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अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्रः रात में सड़कें सुनसान, सियासी बातों का तूफान

दिन हो या रात चुनावी तपिश बराबर है। आधी रात सड़कें भले सुनसान हों पर सियासी बातों का तूफान कम नहीं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 10:00 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 10:00 AM (IST)
अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्रः रात में सड़कें सुनसान, सियासी बातों का तूफान
अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्रः रात में सड़कें सुनसान, सियासी बातों का तूफान

लोकेश शर्मा, अलीगढ़। दिन हो या रात, चुनावी तपिश बराबर है। आधी रात सड़कें भले सुनसान हों, पर सियासी बातों का तूफान कम नहीं। दिन में भीड़ से खचाखच नजर आने वाले बाजारों का शाम ढलने के बाद खामोशी में डूबना स्वभाविक है, पर बीती रात का नजारा चौकाने वाला था। तिराहे, चौराहों के नुक्कड़ पर चाय की दुकानों और ढाबों से उठी चुनावी बातें कानों से टकराईं तो शहर का चुनावी मिजाज साफ हो गया। दिनभर की थकान और भाग दौड़ के बीच फुरसत के पलों में यहां जमे कुछ लोगों में राहगीर भी थे और ई-रिक्शा चालक भी। सभी का एक ही सवाल था कि जीतेगा कौन? वोट किसे दोगे? जवाब में सभी के अपने -अपने तर्क।  हारजीत से शुरू हुई बात दलों और फिर अपने पसंदीदा प्रत्याशी तक पहुंचने में देर न लगी। इनमें कुछ लोग इन दलों से इतर सोच वाले भी थे, जिनका कहना था कि जो विकास के काम करेगा, उसी को चुना जाएगा। रात 12 बजे विद्यानगर, रामघाट रोड से शुरू किया सफर दो बजे रेलवे रोड पर खत्म किया। इन दो घंटों के दौरान लोग जहां भी चुनावी चौपाल जमाए मिले, वहां घोषणा पत्र से लेकर प्रत्याशियों की कमियों और खासियत तक की चर्चा थी।

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सड़कों पर सन्नाटा, पर नुक्कड़ आबाद

न वाहनों का शोर, न भीड़, न जाम के हालात। रात 12 बजे रामघाट रोड पर सन्नाटा था, पर इसके प्रमुख नुक्कड़ आबाद थे। इससे साफ था कि अलग मिजाज का  अलीगढ़ अब सियासी रंग में है। विद्यानगर के बाहर रामघाट रोड पर चाट-पकौड़ी और फूड कार्नर के ठेले लेकर लौट रहे लोगों को चुनावी गणित समझने का यही तो मौका मिला। दिनभर आए ग्र्राहकों ने आपस में क्या बातें की, शेयर करने से न चूके। तो गांधी आई हॉस्पिटल के बाहर ई-रिक्शों पर ही चुनावी चौपाल थी। बातें वहीं, जीत हार की और हालात शर्त तक पहुंच चुके थे। यहां सामने से समद रोड एक दम शांत था, लेकिन सेंटर प्वाइंट पर जाते ही तेज आवाज 'भइया, असलियत 23 मई को आय जाएगी सामनेÓ आई। ध्यान सड़क किनारे बैठे कुछ लोगों पर गया। चौपाल खत्म कर ये लोग घर लौट रहे थे। लेकिन, रेलवे स्टेशन के पास सुबह से पहले न खत्म होने वाली चौपाल की रंगत ही अलग थी।

चाय की चुस्की के बीच बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर गुस्सा

