Raju Srivastava : संघर्ष के दिनों में सहारा बने थे रवींद्र जैन और शंकर-शंभू, पढ़िए उनकी अनछुई दास्तान
Untouched aspects हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी। राजू श्रीवास्तव अलीगढ़ में भी कार्यक्रम के दौरान आ चुके हैं। 2018 में जब वे अलीगढ़ आए थे तो अपने संघर्ष की कहानी शेयर की थी।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Untouched aspects : मशहूर हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव यूं ही हास्य के सम्राट नहीं बन गए थे। उन्होंने बड़े संघर्ष किए। बुरे दौर से भी गुजरे, लेकिन हार नहीं मानी। उन्होंने यह रहस्योद्घाटन 2018 में अलीगढ़ आने पर किया था। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ के मशहूर कव्वाल शंकर-शंभू और प्रसिद्ध संगीतकार रविंद्र जैन उनके संघर्ष के दिनों में सहारा बने। राजू श्रीवास्तव अलीगढ़ से गहरा लगाव रखते थे। दो बार वह exhibition में आयोजित laughter show में शामिल हुए। 2018 में रामघाट जाते समय Samridhi Town Ship में रुके थे।
दर्शकों को किया था लोटपोट : राजू श्रीवास्तव छह फरवरी 2009 और एक फरवरी 2011 को नुमाइश में आए थे। दोनों ही आयोजनों में गजोधर भैया के नाम से विख्यात राजू श्रीवास्तव ने दर्शकों को लोटपोट कर दिया था। उस समय जागरण से बातचीत में राजू ने कहा था कि वह पाकिस्तान के दबाव में आने वाले नहीं हैं। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं हिंदुस्तान को ही ऊपर रखता हूं। निष्पक्ष हंसाता रहता हूं, हंसाता रहूंगा।
जिंदगी के अहम राज खोले थे : 16 नवंबर 2018 को आए राजू श्रीवास्वत ने अपनी जिंदगी को लेकर अहम राज खोले। तब वह स्क्रिप्ट राइटर मनोज संतोषी के साथ रामघाट (बुलंदशहर) जाते समय समृद्धि टाउनशिप में रुके थे। मीडिया से बातचीत में राजू ने कहा था कि 1982 से 87 के बीच काफी संघर्ष के बाद भी काम नहीं मिला तो घर लौटने का मन बना लिया था। मन बड़ा व्यथित रहता था।
अलीगढ़ के great musician ravindra jain और कव्वाल शंकर-शंभू ने उन्हें सहारा दिया। रवींद्र जैन ने दूरदर्शन की एंकर तबस्सुम से उन्हें मिलवाया। इस मुलाकात के बाद ही उन्हें काम मिलना शुरू हुआ। नेताओं पर चुटकी लेते हुए राजू ने कहा था कि नेता देश से ज्यादा मेरे काम आए। नेता हो या अन्य कोई हस्ती, अब तो नकल करने पर बुरा भी नहीं मानते। यह भी बताया कि बचपन में स्कूल टीचर ने नकल करने पर डांटने की बजाय शाबाशी दी और आगे कोशिश करने के लिए कहा। फिर, अमिताभ बच्चन की दीवार और शोले फिल्म देखकर मिमिक्री शुरू की। राजू का मानना था कि 'जिंदगी में जितनी नकारात्मक चीजें हैं, उन्हें सकारात्मक सोच में बदल लेना चाहिए"। इससे आनंद बढ़ जाएगा।
तालों की तारीफ, सड़क से तौबा : राजू जब अलीगढ़ आए तब टप्पल-अलीगढ़ मार्ग बदहाल था। उन्होंने नुमाइश में आयोजित कार्यक्रम में कहा भी था कि आपके यहां की सड़कें बड़ी महान हैं। सफर करते हुए शरीर का पुर्जा-पुर्जा हिला देती हैं। उन्होंने अलीगढ़ के ताले की जमकर तारीफ भी की। समृद्धि टाउनशिप में राजू एक रात रुके थे। अगली सुबह उन्होंने वहां जिम में पसीना बहाया। इसके बाद कचौड़ी का नाश्ता किया। सुमित सर्राफ, माहेश्वरी क्रिएटिव संजय माहेश्वरी आदि ने उन्हें ताला भेंट किया था। पंकज धीरज, राज सक्सेना समेत अन्य लोगों ने भी राजू से मुलाकात की।