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प्लेटलेट्स दान कर बचा रहे जान

खून देकर किसी की जिदगी बचाने से बड़ा पुण्य दूसरा नहीं हो सकता। रक्तदान जीवनदान है। रक्तदान से अंजान से भी खून का रिश्ता बन जाता है। आज डेंगू का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है तो ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की गंभीर समस्या समाने आई है। ऐसे में रक्तदाता फाउंडेशन से जुड़े युवा अंजान की जिदगी बचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 01:21 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 01:21 AM (IST)
प्लेटलेट्स दान कर बचा रहे जान
प्लेटलेट्स दान कर बचा रहे जान

अलीगढ़ : खून देकर किसी की जिदगी बचाने से बड़ा पुण्य दूसरा नहीं हो सकता। 'रक्तदान जीवनदान है'। रक्तदान से अंजान से भी खून का रिश्ता बन जाता है। आज डेंगू का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है तो ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की गंभीर समस्या समाने आई है। ऐसे में रक्तदाता फाउंडेशन से जुड़े युवा अंजान की जिदगी बचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। वह एक वाट्सएप मैसेज मिलते ही खून का रिश्ता बनाने निकल पड़ते हैं।

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जनपद में डेंगू के डंक के शिकार लोगों का ग्राफ शहर से लेकर देहात तक तेजी से फेल रहा है। तेज बुखार मरीज की प्लेटलेट्स जला रहा है। कई केसों में मरीज के स्वजन व परिचित प्लेटलेट्स डोनेट करना चाहते हैं लेकिन स्तर कम होने पर वह नहीं कर पाते। अंजान मरीजों के लिए रक्तदाता फाउंडेशन से जुड़े युवा जंबो पैक दान कर उनकी जिदगी बचाने का काम कर रहे हैं। इनका मरीज से भले ही खून का रिश्ता न हो, लेकिन जो रिश्ता ये निभा रहे है वह उससे कहीं बड़ा है।

वाट्सएप ग्रुप से मिलती है जानकारी

अलीगढ़ में यह संस्था 2016 से कार्य कर रही है। संस्था से जुड़े सदस्य 700 से ज्यादा लोगों को खून दिला चुके हैं। डेंगू से पीड़ित मरीज के लिए इगलास के दीपांशु ने अलीगढ़ में जंबो पैक दान किया। इसके लिए उन्हें पूरा दिन हास्पिटल में बिताना पड़ा। वह बताते हैं पहली बार किसी की जिदगी बचाकर बहुत खुशी मिली। इगलास के गजेंद्र सिंह ने आगरा तो अलीगढ़ के सुनील ने नोएडा में जाकर जंबो पैक दिया। अलीगढ़ के फैरी गुप्ता, मधुर कौशिक, हाथरस के राहुल वाष्र्णेय भी जंबो पैक दान कर चुके हैं। अक्टूबर में संस्था ने 25 लोगों को जंबो पैक दिलाए हैं। रक्तदाताओं को इसकी जानकारी संस्था के वाट्सएप समूह से मिलती है। इसमें सुमित अग्रवाल, दुष्यंत वाष्र्णेय, फैरी गुप्ता का विशेष सहयोग रहता है। संस्था के सदस्य डोनर को लेकर आने व छोड़ने का भी जिम्मा उठाते हैं।

क्या है जंबो पैक

जंबो पैक डोनेशन एक प्रक्रिया है, जिसमें 45 मिनट से एक घंटे का समय लगता है। यह ब्लड डोनेशन से अलग है। इसमें ब्लड से प्लेटलेट्स निकाले जाते हैं। इसमें पीआरबीसी और एफएफपी डोनर के शरीर में वापस कर दी जाती है। जंबो पैक में प्लेटलेट्स का काउंट 60 हजार होता है। वहीं एक मिनी पैक (रेंडम डोनर प्लेटलेट्स ) में सात से 10 हजार प्लेटलेट्स। इनका कहना है

डेगूं के चलते जंबो पैक की डिमांड ज्यादा है, खून का कोई विकल्प नहीं है, लोगों को आगे बढ़कर इस पुण्य कार्य में भागीदार बनना चाहिए। क्योंकि दूसरों का जीवन बचाने से बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं हो सकता।

-सुमित अग्रवाल, रक्तदाता फाउंडेशन


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