Aligarh news : दो गोद में झूल चुका साहब का स्कूल, फिर भी नहीं सुधरेे हालात
Aligarh news जिले के कक्षा एक से आठ तक के सरकारी विद्यालयों में बदलाव लाने के लिए भौतिक संसाधनों व शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को स्कूल गोद दिया गया था लेकिन हालात अब भी नहीं सुधर सके।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Aligarh news : बदलाव, दृढ़ इच्छाशक्ति व लक्ष्य पर केंद्रित होकर काम करने से ही आते हैं। कक्षा एक से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में ऐसे ही बदलाव लाने के लिए उनमें भौतिक संसाधनों व शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आलाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को स्कूल गोद भी दिए गए थे। मगर सिद्धार्थनगर जीटी रोड स्थित कन्या पाठशाला संख्या-13 ऐसा स्कूल है, जो दो बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की गोद में झूलने के बाद भी जस की तस स्थिति में ही है। यहां अव्यवस्थाएं स्थूल (बड़ी) ही हैं। यह इसलिए भी चिंतनीय है, क्योंकि यहां प्रधानाध्यापक के स्तर से छात्र संख्या, सुविधाएं, पढ़ाई व संस्कार बेहतर स्थिति में है। मगर दो कमरों की रिपेयरिंग, smart class, टायल्स लगाने का काम, फर्श निर्माण आदि गोद लेने की प्रक्रिया के तहत कराए जा सकते हैं।
स्टाफ बढ़ाने की जरूरत
विद्यालय में Headmaster Srinivas Singh ने बताया कि वहां 240 विद्यार्थी नामांकित हैं। ये पांच कमरों में लगने वाली कक्षाओं में पढ़ते हैं। वे इस विद्यालय को तीन अन्य कक्षाएं बनाकर जूनियर हाईस्कूल में परिवर्तित करना चाहते हैं। मगर ये काम बिना बड़े सहयोग के नहीं हो सकता। 2021 में जब तत्कालीन डीएम चंद्रभूषण सिंह थे तो उन्होंने भी इस स्कूल को गोद लिया था। मगर एक बार भी उनकी ओर से विद्यालय का निरीक्षण कर जरूरतें नहीं जानी जा सकीं। अब पांच महीने पहले एसीएम प्रथम कुंवर बहादुर सिंह ने इसे गोद लिया है, लेकिन उनकी ओर से भी अभी कोई कदम नहीं बढ़ाया जा सका है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय में उनके समेत दो शिक्षक व एक शिक्षामित्र हैं, यहां स्टाफ भी बढ़ाने की जरूरत है।
एमडीएम वितरण में मनमानी
प्रधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल में उज्ज्वल सवेरा समिति एनजीओ एमडीएम देती है। दो दिन पहले मेन्यू के विपरीत भोजन आया। शिकायत कर mdm register में शून्य वितरण दर्ज कर दिया है। मंगलवार को भी दाल-चावल अलग-अलग देने का मेन्यू है, लेकिन दोनों को मिक्स कर तहरी रूप में खाद्य दिया गया। इतना ही नहीं पूर्व में छात्र संख्या से कम भोजन देने पर जब प्रधानाध्यापक ने टोका तो कहा गया कि अभी और स्कूलों में देना है। मतलब बच्चे कितने भी हों? जितना भोजन तैयार किया होगा, उसके हिसाब से वितरण कर दिया जाता है। एनजीओ संचालक रवेंद्र पाल ने कहा कि वे मेरठ में हैं, अलीगढ़ में लड़के क्या गड़बड़ कर रहे हैं? पता करते हैं।
ये हो जाएं काम तो बदले सूरत
प्रधानाध्यापक ने बताया कि रेन वाटर Harvesting System खुद के प्रयास से लगवाकर सबमर्सिबल का गड्ढा तैयार करा दिया। अब छतों व परिसर में कनेक्शन न होने से वर्षा का पानी अभी नाली में बर्बाद हो जाता है। नगर निगम की ओर से टायलीकरण का काम नहीं हुआ। कक्षाओं की फर्श उखड़ी पड़ी हैं। दो कमरे मरम्मत की राह देख रहे हैं। फर्नीचर भी अपर्याप्त है।
बच्चे पीते टैंक का पानी
स्कूल में पानी की टंकी रखी है। उसी से बच्चे पानी पीते हैं। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण की गाइडलाइंस में स्पष्ट लिखा है कि बच्चे जो पानी पिएं, उसको रोज चेक किया जाना चाहिए। मगर नगर निगम या संबंधित विभाग से कोई पानी चेक नहीं करता। इसलिए अगर स्कूल में आरओ वाटर मशीन लग जाए तो बच्चों को शुद्ध पानी मिले।
इनका कहना है
विद्यालय में पठन-पाठन गुणवत्तापरक हो, इस पर ही फोकस है। इसके साथ ही विद्यालय को सुविधाओं व संसाधनों से लैस करते हुए विद्यार्थियों को आधुनिकता से जोड़ा जाएगा।
- कुंवर बहादुर सिंह, एसीएम (प्रथम)
बच्चों के भोजन में मेन्यू की अनदेखी करना व कम भोजन देना बिल्कुल गलत है। प्रधानाध्यापक की शिकायत के आधार पर संबंधित एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
- सतेंद्र कुमार ढाका, बीएसए