सवर्णों को आरक्षणः सिर्फ राजनीतिक लाभ होगा, सामाजिक फायदा संभव नहीं
केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरी व उच्च शिक्षा में आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने का कानून बनाया है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरी व उच्च शिक्षा में आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने का कानून बनाया है। इस कानून के बाद सियासी माहौल गरमा गया है। कुछ लोग इसे सवर्णों को लुभाने के लिए मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं तो कुछ लोकसभा चुनाव में राजनीतिक फायदे का स्टंट मान रहे हैं। सोमवार को दैनिक जागरण की एकेडमिक मीटिंग में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर अरशी खान ने 'आर्थिक आरक्षण से राजनीतिक हित के साथ सामाजिक हित भी सधेंगे विषय पर राय रखी। उन्होंने कहा कि 10 फीसद आरक्षण भले ही सभी को फायदे का सौदा लग रहा हो, लेकिन ज्यादा फायदा नहीं है। यह राजनीतिक लाभ के लिए है। इससे सामाजिक फायदा नहीं होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट में भी इसे चुनौती मिलने की संभावना है।
अतिथि विचार
प्रो. अरशी ने कहा भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। देश बुके की तरह है, जिसमें अलग-अलग धर्म-जाति के लोग फूल की तरह हैं। देश में अंग्रेज आए तो उन्होंने लोगों को बांटना शुरू कर दिया। फिर आजादी बाद लोग ज्यादा बंटने लगे। भेदभाव शुरू हो गया। देश आजाद हुआ तो लोगों को बराबरी पर लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया, लेकिन इसमें भी भेदभाव शुरू हो गया। पूर समाज को लाभ मिलने की बजाय एक जाति को फायदा दिया गया। एसटी-एससी व ओबीसी में एक जाति के लोगों ने ज्यादा लाभ उठाया। शुरुआत से अब तक के रिकॉर्ड का आकलन किया जाए तो एक जाति के लोग ही सामने आएंगे।
इससे भी एक जाति को फायदा
केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की है। इससे अभी सभी को बहुत ज्यादा फायदा लग रहा हो, लेकिन हकीकत में यह राजनीतिक फायदे के लिए है। इसकी इस समय ही याद क्यों आई? भले ही सरकार ने संविधान में संशोधन किया हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिल सकती है। संवैधानिक प्रक्रिया में इसे खत्म करने का नियम है। अगर मान भी लें कि यह लागू हो जाता है तो भी आने वाले समय में एक ही जाति के लोगों को ही फायदा होगा। सभी सवर्ण लाभ नहीं उठा पाएंगे।
सवाल-जवाब भी
*आठ लाख रुपये तक आय को गरीबी का मानक तय किया है?
आठ लाख बहुत ज्यादा है। कहीं न कहीं इसमें गणतीय आकलन सही नहीं हुआ है। इससे महसूस होता है कि सरकार ने फैसला जल्दबाजी में लिया है।
*अगर यह सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गया तो गरीब सवर्णों को आगे बढऩे का मौका कैसे मिलेगा?
यह सही है कि जो गरीब है, उसे भी आगे बढऩे का हक है। चाहे वो किसी भी जाति से हो। सरकार को इनके लिए विशेष स्कीम लानी होगी।
*आरक्षण की बजाय सरकार रोजगार बढ़ाए तो कितना फायदा होगा?
युवाओं को रोजगार मिलने लगे तो आरक्षण की जरूरत ही नहीं।
*2020 में आरक्षण क्यों जरूरी है? यह देशहित में है या नहीं?
आजादी के 70 साल बाद भी हम इतने सक्षम नहीं हो पाए हैैं कि आरक्षण खत्म कर सकें। अभी भी कमजोर वर्ग को इसकी जरूरत है।