखकर सांसद ने प्रशंसा की थी। उन्होंने बंदियों को प्रोत्साहित करते हुए दीपावली के दृष्टिगत सजावटी झालर का अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए कहा था।

42 बंदी बना रहे झालर

दीपावली को देखते हुए फिलहाल पूरा जोर झालर बनाने पर है। कौशल विकास केंद्र में 42 बंदी इस काम में लगे हैं। करीब आठ घंटे रोजाना काम किया जाता है। माना जा रहा है कि एक झालर की कीमत तकरीबन 50 से 60 रुपये रखी जाएगी, जो चाइना की झालर के मुकाबले सस्ती होगी। बंदियों को झलर बनाने के लिए संस्था की ओर से ही रा मैटीरियल उपलब्ध कराया गया था।

जेल के बाहर लगेगी आउटलेट

बंदियों की बनाई झालर शहर के लोग भी खरीद सकते हैं। इसके लिए जल्द ही जेल के बाहर भी एक आउटलेट लगाया जाएगा। यहां आकर कोई भी व्यक्ति तय कीमतों में झालर खरीद सकेगा।

बंदियों को स्वाबलंबी बनाने के उद्देश्य से उन्हें रोजगार संबंधी प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। इसके तहत बंदी झालर व सजावटी उपकरण बनाने में पारंगत हो गए हैं। संस्था की ओर से लक्ष्य भी दिया गया था। उस पर काम चल रहा है। अगर शहर से भी झालरों को लेकर कोई आर्डर मिलेगा, तो उसी मुताबिक उत्पादन कराया जाएगा।विपिन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक


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