लाखों के गबन में फिर फंसे रिटायर्ड असिस्टेंट इंस्पेक्टर, बैठाई शासन स्तर से जांच Hathras News
करीब 17 साल पहले 2002 में हुए गबन का जिन्न फिर बाहर आ गया है
हाथरस [जेएनएन] करीब 17 साल पहले 2002 में हुए गबन का जिन्न फिर बाहर आ गया है। उद्यान विभाग के एक सहायक निरीक्षक की ओर से किए गए लाखों के गबन के मामले की परतें तब खुलीं, जब सहायक निरीक्षक के सेवानिवृत्त होने पर उनके देयों से गबन की राशि नहीं वसूली गई, जबकि निदेशक उद्यान ने वसूलने के निर्देश भी दिए थे। मामला शासन तक पहुंचा तो जांच बैठाते ही पहले चरण में डेढ़ लाख रुपये की वसूली कर ली गई, जबकि निर्देश पांच लाख 95 हजार 371 रुपये नौ पैसे वसूलने का था।
जानें पूरा मामला
जिला उद्यान विभाग में सहायक निरीक्षक पद पर वर्ष 98 में तैनात रहे देवदत्त दयाल पर चार लाख 23 हजार 371 रुपये नौ पैसे के गबन के आरोप में फर्रुखाबाद में निलंबित किया गया था। जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। राज्यपाल के यहां की गई अपील के बाद में बहाल कर दिया गया था। दयाल पर आरोप था कि इन्होंने सरकारी आलू को बेचकर लाखों रुपये का गबन कर लिया था। इस मामले की विभागीय स्तर से जांच होने के बाद अंतिम निर्णय लिया गया है कि ब्याज समेत सहायक निरीक्षक दयाल के अंतिम देयों में से ब्याज समेत पांच लाख 95 हजार नौ पैसे की वसूली कर ली जाए। ये निर्देश निदेशक उद्यान राघवेंद्र प्रताप ङ्क्षसह ने हाथरस के जिला उद्यान अधिकारी गमपाल ङ्क्षसह को दिए थे। मगर निदेशक के निर्देश के बाद भी देयों का भुगतान कर दिया गया और पेंशन भी बनवा दी गई।
शिकायत शासन से, डेढ़ वसूले
इस मामले में जन-जन की आवाज किसान संगठन के अध्यक्ष श्याम ङ्क्षसह चाहर ने चार नवंबर को मुख्यमंत्री, उद्यान मंत्री, प्रमुख सचिव से शिकायत करते हुए जिला उद्यान अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। शासन ने मामले में जांच बैठा दी। एक सप्ताह पहले लखनऊ से आए एक अधिकारी ने मामले की जांच की और यहां रिटायर्ड सहायक निरीक्षक के बयान लिए।
इनकी भी सुनिए
रिटायर्ड सहायक निरीक्षक देवदत्त दयाल का कहना है कि मैंने अधिकारियों के कहने से आलू उधार में दिया। उनसे पैसा नहीं आया और गबन मुझ पर दिखा दिया। वास्तविकता में दो लाख 23 हजार रुपये बनता है जिसे 18 फीसद की ब्याज बनाकर पांच लाख 95 हजार कर दिया गया है। अगर दो लाख 23 हजार से ज्यादा वसूला गया तो कोर्ट जाऊंगा। इस मामले में जिला उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह ने बताया कि मैंने किसी निर्देश की अवेहलना नहीं की। बल्कि रिटायर्ड सहायक निरीक्षक के देयों से डेढ़ लाख रुपये जमा कराया है। अभी और देय उनके बाकी हैं जिनसे वसूली की जाएगी। इस मामले की जांच चल रही है। उनके जो देय थे उनको दिलाया भी गया है।