कश्मीर से 35ए हटाने के लिए जनमत जुटाएगा संघ
(एक्सक्लूसिव) कवायद - सेमिनार करके लोगों को इस बारे में करेगा जागरूक - 12 नवंबर को अलीगढ़
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : जम्मू-कश्मीर से धारा 35ए हटाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देशभर में जनमत जुटा रहा है। वह सेमिनार व गोष्ठियां आयोजित करके लोगों को धारा 35ए के बारे में बताएगा। आखिर इसका मतलब क्या है? जम्मू-कश्मीर से इस धारा का किस प्रकार से जुड़ाव है? किन परिस्थितियों में यह लगाई गई थी। आदि विषयों को जनता के सामने स्पष्ट करेगा। हालांकि, आरएसएस सीधे तौर पर तो काम नहीं कर रहा है, मगर संघ के स्वयंसेवक जरूर आयोजनों में लगे हुए हैं। 'जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र' के माध्यम से जनता के बीच में धारा 35ए को लेकर जाएंगे। अलीगढ़ में भी 12 नवंबर को श्री वाष्र्णेय कॉलेज में 'जम्मू-कश्मीर की समस्या का मूल कारण' विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया है।
आजादी के बाद वर्ष 1954 में जम्मू-कश्मीर में धारा 35ए लागू कर दी गई थी। इस धारा के चलते अन्य प्रांत का व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काफी समय से जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग करता रहा है। उसी के अंतर्गत धारा 35ए है, जिसके चलते जम्मू-कश्मीर में अन्य प्रांतों की अपेक्षा अलग अधिकार हैं। भाजपा भी चुनाव के समय इसे मुद्दे को जोरशोर से हमेशा उठाती रही है। अब 'जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र' के माध्यम से इस विषय को बुद्धजीवी वर्ग में ले जाने की तैयारी है। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, सीए आदि को जोड़ा जा रहा है। बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं को भी जोड़ने की तैयारी है। इसलिए 12 नवंबर को होने वाले सेमिनार में इन्हीं वर्ग के लोगों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम संयोजक इंद्रहास चौहान ने बताया कि दोपहर 2.30 बजे से सेमिनार आयोजित किया गया है। इसमें जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष भटनागर बतौर मुख्य वक्ता आ रहे हैं। अध्यक्षता समाजसेवी यतींद्र मोहन झा करेंगे। सेमिनार के लिए लोगों से संपर्क शुरू कर दिया गया है।
जानिए धारा 35ए
धारा 35ए को 14 मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जगह मिली थी। इस धारा की वजह से कोई भी दूसरे राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहा का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है। अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।