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Decision came after 12 years : इलाज मेंं लापरवाही पर शांति नर्सिंग पर जुर्माना Aligarh news

बदायूं की जिला उपभोक्ता आयोग ने शांति नर्सिंग होम पर इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में दो लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा दो लाख रुपये मानसिक कष्ट एवं आर्थिक हानि की भरपाई के लिए देने के निर्देश दिए हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 12:23 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 12:23 PM (IST)
Decision came after 12 years : इलाज मेंं लापरवाही पर शांति नर्सिंग पर जुर्माना  Aligarh news
बदायूं की जिला उपभोक्ता आयोग ने शांति नर्सिंग होम पर दो लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। बदायूं की जिला उपभोक्ता आयोग ने शांति नर्सिंग होम पर इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में दो लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा दो लाख रुपये मानसिक कष्ट एवं आर्थिक हानि की भरपाई के लिए देने के निर्देश दिए हैं।

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ये है मामला

गुन्नौर थाना क्षेत्र के गांव नाधौस निवासी शिवकुमार 26 अप्रैल 2009 को ट्रैक्टर से गिरकर घायल हो गया था। स्वजन यहां शांति नर्सिंग होम लाए। शिवकुमार का आरोप था कि गलत इलाज से कूल्हा खराब हो गया, कहीं भी इलाज नहीं हो पाया। मुरादाबाद सीएमओ की जांच में लापरवाही सामने आई। शिव कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग (संभल) में परिवाद दर्ज कराया। फोर्म ने हास्पिटल के खिलाफ फैसला दिया। संचालक राज्य आयोग में चले गए। पुनः उपभोक्ता आयोग को सुनवाई के आदेश हुए। अब आयोग के अध्यक्ष रामअचल यादव व सदस्य आशुतोष ने नर्सिंग होम व उनकी इंश्योरेंस कंपनी को आदेशित किया कि परिवादी को दो लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति तथा दो लाख रुपये वाद व्यय, मानसिक एवं अर्थिक परेशानी के लिए अदा करें। दो लाख रुपये की धनराशि दो माह में नौ फीसद ब्याज समेत देनी होगी। 

मंजूर नहीं फैसला, आयोग जाएंगे 

हास्पिटल संचालक डा. वीरेंद्र चौधरी ने बताया कि मरीज ने व्यक्तिगत द्वेष में हमारे खिलाफ झूठी शिकायत की। क्योंकि, ओपीडी में मरीज को बिना लाइन के देखने से इन्कार कर दिया था, तभी उसने धमकी दी थी। हमारे यहां यह मरीज आया जरूर था, लेकिन कोई आपरेशन हमने नहीं किया। हमने केवल कूल्हे को चढ़ाकर पट्टी ही की थी। उसके तर्कों में सत्यता नहीं थी, इसलिए जिला उपभोक्ता फोर्म ने पहले अपील खारिज कर दी। बाद में राज्य उपभोक्ता फोर्म के आदेश पर सुनवाई हुई। कूल्हे की रिपोर्ट भी तीन साल बाद की है। संभल की फोर्म को सुनवाई का अधिकार नहीं था, क्योंकि मामला अलीगढ़ का था। फैसला मंजूर नहीं। स्टे और न्याय के लिए राज्य उपभोक्ता फोर्म में अपील करेंगे।


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