रात के 12:30 बज चुके थे। रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक दुकान पर चाय की चुस्कियों के साथ चल रही चुनावी चर्चा में हम भी शामिल हो गए। जैसे-जैसे रात गहराती गई वैसे ही चुनावी बहस गर्माने लगी। रोचक बात यह रही कि बहस में रिक्शा चालक से लेकर छात्र और कारोबारी भी शामिल थे। चाय की चुस्कियों का आनंद लेते हुए श्याम नगर गोलू पंडित बोले कि भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम सीटिंग सांसद हैं, वह अपनी छवि खराब नहीं करेंगे। विरोध के बाद भी वह डटे हुए हैं। गोलू की बात काटते हुए मधुपुरा के आरिफ मेव तपाक से बोले इस बार वोट प्रत्याशी के नाम पर नहीं पार्टी के नाम पर पड़ रहा है। गौतम का कई जगह विरोध हुआ है, समर्थक खाली हाथ लौट आए, कोई काम भी नहीं कराया, तभी तो जनता में नाराजगी है। मेव अभी बात खत्म भी नहीं कर पाए थे, तभी श्याम नगर के विशाल गौतम बोल पड़े। कहा, पार्टी को ही सही वोट तो भाजपा को पड़ रहा है। चाय का कुल्हड़ नीचे रखते हुए बेगपुर के अजीम बोले, किसी मुगालते में मत रहिए जनाब, ये जो मोदी-मोदी का हल्ला है, वो पार्टी के लोगों ने ही मचा रखा है, जबकि ऐसा है नहीं। गरीब लोग आज भी उसी जगह हैं, जहां पहले थे। इनकी बातों का समर्थक करते मधुपुरा के काजी परवेज बोले, ये तो ठीक है कि मोदी सरकार ने गरीबों के बारे में नहीं सोचा, बड़े लोगों का ही भला किया है, जबकि सपा ने हर वर्ग के बारे में सोचा। इसी बीच लोको कॉलोनी के शकील बोले, अब मुद्दा बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का, जिसे गठबंधन ही दूर कर सकता है। लोगों में बेरोजगारी व भ्रष्टाचार पर ही गुस्सा है।

सांसद तो पतौ नाय कहां रहतैं

स्टेशन पर चुनावी चर्चा को बीच में ही छोड़कर 1:10 बजे कंपनीबाग  बस अड्डे पहुंचे। यहां एक ढकेल पर हार-जीत की अटकलें लगा रहे लोगों की बात सुनकर हम ठिठक गए। बस के इंतजार में खड़े नगला पटवारी के दिनेश का कहना था कि प्रत्याशी मायने नहीं रखता पार्टी रखती है, मोदी ने विकास कार्य कराए हैं, इसीलिए हमारा समर्थन है। तभी मडराक के हरिसिंह कांग्रेस की विकास नीतियों को गिनाते हुए पार्टी प्रत्याशी विजेंद्र सिंह का पक्ष लेने लगे। बोले, जब वो सांसद हते तो गामन में बहौत काम करायौ, फोन परी आय जाते, अबके सांसद को तो पतो ई नाय कहां रहतैं। कुछ दूरी पर खड़े राजकुमार राजनीति पर होती इस चर्चा को सुनकर रह न सके और वह भी अपनी रायशुमारी के लिए वहां आए और कहने लगे कि गठबंधन प्रत्याशी अजीत भी किसी से पीछे नहीं है। पार्टी के नियम-कायदे और आदर्शों पर चलने वाला प्रत्याशी है। उन्हें शहर के दो वृहद समाज का समर्थन मिल रहा है। सभी राजनैतिक पार्टियों के प्रत्याशियों की तारीफ सुनकर लोको कॉलोनी के वीरेंद्र बोले, इनकी तो राज्य में सरकार भी नहीं है तो वोट क्यों दें। अरे भाई जिसकी सरकार है, उसके प्रत्याशी को वोट किया जाए तो कुछ ठीक होने उम्मीद रहेगी।

राष्ट्रवाद बड़ा मुद्दा

बस अड्डे के बाद हम 1:35 बजे रेलवे रोड पर पहुंचे। यहां दुकान पर खड़े कुछ युवा चाय बनने का इंतजार कर रहे थे। कहीं बाहर से आए थे और टे्रन से उतर कर सीधे यहीं पहुंचे। इनके साथ चुनावी मुद्दे पर बातचीत शुरू हुई तो सभी का एक ही जबाव था, इस बार राष्ट्रवाद बड़ा मुद्दा है। सराय हकीम के सचिन का कहना है कश्मीर में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं, आतंकवादी शहर, कॉलेजों में घुस आए हैं। पड़ोसी देश इन्हें संरक्षण दे रहे हैं, ऐसी परिस्थितियों में देश की सुरक्षा अहम है। देश सुरक्षित रहेगा तो विकास भी होगा।


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