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देशद्रोह में बंद शरजील की रिहाई के लिए AMU में फूंका शाह-योगी का पुतला Aligarh news

छात्रों के हाथों में असम को देश से अलग करने का बयान देने वाले देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम की रिहाई के संबंध में पोस्टर लगे थे।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 11:11 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 03:14 PM (IST)
देशद्रोह में बंद शरजील की रिहाई के लिए AMU में फूंका शाह-योगी का पुतला Aligarh news
देशद्रोह में बंद शरजील की रिहाई के लिए AMU में फूंका शाह-योगी का पुतला Aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)।  एएमयू में छात्रों ने सोमवार को देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम की रिहाई की मांग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला फूंका। मोदी-योगी हों बर्बाद जैसे नारे भी लगाए। धरने पर बैठे छात्रों ने इनका समर्थन नहीं किया। पुलिस ने पांच नामजद व कुछ अज्ञात छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। 

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मार्च निकाला

एएमयू के 12-15 छात्रों ने शाम चार बजे कैंपस में डक प्वॉइंट से पहले मार्च निकाला। यहीं इकट्ठा होकर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनके हाथों में असम को देश से अलग करने का बयान देने वाले देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम की रिहाई के संबंध में पोस्टर लगे थे।

योगी-मोदी हो  बर्बाद  के लगाए  नारे 

छात्रों ने अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पुतले जलाए और 'योगी-मोदी हो बर्बादÓ, 'बीजेपी हो बर्बादÓ जैसे नारे लगाए। सीओ अनिल समानिया ने बताया कि अमीरुल जैश, अम्मार अहमद, फरहान, आसिफ हुसैन, केरला निवासी निहाद पीवी व कुछ अज्ञात छात्रों के खिलाफ धारा छह यूनाइटेड प्रोविंस स्पेशल पावर एक्ट 1932 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अन्य छात्रों को भी चिह्नित किया जा रहा है। 

एएमयू करेगा कार्रवाई 

एएमयू प्रॉक्टर अफीफुल्लाह खान ने बताया कि कैंपस में किसी भी छात्र को प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई थी। पुतला फूंकने वाले छात्रों को चिह्नित किया जा रहा है। इसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उच्चस्तरीय जांच की नहीं हुई मांग 

केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआइ) और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के परिसरों में तो हिंसा की खबरें मिली थीं, लेकिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (एयू) से ऐसी किसी घटना की खबर नहीं मिली थी।मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि जामिया मिल्लिया ने परिसर में ङ्क्षहसा की घटना की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच समिति के गठन का अनुरोध किया था। चूंकि यह कानून-व्यवस्था का मसला था इसीलिए उचित कार्रवाई के लिए यह अनुरोध संबंधित विभाग को संदर्भित कर दिया गया था। जबकि एएमयू और एयू ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया था। 


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