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अलीगढ़ में अब सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर भी होगी मानसिक रोगियों की स्क्रीनिंगAligarh news

ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अब मानसिक रोगियों का इलाज भी होगा। चिकित्सा अधीक्षक स्वयं ऐसे मरीजों की स्क्रीनिंग करेंगे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 08:39 AM (IST)
अलीगढ़ में अब सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर भी होगी मानसिक रोगियों की स्क्रीनिंगAligarh news
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अलीगढ़, जेएनएन : ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अब मानसिक रोगियों का इलाज भी होगा। चिकित्सा अधीक्षक स्वयं ऐसे मरीजों की स्क्रीनिंग करेंगे। इसके बाद जिला मानसिक रोग प्रकोष्ठ के विशेषज्ञों से परामर्श कर इलाज शुरू होगा। इसके लिए चिकित्सा अधीक्षकों को एक माह की स्पेशल ट्रेनिंग कराई जा रही है। इस मामले में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि चार चिकित्सा अधीक्षक इसकी स्पेशल ट्रेनिंग लेकर लौटे हैं। अन्य को भी ट्रेनिंग कराई जा रही है, चिकित्सा अधीक्षक ऐसे मरीजों की स्क्रीनिंग कर इलाज शुरू करेंगे। जरूरत हुई तो मानसिक रोग विशेषज्ञ से भी सलाह लेंगे या मरीज को जिला मुख्यालय रेफर करेंगे। 

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हर छठा व्‍यक्‍ति है पीड़ित

आंकड़ों के अनुसार मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें वृहद अवसादग्रस्तता (मेजर डिप्रेसिव डिसआर्डर), एकाग्रता विहीन सक्रियता का विकार (अटेंशन डेफिसिट हायपर एक्टिव डिसआर्डर), व्यवहार संबंधी विकार (आटिच्म), नशीले पदार्थ पर निर्भरता, भय, उन्माद, बहुत चिंता होने का विकार (एंग्जायटी) मनोभ्रम-मनोनाश (डिमेंशिया), मिर्गी, स्कीजोफ्रेनिया, मानसिक कष्ट (डिस्थीमिया) आदि बीमारियां प्रमुख हैं। अनुमान के मुताबिक प्रदेश में हर छठवां व्यक्ति किसी न किसी रूप में मानसिक बीमारी से ग्रस्त है।

सरकारी अस्पतालों में नहीं इलाज

तमाम मरीज संकोच या फिर आर्थिक समस्या के चलते मानसिक बीमारियों का इलाज नहीं करा पाते। वजह, सरकारी अस्पतालों में ऐसी बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। मेडिकल कॉलेज के अलावा करीब ढाई साल पूर्व जिला अस्पताल में मानसिक रोग प्रकोष्ठ की स्थापना हुई। इसमें संविदा पर मानसिक रोग विशेषज्ञ, एक-एक साइकोथेरेपिस्ट व क्लीनिकल काउंसलर की नियुक्ति की गई। सालभर पूर्व मानसिक रोग विशेषज्ञ नौकरी छोड़ गए, जिसके चलते  मानसिक रोगियों को उचित इलाज नहीं मिल रहा। काफी मरीज संकोच के चलते नहीं आते। नई पहल से मरीजों को काफी लाभ मिलेगा। 


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