रोज पकड़े जा रहे 'तस्कर', तस्करी पर लगाम नहीं, लाकडाउन में घर-घर से बिकी शराब, किसी ने न दिया ध्यान Aligarh news
शराब पीने से मौत होने की घटना नई नहीं है लेकिन अब तक की इस सबसे बड़ी घटना ने पुलिस प्रशासन में खलबली मचा दी है। इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है इसकी जांच शुरू हो गई है। लापरवाही हर स्तर पर हो रही थी।
अलीगढ़, जेएनएन । शराब पीने से मौत होने की घटना नई नहीं है, लेकिन अब तक की इस सबसे बड़ी घटना ने पुलिस प्रशासन में खलबली मचा दी है। इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है, इसकी जांच शुरू हो गई है। लापरवाही हर स्तर पर हो रही थी। लाकडाउन में प्रतिबंध के बावजूद शराब की दुकानें चोरी-छिपे खोली गईं। पुलिस रोजाना तस्करों को पकड़कर जेल भेज रही है। आबकारी विभाग आंखे मूंदे बैठा है। इसी के चलते तस्करी पर लगाम नहीं लग पाई। उसका परिणाम कई जिंदगियों की कुर्बानी देकर चुकाना पड़ा।
माफियाओं ने उठाया काेरोना काल का फायदा
कोरोना काल में लोगों ने जितने नुकसान झेले, उतना ही माफिया ने फायदा उठाया है। कहने को शराब के ठेके बंद थे। घर-घर से शराब की बिक्री खूब हुई। 24 घंटे शहर व देहात के किसी भी इलाके में शराब मिल जाती है। ये सब पुलिस की नाक के नीचे होता है। इसे लेकर कई बार आला अधिकारियों से भी शिकायत हुईं। वहां से जांच के आदेश तो हो जाते। नीचे आते ही वह जांच भी सांठगांठ के बोझ तले ठंडे बस्ते में चली जाती है। सब कुछ जानते हुए भी कभी किसी ने ध्यान नहीं दिया। पिछले कुछ दिनों ने पुलिस ने शराब तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान चला रखा है। इसके तहत रोजाना दर्जनों अपराधी जेल भेजे जा रहे हैं। लेकिन, ये लोग चंद दिनों में ही बाहर आकर फिर से अपना धंधा शुरू कर देते हैं। आबकारी विभाग पूरी तरह सुस्त है। कार्रवाई के नाम पर बीच-बीच में शराब फैक्ट्रियों में छापा मारकर नकली शराब पकड़ी गई। कुछ लोगों को गिरफ्तार कर वाहवाही लूटी गई। मोटी मछली कभी हाथ हीं नहीं आई। इसीलिए बड़े स्तर पर यह खेल चलता रहा। सवाल है कि जब कार्रवाई हो रही है और नकली शराब पकड़ी जा रही हैं तो इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई। शीर्ष अधिकारियों ने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है।