अलीगढ़ में कई जगह रावण दहन, पुतले पर महबूबा मुफ्ती व उमर अब्दुल्ला के चेहरे भी लगाए
10 दिनों का संगीतमयी रामायण पाठ का आयोजन किया गया था। हर साल नुमाइश मैदान में 55 फुट ऊंचे रावण-मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता था। इस बार रामलीला मैदान में ही पुतला दहन का निर्णय लिया गया।
अलीगढ़, जेएनएन। विजयादशमी पर्व पर रविवार की रात असत्य पर सत्य की विजय हुई और रावण का अंत हुआ। अचलताल रामलीला मैदान में राम और रावण के बीच युद्ध हुआ। प्रभु श्रीराम ने रावण पर बाण छोड़ा। बाण लगते ही रावण धराशायी हो गया। रावण का पुतला धू-धूकर जल उठा। जयश्रीराम की जय-जयकार होने लगी। पुतला दहन के बाद बच्चों ने मेले में खरीदारी की। सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात थी।
रामलीला मैदान में हुआ आयोजन
अचलताल श्रीराम लीला गोशाला कमेटी की ओर से इस बार कोरोना के चलते रामलीला नहीं हुई। 10 दिनों का संगीतमयी रामायण पाठ का आयोजन किया गया था। हर साल नुमाइश मैदान में 55 फुट ऊंचे रावण-मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता था। इस बार रामलीला मैदान में ही पुतला दहन का निर्णय लिया गया। रावण का पुतला तैयार किया गया। दहन से पहले पुतला गायब कर दिया गया था, आनन-फानन पुतला तैयार किया गया। शाम छह बजे काली खेली। शाम सात बजे प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण युद्ध के मैदान में पहुंच गए।
श्री राम का विजय तिलक
प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण का विजय तिलक अरिवंद अग्रवाल, विमल अग्रवाल, संदीप रंजन, भाजपा नेता मानव महाजन ने किया। रावण के साथ राम का युद्ध हुआ। राम के बाण को रावण लगातार काटता जा रहा था। विभीषण ने बताया कि रावण की नाभि में अमृत है। अमृत को सुखाए बिना रावण का अंत नहीं होगा। राम ने एक साथ कई बाण छोड़े, जो रावण की नाभि में जाकर लगे। अमृत सूखते ही रावण हे राम कहते हुए धरती पर जा गिरा। रावण के गिरते ही पूरी धरती डोल उठी। प्रभु श्रीराम ने पुतले पर बाण छोड़ा। जिससे वो जल उठा।
आधा पुतला बन पाया था
विवाद के चलते रावण का पुतला आधा ही बन पाया था। ऊपर का सिर नहीं बन पाया था। पुतले का दहन कर किसी तरह से विवाद को टाला गया। इसे लेकर लोगों में तमाम तरह की चर्चाएं रहीं।