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परिजनों की समझदारी, कुपोषण से मारी बाजीः जिले में 50 हजार से अधिक नौनिहालों की विशेष निगरानी aligarh news

डॉक्टरों से इलाज कराया लेकिन सेहत नहीं सुधरी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा सिंह को दिखाया तो उन्होंने जांच कराई।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 01:31 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 02:31 PM (IST)
परिजनों की समझदारी, कुपोषण से मारी बाजीः  जिले में 50 हजार से अधिक नौनिहालों की विशेष निगरानी aligarh news
परिजनों की समझदारी, कुपोषण से मारी बाजीः जिले में 50 हजार से अधिक नौनिहालों की विशेष निगरानी aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)।  कुपोषण को लेकर लोगों में तमाम भ्रांतियां हैं, लेकिन परिजन बच्चों का ध्यान रखें तो फिर इससे आसानी से लड़ा जा सकता हैं। ऐसा ही कर दिखाया कि अकराबाद क्षेत्र के दो गांव के परिवार वालों ने। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की राय पर कुपोषण से बाजी मार ली। अब बच्चे हष्ट-पुष्ट और खुशहाल हैं।

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अकराबाद के गांव खुर्रमपुर की प्रवेश देवी ने बताया है कि वह बेटी पल्लवी के स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहती थीं। जन्म के बाद से ही उसकी सेहत अच्छी नहीं थी। दुबली-पतली व कमजोर थी। डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन सेहत नहीं सुधरी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा सिंह को दिखाया तो उन्होंने जांच कराई। इसमें कुपोषण की पुष्टि हुई। वे बेटी पल्लवी को लेकर आंगनबाड़ी केंद्र पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल हुईं। उसे संतुलित आहार दिया गया। हर महीने स्वास्थ्य की जांच कराई गई। अब यह पूरी तरह स्वस्थ है।

आए दिन बुखार की शिकायत

शाहगढ़ गांव के नौनिहाल गणेश का भी यही हाल था। मां कुंती देवी ने बताया कि पहले उनका बच्चा बीमार रहता था। आए दिन बुखार की शिकायत हो जाती थी। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रीना रानी से संपर्क किया। उन्होंने पौष्टिक आहार देने की सलाह दी। उन्होंने बच्चे की मॉनिटङ्क्षरग भी की। अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो गया है।

1.20 लाख नौनिहालों का वजन

प्रदेश सरकार सितंबर को सुपोषण माह के रूप में चला रही है। शुरुआत में नौनिहालों का वजन कराने का काम हुआ है। जिले में एक ही दिन में 1.20 लाख नौनिहालों का वजन हो चुका है। बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने यह रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

 50 हजार कुपोषण की चपेट में

जिले में शून्य से छह साल तक के करीब पांच लाख से अधिक नौनिहाल पंजीकृत हैं। इनमें 50 हजार के करीब ऐसे हैं, जो कुपोषण की चपेट में हैं। इनमें पीले व लाल श्रेणी के शामिल हैं।


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