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आरएसएस के उत्सव देते हैं नया संदेश व समाज में लाते हैं समरसता, जानिए पूरा मामला Aligarh news

आरएसएस के साल में पड़ने वाले छह उत्सव नई ऊर्जा देते हैं। वह राष्ट्रीयता और देशभक्ति से तो जोड़ते ही हैं साथ ही वह समाज में समरसता लाने का भाव भी पैदा करते हैं उसे देखते ही आरएसएस ने इन उत्सव को महत्व दिया है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 11:46 AM (IST)
आरएसएस के उत्सव देते हैं नया संदेश व समाज में लाते हैं समरसता, जानिए पूरा मामला Aligarh news
आरएसएस के साल में पड़ने वाले छह उत्सव नई ऊर्जा देते हैं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आरएसएस के साल में पड़ने वाले छह उत्सव नई ऊर्जा देते हैं। वह राष्ट्रीयता और देशभक्ति से तो जोड़ते ही हैं, साथ ही वह समाज में समरसता लाने का भाव भी पैदा करते हैं, उसे देखते ही आरएसएस ने इन उत्सव को महत्व दिया है। आइए, जानते हैं आरएसएस के प्रमुख उत्सव के बारे में। इन उत्सव के माध्यम से समाज को भी संदेश देने की कोशिश संघ करता है।

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1925 में हुई थी आरएसएस की स्‍थापना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन हुई थी। आरएसएस राष्ट्रवादी विचारधारा पर काम करने वाला संगठन है। इसलिए संघ राष्ट्र से जुड़े पर्व और त्योहारों को महत्व देता है। संघ का प्रथम उत्सव वर्ष प्रतिपदा है, इस दिन को संघ नव संवत्सर के रुप में मनाता है। भारतीय नववर्ष की शुरुआत इसी दिन से होती है। संघ वर्षाें से यह उत्सव धूमधाम से मनाता आ रहा है। नववर्ष पर तमाम बार ऐसा हुआ जब लोगों ने सवाल खड़े किए कि एक जनवरी को सारी दुनिया नया साल मनाती है तो संघ के लोग चैत्र मास की प्रतिपदा को क्यों नववर्ष मनाते हैं, मगर संघ अडिग रहा। वह हर साल चैत्र प्रतिपदा के दिन नव संवत्सर को धूमधाम से मनाता आ रहा है।

धूमधाम से मनाया जाता है हिंदू साम्राज्‍य दिवस 

इसी प्रकार से संघ हिंदू साम्राज्य दिवस को भी काफी धूमधाम से मनाता है। इसदिन छत्रपति शिवाजी ने हिंदू साम्राज्य दिवस की स्थापना की थी। संघ देशभर के प्रत्येक शाखाओं पर यह उत्सव मनाता है। छत्रपति शिवाजी ने किन कारणों से हिंदू साम्राज्य दिवस की स्थापना की थी इसका क्या महत्व होता है उसके बारे में भी बताया जाता है। भले ही इस उत्सव को लेकर देश में तमाम तरह की भ्रांतियां हो, मगर आरएसएस इस उत्सव को लेकर भी अडिग है और बहुत व्यापक रुप में वह मनाता है। जुलाई में गुरु पूर्णिमा उत्सव को भी संघ बहुत श्रद्धाभाव से मनाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन संघ अपने गुरु भगवा ध्वज का पूजन करता है। संघ के स्वयंसेवक शाखाओं पर पूजन करते हैं, इसी के साथ गुरु दक्षिणा का पर्व भी शुरू हो जाता है। इसे भी प्रत्येक स्वयंसवेक और समाज के लोगों तक पहुंचाने का काम संघ करता है। संघ विजयदशमी पर्व को स्थापना दिवस के रुप में मनाता है। संघ के प्रचार प्रमुख भूपेंद्र शर्मा का कहना है कि हमारे लिए गर्व की बात है कि विजय के पर्व के दिन संघ की स्थापना की गई, इससे समाज में उत्साह और ऊर्जा बनी रही। जनवरी में पड़ने वाले मकर संक्रांति पर्व को भी संघ बहुत उत्साह के रुप में मनाता है। इसे समरसता दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।


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