कोरोना संक्रमण के बाद खुलेंगे स्कूल तो स्वास्थ्य समस्या पर मिलेगा तुरंत उपचार
कोरोना के चलते लगातार स्कूल बंद चल रहे हैं। ताजा आदेश के अनुसार छह फरवरी तक सभी विद्यालय बंद रहेंगे। इसके बाद जब स्कूल खुलेंगे तो स्कूल प्रबंधन की ओर से कोरोना से बचने के सारे उपाय किए जाएंगे।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर अभी भी जारी है। हालांकि कुछ केस निकलने कम हो गए हैं। मगर विद्यार्थियों को संक्रमण से बचाने के उद्देश्य से शासन की ओर से छह फरवरी तक विद्यालयों को बंद रखने का फैसला किया गया है। विद्यालय खुलने पर सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी जब अपने-अपने स्कूलों की ओर रुख करेंगे तो उनको नई व्यवस्था भी मिलेगी। विद्यालय खुलने पर जब विद्यार्थी आएंगे और अगर किसी को कोई भी वायरल इंफेक्शन या खांसी, जुकाम, बुखार आदि की समस्या हुई तो उसको तत्काल विशेष कक्ष में चिकित्सकों के परामर्श से प्राथमिक उपचार दिया जाएगा।
मेडिकल रूम की तरह होगा कक्ष
ये कक्ष मेडिकल रूम की तरह होगा। इसमें बच्चों के प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होगी। इसके लिए अलग से कोई खास व्यवस्थाएं नहीं करनी है बल्कि विद्यालय की किसी कक्ष में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करते हुए यह सुविधा बच्चों को उपलब्ध करानी है। ठंड या अन्य किसी वायरल इंफेक्शन के चलते अगर किसी बच्चे को जुकाम, बुखार, खांसी आदि लक्षण दिखते हैं तो बच्चे को तत्काल इस मेडिकल रूम में प्राथमिक उपचार देकर क्षेत्र के चिकित्सकों से विमर्श किया जाएगा और विद्यार्थी को उसके घर भेजा जाएगा। अभी शुरुआत में सीमित संख्या में ही बच्चे स्कूलों की ओर बढ़ेंगे। ये कक्ष एक से आठवीं कक्षाओं में पढ़ने वाले सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए बिल्कुल नया अनुभव होगा।
शिक्षकों के प्रयास से तैयार हुआ प्लान
कोरोना काल में विद्यालय खुलने व छात्र-छात्राओं को संक्रमण या अन्य बीमारी होने पर तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से माध्यमिक विद्यालयों में सीबीएसई स्कूलों में मेडिकल रूम बनाने की व्यवस्था की गई थी। मगर बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ये व्यवस्था नहीं थी। अब अफसरों ने खुद व शिक्षकों के प्रयासों से ये व्यवस्था स्कूलों में करने का प्लान तैयार किया है। इसके तहत शुरुआती चरण में विद्यालयों के कमरों में से एक कक्ष वो चुना जाएगा जिसको मेडिकल रूम के तौर पर उपयोग किया जा सके। अभी उन विद्यालयों में ये व्यवस्था करने का विचार है जो माडल स्कूल के रूप में चयनित हुए हैं। विद्यार्थियों की संख्या भी वहां ज्यादा है। हर ब्लाक में लगभग 10 से 15 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनको माडल स्कूल के रूप में बनाया गया है। सफलता मिलने पर धीरे-धीरे हर विद्यालय में ये सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। कोरोना काल में कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों को बुलाया गया था, तो कोविड-19 दौर के चलते हर सीबीएसई व माध्यमिक विद्यालयों में मेडिकल रूम की सुविधा भी की गई थी। अगर किसी बच्चे को वायरल इंफेक्शन, सर्दी, जुकाम या खांसी आदि की समस्या सामने आती है तो उस बच्चे को किसी कक्षा में नहीं बल्कि मेडिकल रूम में बैठाया जाएगा। अभिभावक को तत्काल फोन कर सूचना दी जाएगी। फिर अभिभावक व चिकित्सकों के परामर्श के बाद ही बच्चे को अस्पताल या घर के लिए भेजा जाएगा। अब ये व्यवस्था सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी की जा रही है। विद्यार्थियों को सुरक्षा का माहौल उपब्लध कराने के उद्देश्य से ये व्यवस्था की जा रही है।
इनका कहना है
बीएसए सतेंद्र कुमार ढाका ने कहा कि अभी चुनिंदा विद्यालयों जहां छात्र संख्या ज्यादा है वहां मेडिकल रूम व्यवस्थित ढंग से संचालित हो इसका प्रयास किया जा रहा है। किसी भी प्रकार का संक्रमण होने की स्थिति में ऐसे बच्चों को अलग कक्ष में बैठाया जाए व कुछ प्राथमिक उपचार मिल सके, इस दिशा में कदम बढ़ाया है।