अलीगढ़ के सौरभ ने फर्जी मुकदमा दर्ज करने वाली पुलिस को सिखाया सबक, जानिए सच
दुश्वारियां व धमकियां उनको डिगा नहीं सकी। मुफलिसी भी झेली, मगर हौसले को पस्त नहीं होने दिया। हम बात कर रहे हैं आरटीआइ कार्यकर्ता सौरभ भारद्वाज की।
अलीगढ़ (सुरजीत पुंढीर)। दुश्वारियां व धमकियां उनको डिगा नहीं सकी। मुफलिसी भी झेली, मगर हौसले को पस्त नहीं होने दिया। हम बात कर रहे हैं आरटीआइ कार्यकर्ता सौरभ भारद्वाज की। आरटीआइ सूचना के अधिकार को हथियार बनाकर उन्होंने खुद पर दर्ज फर्जी मुकदमे को खत्म कराया और पुलिस को भी दोषी बनाया। आरटीआइ के तहत अब तक वे चार हजार से अधिक जवाब मांग चुके हैं। कई घपले-घोटाले भी खोले हैं। वे युवाओं को आरटीआइ के टिप्स भी देते हैं। उनकी समिति से 80 युवा जुड़े हैं।
आरटीआइ को बनाया शस्त्र
अतरौली के शिवाजी नगर निवासी सौरभ भारद्वाज स्नातक हैं। पिता सुनहरी लाल सेना से सेवानिवृत्ति हैं। अपंगता के चलते 12 साल की नौकरी के बाद ही उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली थी। ऐसे में घर का खर्चा भी मुश्किल से चलने लगा। 2008 में पुलिस ने सौरभ के खिलाफ छेड़छाड़ व चोरी का मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन सौरभ ने हिम्मत नहीं हारी। वह लगातार संघर्ष करता रहा।
नेताओं ने भी नहीं सुनी फरियाद
पुलिस से बचने के लिए वे अफसरों से लेकर नेताओं तक सामने गिड़गिड़ाए, सुनवाई नहीं हुई। इससे लडऩे के लिए उन्होंने आरटीआइ को हथियार बनाया। पुलिस से कॉल रिकॉर्ड से लेकर जीडी तक की जानकारी ली। जांच रिपोर्ट भी निकाली गई। गाडिय़ों की लोकेशन ट्रेस की जानकारी ली। अंत में मुकदमा फर्जी साबित साबित हुआ और पुलिस दोषी मिली। सीओ, एसओ, विवेचना अधिकारी समेत कई के खिलाफ मुकदमा हुआ। फिर उन्होंने आरटीआइ से बेकसूर लोगों को फर्जी मुकदमों से बचाने बीड़ा उठा लिया। युवाओं को जोड़कर स्वराज समिति बनाई। समिति का मकसद फर्जी तरीके से आपराधिक मामलों में फंसाए गए लोगों को बचाना है। अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों को न्याय दिला चुके हैं। अतरौली नगर पालिका में दुकानों के आवंटन में हुए एक करोड़ के घोटाले को भी उजागर किया।